सॉवरिन, पेंशन फंडों में निवेशकों का भरोसा बरकरार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:01 PM IST

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के सेगमेंट ने अपने भारतीय निवेश को बढ़ाया है, भले ही कुल बिकवाली रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है।
डिपोजिटरी आंकड़े के विश्लेषण से पता चलता है कि सॉवरिन वेल्थ फंडों और पेंशन फंडों से निवेश महामारी फैलने के बाद से 59-80 प्रतिशत बढ़ा है। उनके अधीन परिसंपत्तियां मजबूत बनी हुई हैं, भले ही बाजारों में गिरावट आई है और अन्य निवेशक अपने निवेश से बाहर निकल रहे हैं।
सॉवरिन वेल्थ फंड आगामी आकस्मिक अवसरों के लिए देश की पूंजी का निवेश करने पर जोर देते हैं। दुनिया में कुछ बड़े वेल्थ फंड नॉर्वे जैसे तेल उत्पादक देशों से हैं। पेंशन फंड अपनी पूंजी कर्मचारियों की सेवानिवृति के लिए निर्धारित करने की संभावना पर ध्यान देते हैं। कई विकसित देशों के बड़े पेंशन फंड हैं जिनमें अमेरिका में कैल्पर्स जैसे पेंशन फंड शामिल हैं। ये दो फंड श्रेणियां अक्सर लंबी अवधि की समय-सीमा में निवेश करती हैं। इन्हें उन अन्य विदेशी निवेशकों के मुकाबले पूंजी के मजबूत स्रोत के तौर पर देखा जाता है जिनकी निवेश अवधि संक्षिप्त हो सकती है।
सॉवरिन वेल्थ फंडों की कुल परिसंपत्तियां दिसंबर 2019 तक 1.8 लाख करोड़ रुपये पर थीं। वहीं सितंबर 2021 तक बढ़कर यह आंकड़ा 2.99 लाख करोड़ रुपये हो गया। सेंसेक्स को इसका व्यापक संकेतक माना जाता है कि बाजार कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं, और वह भी अक्टूबर में 62,245.43 की अपनी सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गया था। यह तब से 12.4 प्रतिशत गिरकर गुरुवार को 54,529.91 पर आ गया। इसमें से कुछ निकासी एफपीआई में 87,765 करोड़ रुपये पर आधारित थी, जो अब तक किसी वित्त वर्ष में सर्वाधिक है।
कुल एफपीआई निवेश में सॉवरिन वेल्थ फंडों की भागीदारी दिसंबर और जनवरी में करीब 6 प्रतिशत पर मजबूत बनी रही।
पेंशन फंडों का सॉवरिन वेल्थ फंडों के मुकाबले भारतीय इक्विटी में बड़ा निवेश है। उनकी परिसंपत्तियां दिसंबर 2019 के 2.4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर 2021 तक 4.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं। कुल पेंशन फंड इक्विटी निवेश जनवरी के अंत में 4.2 लाख करोड़ रुपये पर था। देश में कुल एफपीआई निवेश में इसका 8.84 प्रतिशत का योगदान था।
पेंशन फंडों की परिसंपत्तियां दिसंबर 2019 से 79.5 प्रतिशत बढ़ी हैं। सॉवरिन वेल्थ फंडों की पसिंपत्तियां समान अवधि में 59.2 प्रतिशत बढ़ीं। बीएसई का सेंसेक्स इस अवधि में 40.63 प्रतिशत बढ़ा था। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज म्युचुअल फंड की 24 फरवरी की समीक्षा रिपोर्ट में शोध विश्लेषक सचिन जैन द्वारा कहा गया कि घरेलू निवेशकों ने भी इस गिरावट में खरीदारी की है।
इसमें कहा गया, ‘कैलेंडर वर्ष 2022 के शुरू से ही बढ़ती मुद्रास्फीति/ब्याज दरों और यूक्रेन तथा रूस के बीच भू-राजनीतिक तनाव की वजह से बढ़े वैश्विक जोखिम से वैश्विक इक्विटी बाजारों में भारी गिरावट को बढ़ावा मिला है। घरेलू निवेशकों, खासकर म्युचुअल फंड समान अवधि के दौरान प्रमुख खरीदार रहे, जिससे एफपीआई द्वारा की गई भारी बिकवाली का दबाव कुछ हद तक कम करने में मदद मिली।’

First Published : February 27, 2022 | 11:32 PM IST