प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शुद्ध मांग और समय देयताओं (एनडीटीएल) के करीब 1 फीसदी के अधिशेष स्तर को स्पष्ट रूप से लक्षित किए बिना बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा। यह बात आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। गवर्नर ने कहा, “मौद्रिक ट्रांसमिशन हो रहा है और हम इसे समर्थन देने के लिए पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराएंगे।
उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में मौजूदा नकदी कभी-कभी एनडीटीएल की 1 फीसदी से भी ज्यादा हो जाती है और कभी-कभी इससे भी ज्यादा हो जाती है। हालांकि इसका दायरा 0.6 से 1 फीसदी के बीच है। उन्होंने कहा, सटीक संख्या (चाहे 0.5, 0.6 या 1 फीसदी) मायने नहीं रखती। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बैंकों के पास सुचारू काम के लिए पर्याप्त नकदी होनी चाहिए।
केंद्रीय बैंक ने खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) और विदेशी मुद्रा खरीद-बिक्री स्वैप के माध्यम से नकदी बढ़ाने के उपायों की घोषणा की है। ओएमओ में 11 दिसंबर और 18 दिसंबर को 50,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में 1 लाख करोड़ रुपये की भारत सरकार की प्रतिभूतियों की खरीद शामिल होगी। इसके अतिरिक्त, 16 दिसंबर को तीन वर्षों के लिए 5 अरब अमेरिकी डॉलर का अमेरिकी डॉलर/रुपये की खरीद-बिक्री का स्वैप भी आयोजित किया जाएगा।
एचडीएफसी बैंक ने एक नोट में कहा, आरबीआई के विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप ने सितंबर से नवंबर तक के एनडीटीएल स्प्रेड ने सीआरआर में हुई 1 फीसदी की कटौती के प्रभाव को काफी हद तक कम कर दिया है, जिससे प्रणाली में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी। अक्टूबर तक आरबीआई की फॉरवर्ड बुक बढ़कर 63.6 अरब डॉलर हो गई। अब जब ये पोजीशन परिपक्व हो जाएंगी तो (अगर आरबीआई इन डॉलर को बेचता है) यह रुपये की तरलता को और कम कर सकती हैं। हालांकि चालू वित्त वर्ष के अधिकांश समय में शुद्ध तरलता अधिशेष में रही है। फिर भी विशेषज्ञों का अनुमान है कि विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप और मुद्रा प्रसार बढ़ने के कारण निकट भविष्य में तरलता में कमी आ सकती है।