वित्त-बीमा

RBI की कार्रवाई के बाद Navi Finserv ने 100 करोड़ रुपये की बॉन्ड जारी करने की योजना रद्द की

यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नवी फिनसर्व और तीन अन्य NBFC को ऊंची ब्याज दरों के कारण ऋण मंजूरी और वितरण पर रोक लगाने के बाद लिया गया है।

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सुब्रत पांडा   
Last Updated- October 21, 2024 | 5:25 PM IST

बेंगलुरु स्थित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) नवी फिनसर्व ने अपनी 100 करोड़ रुपये की बॉन्ड जारी करने की योजना रद्द कर दी है। इस मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, नवी फिनसर्व ने 27 महीने की अवधि वाले बॉन्ड के जरिए घरेलू ऋण बाजार से 100 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई थी, जिसे क्रिसिल द्वारा ‘A’ रेटिंग दी गई थी।

यह फैसला तब लिया गया है जब एक सप्ताह पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नवी फिनसर्व और तीन अन्य NBFC, जिनमें दो माइक्रोफाइनेंस संस्थान (MFIs) शामिल हैं, को ऊंची ब्याज दरों के कारण ऋण मंजूरी और वितरण पर रोक लगा दी थी। अन्य तीन कंपनियों में असिरवद माइक्रोफाइनेंस, आरोहन फाइनेंशियल सर्विसेज और DMI फाइनेंस शामिल हैं।

नवी फिनसर्व, जो डिजिटल-फोकस्ड NBFC है, पर्सनल और होम लोन की सुविधा देती है और इमरजेंसी मेडिकल खर्चों व छोटे बिजनेस की जरूरतों के लिए भी सेवाएं प्रदान करती है। फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक सचिन बंसल द्वारा समर्थित यह कंपनी अपने बिजनेस को हाईएस्ट स्टैंडर्ड, पारदर्शिता और बेहतरीन ग्राहक सेवा के साथ ऑपरेट करने के लिए कमिटेड है।

कंपनी ने बयान जारी कर कहा, “हम आरबीआई के निर्देशों की समीक्षा कर रहे हैं और सभी चिंताओं का तेजी से समाधान करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करेंगे।”

नवी फिनसर्व के लेंडिंग हेड शोभित अग्रवाल ने कहा कि कंपनी की लिक्विडिटी स्थिति मजबूत है और वर्तमान में बाहरी फंडिंग की कोई तत्काल आवश्यकता नहीं होने के कारण बॉन्ड जारी करने की योजना को रद्द करने का निर्णय लिया गया है।

8 अक्टूबर को मौद्रिक नीति वक्तव्य में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एनबीएफसी, विशेष रूप से एमएफआई, को अत्यधिक मुनाफे पर जोर देने को लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने ऊंची ब्याज दरों, अधिक प्रोसेसिंग फीस और अनुचित जुर्मानों पर चिंता जताई थी।

आरबीआई ने चार एनबीएफसी पर लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में कहा कि उसने अपनी निगरानी वाली संस्थाओं को बताया था कि उन्हें नियमों का सही और पारदर्शी तरीके से पालन करना चाहिए, खासकर छोटे ऋणों के लिए। हालांकि, निरीक्षण और डेटा विश्लेषण से यह सामने आया कि कुछ कंपनियां अभी भी अनुचित तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं।

आरबीआई ने स्पष्ट किया कि ये प्रतिबंध 21 अक्टूबर, 2024 के बाद से प्रभावी होंगे और कंपनियों को अपने मौजूदा ग्राहकों की सेवा देने या कलेक्शन और रिकवरी जारी रखने से नहीं रोकेंगे। इन प्रतिबंधों की समीक्षा तब की जाएगी, जब कंपनियां यह साबित करेंगी कि उन्होंने नियमों के अनुसार आवश्यक सुधार किए हैं, विशेष रूप से उनकी मूल्य निर्धारण नीति, जोखिम प्रबंधन, ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण प्रक्रियाओं में।

First Published : October 21, 2024 | 5:25 PM IST