अवीवा लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी बर्ट पैटर्सन का कहना है कि बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश के मानकों को सरल बनाने में हो रही देरी का बीमा उद्योग के विकास पर असर पड़ सकता है।
अवीवा इंश्योरेंस सम्मेलन में पैटर्सन ने कहा कि जीवन बीमा एक ऐसा क्षेत्र है जिसके विकास के लिए ज्यादा पूंजी की आवश्यकता होती है और भारत में जीवन बीमा क्षेत्र के प्रोमोटरों की बीमा के साथ ही बैंक और एसेट मैंनेजमेंट में गहरी रूचि है और इन सारे कारोबार में पूंजी की ज्यादा आवश्यकता होती है।
उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल भारतीय और वैश्विक बाजार भारी उतार चढ़ाव से गुजर रहे हैं जिसके कारण कंपनियों की बैलेंस शीट पर खासा दबाव बना हुआ है। पूरे विश्व में पूंजी की कमी की समस्या खड़ी हो रही है। बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा तय होने के कारण भारतीय प्रोमोटरों पर समाहित किए गए नई पूंजी का 74 प्रतिशत हिस्सा लाना एक मुश्किल काम हो गया है जो कि जीवन बीमा के कारोबार में तेजी लाने के लिए जरूरी है।
चूंकि सीलिंग को 49 प्रतिशत की सीमा तक नहीं बढाया जा रहा है जिसके कारण आनेवाले समय में जीवन बीमा के कारोबार को पूंजी की कमी का सामना करना पड़ सकता है जिससे कि कारोबार का विकास खटाई में पड़ सकता है। अवीवा भारत में एक एसेट मैंनेजमेंट कंपनी खोलने की योजना बना रही है।
पैटर्सन ने कहा कि हम भारत में अवीवा की तमाम क्षमताओं का इस्तेमाल करेंगे और ऐसट मैंनेजमेंट अवीवा की रणनीति का एक अभिन्न हिस्सा है जिसके बारे में हम योजनाओं पर काम कर रहें हैं और जल्द ही इसके बारे में हम कोई निर्णय लेनेवाले हैं। हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई समय सीमा बताने से इनकार कर दिया। अवीवा 316 अरब यूरो फंड अंडर मैंनेजमेंट वाली विश्व की सबसे बडी एसेट मैंनेजमेंट कंपनियों में से एक है।