वित्त-बीमा

Life Insurance: जीवन बीमा पॉलिसी कैंसिल करने के नियम बदले, बीमा कंपनियां परेशान

जीवन बीमा कंपनियां सरेंडर मूल्य मानकों के लिए नियामक से समयावधि विस्तार की मांग करेंगी

Published by
आतिरा वारियर   
सुब्रत पांडा   
Last Updated- July 31, 2024 | 7:34 AM IST

सरेंडर मूल्य मानकों को लागू करने के लिए जीवन बीमा कंपनियां, नियामक से 3 माह की समयावधि में विस्तार की मांग करने की योजना बना रही हैं। इस मामले से जुड़े कई सूत्रों ने यह जानकारी दी है। नए मानकों के कारण नई पॉलिसियां शुरू करने में सुस्ती आ सकती है, जिन्हें 30 सितंबर, 2024 से पहले लागू किया जाना आवश्यक है।

सूत्रों के मुताबिक बीमाकर्ताओं को ज्यादा वक्त की जरूरत होगी, क्योंकि वे सभी परंपरागत पॉलिसियों की समीक्षा करेंगे और इस पर डिस्ट्रीब्यूटरों के साथ बातचीत करेंगे, जो एक चुनौती है। जून में भारतीय जीवन बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने जीवन बीमा पॉलिसियों पर मास्टर सर्कुलर जारी किया था, जिसमें उन ग्राहकों को बेहतर भुगतान सुनिश्चित करने को लेकर मानक पेश किए थे, जो समय से पहले पॉलिसी से निकल जाते हैं।

संशोधित मानकों के मुताबिक उन जीवन बीमाकर्ताओं को पॉलिसी का पहला साल पूरा होने के बाद बढ़े स्पेशल सरेंडर वैल्यू (एसएसवी) का भुगतान करना होगा, जिन्होंने पूरे एक साल का प्रीमियम भरा है। इस समय कंपनियां पहले साल पॉलिसी से बाहर निकलने वाले पॉलिसीधारकों को ऐसी किसी राशि का भुगतान नहीं करतीं। इसके अलावा मानकों में कहा गया है कि एसएसवी की गणना करते समय पेड-अप वैल्यू में छूट की दर 10 साल के जी-सेक के यील्ड से 50 आधार अंक अधिक होगी।

नियामक द्वारा तय की गई समय सीमा के भीतर सभी परंपरागत पॉलिसियों को नए सरेंडर वैल्यू मानकों के मुताबिक करने और डिस्ट्रीब्यूटरों के साथ शर्तों पर नए सिरे से बातचीत बड़ी चुनौती है। एक सूत्र ने कहा कि ऐसे में उद्योग नए मानकों को लागू करने की समयावधि बढ़ाए जाने की मांग करने पर विचार कर रहा है।

एक अन्य सूत्र ने संकेत दिया कि बीमा कंपनियां सितंबर के अंत तक की समय सीमा में विस्तार की मांग कर सकती हैं, क्योंकि उद्योग को मौजूदा पॉलिसियों के मूल्य निर्धारण तथा उन्हें फिर से दाखिल करने में समय लगेगा। सूत्र ने कहा, ‘इसके अलावा इन पॉलिसियों को प्लेटफॉर्म से जोड़ने और इनके लिए डिस्ट्रीब्यूटरों को प्रशिक्षण देने में भी वक्त लगेगा। यह हर चीज का पूरी तरह से पुनर्गठन है।’

नए मानकों के कारण जीवन बीमा कंपनियों को अपनी मौजूदा पॉलिसियों को बंद करना होगा और तथा डिस्ट्रीब्यूटरों को दिए जाने वाले कमीशन भुगतान में बदलाव करके उन्हें पुनः पेश करना होगा। तमाम विश्लेषकों ने कहा कि जीवन बीमाकर्ताओं को नॉन लिंक्ड प्रोडक्ट्स पर ज्यादा सरेंडर वैल्यू का भुगतान करना होगा, ऐसे में ग्राहकों के लिए इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न (आईआरआर) घट सकता है।

एक जीवन बीमाकर्ता ने नाम न सार्वजनिक करने की शर्त पर कहा, ‘इस अवधि के दौरान उद्योग की ओर से नई पेशकश में सुस्ती आ सकती है और आगामी सितंबर के बाद और पॉलिसियां आ सकती हैं क्योंकि ज्यादातर बीमाकर्ता मौजूदा पॉलिसियों को नए मानकों के मुताबिक बनाने में लगे हुए हैं।’

केयरएज रेटिंग्स में एसोसिएट डायरेक्टर सौरभ भालेराव ने कहा, ‘उद्योग को 1 अक्टूबर 2024 से नए सरेंडर वैल्यू मानकों का अनुपालन करना है। इसमें समय का कुछ संकट हो सकता है क्योंकि कंपनियां नए सिरे से कीमत तय करने और पॉलिसियों की री-फाइलिंग करने में लगी हैं। नई पॉलिसियां पेश किए जाने में भी हम इस दौरान सुस्ती देख सकते हैं।’

First Published : July 31, 2024 | 7:08 AM IST