A K Purwar, Chairman and Independent Director, IIFL Finance
आईआईएफएल फाइनैंस गोल्ड लोन देने के मामले में नियामकीय प्रतिबंधों का सामना कर रही है। इन प्रतिबंधों के कारण आने वाली तिमाहियों में कारोबार पर 25 से 30 प्रतिशत तक का प्रभाव पड़ सकता है। इस सिलसिले में आईआईएफएल फाइनैंस के चेयरमैन एवं स्वतंत्र निदेशक एके पुरवार ने ईमेल के जरिये मनोजित साहा को साक्षात्कार दिया। पेश हैं, संपादित अंश :
भारतीय रिजर्व बैंक ने कई मानदंडों के उल्लंघन को उजागर किया है और आईआईएफएल को गोल्ड लोन को मंजूरी देने और वितरण रोकने के लिए कहा है। इन्हें पूरा करने के लिए बोर्ड ने क्या कदम उठाए हैं?
भारतीय रिजर्व बैंक निरीक्षणात्मक भूमिका के तहत नियमित रूप से जांच करता है। उन्होंने हाल ही में गोल्ड लोन संचालन में कुछ खामियां इंगित की थीं। आईआईएफएल ने गोल्ड लोन बिज़नेस में उद्योग के मानदंडों का पालन किया। रिजर्व बैंक के परिपत्र के बाद हमारे बोर्ड ने नियामक की टिप्पणियों की सावधानीपूर्वक समीक्षा की थी। इन निर्देशों का पूरा तरह पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
आरबीआई ने संचालन और प्रक्रिया संबंधित मामलों पर चिताएं जताई थीं। इस बारे में मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि हमारे कारोबार, संचालन व तकनीकी टीम के साथ-साथ हमारा प्रबंधन ने नियामकीय द्वारा उजागर सभी खामियों को दूर कर लिया है। आज की बात करें तो हम आरबीआई की जरूरतों का पूरी तरह अनुपालन कर चुके हैं।
आईआईएफएल का गोल्ड लोन कारोबार 25 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पर्याप्त रूप से फैला हुआ है। यह अपने 19 लाख से अधिक सक्रिय ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर रहा है। हमारे ज्यादातर उपभोक्ता गैर बैंक या अंडर बैंक खंड से हैं। इन ग्राहकों में छोटे किसान, श्रमिक और छोटे कारोबारी हैं।
हमारा गोल्ड लोन आमतौर पर अल्पकालिक प्रकृति के होते हैं। आरबीआईके हालिया परिपत्र का हमारे कारोबार पर आने वाली तिमाहियों में महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। हमारे कारोबार पर 25-30 फीसदी का प्रभाव पड़ेगा।
आरबीआई से रिपोर्ट हासिल होने के बाद हमारा ध्येय उजागर की गई खामियों को पूरी तरह दुरुस्त करने पर था और इन्हें समयबद्ध व सार्थक ढंग से दूर करना चाहते थे। हमारी कंपनी का वरिष्ठ प्रबंधन और वैधानिक लेखा परीक्षक अत्यधिक जवाबदेही वाले और प्रतिबद्ध विशेषज्ञ हैं। उन्होंने खामियों को चिह्नित किए जाने के बाद तेजी से सुधारात्मक कार्रवाई की।
स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्ष की समयसीमा और प्रतिबंध हटाने पर आरबीआई को कार्रवाई करनी है। मैं इस बारे में टिप्पणी करने में असमर्थ हूं।
हमने 23 जनवरी को प्राप्त हुई आरबीआई की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया पहले ही भेज दी है। हमने आरबीआई द्वारा उजागर की गई सभी खामियों को समुचित ढंग से हल किया है और स्पेशल ऑडिट के लिए भी तैयार हैं। हम नियामक के समक्ष संचालन और प्रक्रिया के उच्चतम मानदंडों को पेश करने के प्रयासों व गंभीरता के लिए प्रतिबद्ध हैं।