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NPCI करेगा बाजार हिस्सेदारी सीमा के फैसले की समीक्षा, फ्री ट्रांजैक्शन के चलते UPI में निवेश से बच रही कंपनियां

UPI market share: ऐसा पहली बार है जब एक वित्त वर्ष में UPI ट्रांजैक्शन 100 अरब के दायरे को पार करते हुए 131 अरब हो गया जो वित्त वर्ष 2023 में 84 अरब था।

Last Updated- April 19, 2024 | 9:35 PM IST
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भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) वर्ष के अंत तक यूपीआई सेवाओं की पेशकश करने वाले पेमेंट खिलाड़ियों की बाजार हिस्सेदारी पर 30 प्रतिशत की सीमा लागू करने के अपने फैसले की समीक्षा करेगा। खिलाड़ियों की बाजार हिस्सेदारी पर इस सीमा को लागू करने की समयसीमा दिसंबर 2024 है जिसमें कोई बदलाव नहीं है।

इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘समयसीमा दिसंबर 2024 ही है। इसके लिए अब भी समय है। यूपीआई सेवाएं देने वाले पेमेंट खिलाड़ियों के ट्रांजैक्शन की मात्रा पर 30 प्रतिशत की सीमा की समीक्षा इस साल के अंत तक की जाएगी।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजे गए सवालों पर एनपीसीआई ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पिछले महीने एनपीसीआई ने नए यूपीआई खिलाड़ियों के साथ एक बैठक की जिसका मकसद यह था कि यूपीआई के आंकड़े में उत्साहजनक वृद्धि कैसे लाई जाए।

नवंबर 2022 में एनपीसीआई ने थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशन प्रोवाइडर (टीपीएपी) पर 30 प्रतिशत मात्रा की सीमा तय करने का प्रस्ताव किया था। इस संस्था ने यूपीआई खिलाड़ियों के लिए अपनी बाजार हिस्सेदारी 30 फीसदी तक सीमित करने की समय-सीमा तय की थी जो 31 दिसंबर 2024 थी।

एनपीसीआई के डेटा के मुताबिक फिलहाल दो खिलाड़ियों में मुख्यतः फोनपे और गूगल पे हैं जिन्होंने ट्रांजैक्शन की मात्रा के लिहाज से 86 फीसदी यूपीआई बाजार हिस्सेदारी हासिल की है।

तीसरे खिलाड़ी, पेटीएम पेमेंट बैंक की बाजार हिस्सेदारी में तब से गिरावट देखी जा रही है जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस साल जनवरी में कंपनी पर कुछ प्रतिबंध लगाए। वहीं क्रेड और ऐक्सिस बैंक ऐप प्रत्येक की बाजार हिस्सेदारी एक फीसदी है।

वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी ने मार्च में 1.23 अरब ट्रांजैक्शन पूरा किया जो इस साल जनवरी में 1.57 अरब ट्रांजैक्शन था। इस साल मार्च तक कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 9 प्रतिशत तक थी।

शून्य एमडीआर

सूत्र ने बताया कि कंपनियां यूपीआई में निवेश करने से परहेज कर रही हैं क्योंकि यह ट्रांजैक्शन सभी के लिए मुफ्त होता है और इसमें मर्चेंट डिस्काउंट कोड (एमडीआर) नहीं लगाया जाता है। हालांकि बड़े खिलाड़ियों ने इस तंत्र में निवेश किया है।

एक दूसरे सूत्र ने बताया, ‘यूपीआई में कई गुना बढ़ोतरी की क्षमता है। हालांकि शून्य एमडीआर के चलते नए खिलाड़ी इसमें आने और निवेश करने से परहेज कर रहे हैं। जब एक बार यह हो जाएगा तब बाजार को खुद ही संतुलन बनाना चाहिए।’

सूत्र का कहना है कि सरकार के साथ यूपीआई ट्रांजैक्शन पर एमडीआर लागू किए जाने से जुड़ी चर्चा अब आम चुनावों के खत्म होने के बाद ही हो सकेगी। इस साल जनवरी में एक कार्यक्रम में एनपीसीआई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिलीप असबे ने कहा कि अगले तीन वर्षों में यूपीआई पर बड़े व्यापारिक लेन-देन पर उचित फीस लग सकता है।

उन्होंने कहा था, ‘लंबी अवधि के नजरिये से छोटे दुकानदारों पर नहीं लेकिन बड़े दुकानदारों पर उचित शुल्क लगेगा। हालांकि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि ऐसा कब होगा। यह एक, दो या तीन वर्षों में संभव है।’

देश में पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में यूपीआई ट्रांजैक्शन की मात्रा में 56 प्रतिशत की बढ़ोतरी और इसकी वैल्यू में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ऐसा पहली बार है जब एक वित्त वर्ष में यूपीआई ट्रांजैक्शन 100 अरब के दायरे को पार करते हुए 131 अरब हो गया जो वित्त वर्ष 2023 में 84 अरब था।

First Published - April 19, 2024 | 9:35 PM IST

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