थायरोकेयर में एपीआई होल्डिंग्स द्वारा प्रवर्तक हिस्सेदारी 4,546 करोड़ रुपये में खरीदे जाने के बाद कंपनी में निवेशकों को निवेश बनाए रखने से ज्यादा लाभ हासिल नहीं हो सकता है।
मौजूदा भाव प्रवर्तकों को उनकी 66.1 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए पेश कीमत और ओपन ऑफर के जरिये निवेशकों के लिए कीमत के मुकाबले 11 प्रतिशत ज्यादा है। इसके अलावा, कंपनी ने संकेत दिया है कि उसने डीलिस्टिंग का विकल्प बरकरार रखा है। कई विश्लेषकों का मानना है कि निवेशक इस शेयर में मुनाफावसूली पर जोर दे रहे हैं, क्योंकि यह पिछले साल के दौरान 186 प्रतिशत के शानदार प्रतिफल के साथ श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला डायग्नोस्टिक दांव रहा।
करीब 74,000 करोड़ रुपये के डायग्नोस्टिक सेक्टर में मौजूदा विलय एवं अधिग्रहण (एमऐंडए) की रफ्तार बरकरार रहने की संभावना है। मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर के प्रवर्तक एवं प्रबंध निदेशक अमीरा शाह का मानना है कि बाजार में समेकन बरकरार रहेगा, क्योंकि कंपनी की मौजूदा रणनीति बरकरार रहेगी। मेट्रोपॉलिस ने दिसंबर तिमाही में 620 करोड़ रुपये में भारत स्थित हाईटेक डायग्नोस्टिक्स का अधिग्रहण किया था। आईआईएफएल रिसर्च ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि हाईटेक सौदे से विलय एवं अधिग्रहण संबंधित विस्तार के लिए कंपनी की मजबूत दिलचस्पी का पता चलता है।
नए सौदों से बड़ी कंपनियों की बाजार भागीदारी भी बढऩे की संभावना है। डायग्नोस्टिक सेगमेंट का सिर्फ 17 प्रतिशत हिस्सा संगठित कंपनियों द्वारा नियंत्रित है, जबकि बड़े हिस्से का संचालन अस्पताल स्थित लैब्स (37 प्रतिशत) और असंगठित क्षेत्र के जांच केंद्रों (46 प्रतिशत) द्वारा किया जाता है। नए निवेशक स्वास्थ्य जांच क्षेत्र की 12-15 प्रतिशत अनुमानित सालाना वृद्घि पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
भारत की सबसे बड़ी सूचीबद्घ डायग्नोस्टिक कंपनी डॉ. लाल पैथलैब्स के एक अधिकारी ने कहा कि थायरोकेयर सौदा एक सकारात्मक घटनाक्रम है और इससे भारतीय डायग्नोस्टिक सेक्टर की संपूर्ण बाजार वृद्घि को बढ़ावा मिलेगा।
विलय एवं अधिग्रहण मार्ग और बिक्री वृद्घि के जरिये भागीदारी बढ़ाने के उत्साह को देखते हुए अल्पावधि मूल्य निर्धारण दबाव बढ़ सकता है।
एपीआई होल्डिंग्स के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी सिद्घार्थ शाह ने कहा कि कंपनी अपनी उपस्थिति और नेटवर्क मौजूदा 70 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। हालांकि कंपनी ने मार्च की तिमाही में 35 प्रतिशत का परिचालन मुनाफा मार्जिन दर्ज किया, लेकिन शाह ने संकेत दिया है कि अल्पावधि दबाव देखा जा सकता है, क्योंकि कंपनी जांच व्यवसाय बढ़ाने और ग्राहक अनुभव सुधारने पर निवेश पर जोर दे रही है।
हाल के समय में दक्षिण भारत की सबसे बड़ी स्वास्थ्य जांच चेन विजय डायग्नोस्टिक सेंटर, और कृष्णा डायग्नोस्टिक्स जैसी आईपीओ से संबंधित जांच कंपनियों की वजह से विलय एवं अधिग्रहण गतिविधि में तेजी आई है और निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है, लेकिन अन्य सूचीबद्घ कंपनियों के मूल्यांकन मल्टीपल में समान असर नहीं देखा जा सकता है। एक घरेलू ब्रोकरेज फर्म के विश्लेषक ने कहा, ‘इस साल अब तक करीब 50 प्रतिशत के औसत प्रतिफल को देखते हुए, यह क्षेत्र शानदार प्रदर्शक रहा है। इसके अलावा मेट्रोपॉलिस और डॉ. लाल पैथलैब्स के लिए वित्त वर्ष 2023 के आय अनुमानों के 58-63 गुना के पीई अनुपात के साथ मूल्यांकन पहले ही महंगे दायरे में पहुंच गया है।’
एपीआई होल्डिंग्स समेकित हेल्थकेयर मॉडल पर जोर दे रही है, जिसमें प्रौद्योगिकी-केंद्रित एक मंच पर परामर्श, जांच, और उपचार (दवाओं की डिलिवरी) शामिल हैं। एपीआई होल्डिंग्स द्वारा बिक्री बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी में निवेश को देखते हुए नकदी संपन्न सूचीबद्घ कंपनियां (डॉ. लाल पैथलैब्स) बाजार भागीदारी बनाए रखने के प्रयास में अपनी ऑनलाइन उपस्थिति सुधारने पर ज्यादा खर्च करने के लिए बाध्य हो सकती है। एक फार्मा विश्लेषक ने कहा, ‘इससे अल्पावधि में कंपनी का नकदी प्रवाह और प्रतिफल अनुपात प्रभावित हो सकता है।’