वित्त-बीमा

सरकारी बैंकों में ग्राहकों के साथ सहज व्यवहार की नजर आई कमी

नई दिल्ली में औचक निरीक्षण के दौरान एम. नागराजू को दिखी कई शाखाओं में लापरवाही और ग्राहक सेवा में भारी कमी

Published by
हर्ष कुमार   
Last Updated- May 06, 2025 | 10:45 PM IST

पिछले हफ्ते वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम. नागराजू ने नई दिल्ली में सरकारी बैंकों (पीएसबी) की शाखाओं का औचक निरीक्षण किया जो बेहद असामान्य बात थी। लेकिन इस दौरे ने उन्हें बेहद हैरान किया। उन्हें एक शाखा में बैंक मैनेजर से मिलने के लिए एक घंटे तक इंतजार कराया गया और उन्होंने देखा कि कई अन्य शाखाओं में बैंक अधिकारियों का ग्राहकों के प्रति असंतोषजनक व्यवहार है।

यह औचक निरीक्षण इस बात का जायजा लेने के लिए किया गया था कि सरकारी बैंकों में बैंक कर्मचारी, ग्राहकों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं और वे निजी बैंकों की तुलना में कहां पीछे साबित हो रहे हैं। एक सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘डीएफएस सचिव ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर पिछले हफ्ते नई दिल्ली में तीन प्रमुख सरकारी बैंक शाखाओं का दौरा किया। नई दिल्ली की एक प्रमुख शाखा में, डीएफएस सचिव को बैंक मैनेजर के सामने लगभग एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा जब तक कि उन्होंने अपनी पहचान नहीं बताई।

मैनेजर फोन पर व्यस्त थे।’सूत्र ने कहा कि निरीक्षण के दौरान डीएफएस सचिव को व्यवहार संबंधी कुछ गंभीर समस्याएं भी दिखीं। अधिकारी ने बताया, ‘डीएफएस सचिव ने बैंकों को ग्राहकों के प्रति अधिक विनम्र होने की सलाह दी है। वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी जांच की है कि बैंक जमीनी स्तर पर वित्तीय समावेशन योजनाओं को कैसे लागू कर रहे हैं।’ वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इस तरह के निरीक्षण पूरे देश की बैंक शाखाओं में किए जा सकते हैं। नागराजू को भेजे गए एक सवाल का खबर के लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कई मापदंडों में निजी बैंकों से पीछे रहे हैं। वित्त वर्ष 2025 की दिसंबर तिमाही में, सरकारी बैंकों ने 8.8 प्रतिशत की खुदरा जमा वृद्धि दर दर्ज की जबकि निजी बैंकों ने खुदरा जमाओं में 13.5 प्रतिशत की मजबूत दो अंकों की वृद्धि हासिल की। निजी बैंकों के खुदरा जमा में यह मजबूत वृद्धि, मुख्य रूप से सावधि जमा में वृद्धि के कारण हुई। वित्त वर्ष 2024 में, भारतीय रिजर्व बैंक के लोकपाल कार्यालय को सरकारी बैंकों के खिलाफ सबसे अधिक शिकायतें (38.32 प्रतिशत) मिलीं, जिसके बाद निजी क्षेत्र के बैंकों (34.39 प्रतिशत) का स्थान रहा।

सरकारी बैंक अपनी सेवाओं में पिछड़े होते हैं इस परंपरागत छवि को बदलने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले वर्ष अगस्त में सरकारी बैंकों को विशेष पहल शुरू करने के लिए कहा था ताकि ऋण-जमा में कम होते अंतर को देखते हुए ग्राहकों को जोड़कर जमाओं का दायरा बढ़ाया जा सके। मंत्री ने विशेष तौर पर बैंक प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि बैंक कर्मचारी ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में अपने ग्राहकों से संपर्क बनाने की कोशिश करें।

First Published : May 6, 2025 | 10:45 PM IST