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मजबूत है आईडीएफसी

Last Updated- December 09, 2022 | 10:20 PM IST

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारत को अपने बु्नियादी ढांचे में मोटा निवेश करने की जरूरत है। इस बुरे वक्त में भी सरकारी राहत पैकेज का पूरा ध्यान बुनियादी ढांचे निर्माण की तरफ ही है।


दरअसल, इसी तरीके से हम अपनी विकास की रफ्तार में इजाफा कर सकते हैं और रोजगार की संभावनाओं का निर्माण कर सकते हैं। इस पंचवर्षीय योजना में भारत सरकार ने तरकरीबन 450 अरब डॉलर की रकम सिर्फ बुनियादी ढांचा निर्माण के लिए रखी है।

यह बताता है कि इस क्षेत्र में कितनी संभावनाएं हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनैंस कंपनी (आईडीएफसी) इस क्षेत्र की एक नामी-गिरामी कंपनी है, जो बुनियादी ढांचे निर्माण के लिए वित्त मुहैया करवाती है। सरकार को इस सेक्टर को तरजीह देने से सीधा फायदा इस कंपनी को होगा। 

दूसरी तरफ, अब यह कंपनी परिसंपत्ति प्रबंधन, इक्विटी ब्रोकिंग और इनवेस्टमेंट बैंकिंग की तरफ भी मुड़ चुकी है। इससे भी कंपनी को काफी फायदा हो रहा है।

मौके हैं कई

अब सरकार सीधे पैसे मुहैया नहीं करती, बल्कि यह लोगों से पैसे मुहैया करवाती है। इस वजह से बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाएं अब पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के रास्ते आएंगे।

इस वजह से आईडीएफसी जैसे खिलाड़ियों की चांदी हो जाएगी, जो कंपनियों के समूह को पैसे मुहैया करवाते हैं। असल में, प्राइवेट सेक्टर ने जिन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में हाथ डाला है, उनमें से औसतन 225 फीसदी के लिए पैसे आईडीएफसी ही मुहैया करवाता है। इसके तीन चौथाई ग्राहक ऊर्जा, परिवहन, दूरसंचार और आईटी से ताल्लुक रखते हैं।

दूसरे कारोबार भी हैं

अपने मुख्य कारोबार से इतर, आईडीएफसी ने तो अब इनवेस्टमेंट बैंकिंग, परिसंपत्ति प्रबंधन और प्रिसंपल इनवेस्टमेंट की तरफ भी ध्यान शुरू कर दिया है। आज की तारीख में आईडीएफसी की कुल कमाई में इनका हिस्सा अच्छा-खासा है।

हालांकि, पूंजी बाजार से जुड़े कारोबार पहले मोटा मुनाफा देने के लिए जाने जाते थे, लेकिन अब वे बाजार की उठा-पटक के शिकार हो चुके हैं। इसी वजह से उसके इनवेस्टमेंट बैंकिंग और ब्रोकिंग से जुड़े कारोबार ने भी वित्त वर्ष की पहली छमाही में कमाई में कम से कम 20 फीसदी की गिरावट दिखाई है।

खुशकिस्मती से परिसंपत्ति प्रबंधन का कारोबार इसके मुकाबले सुरक्षित होते हैं क्योंकि इसमें सालाना शुल्क जुड़ा हुआ होता है। मजे की बात यह है कि बाजार की कमजोर हालत में भी आईएफडीसी म्युचुअल फंड के तहत आई परिसंपत्ति की कीमत 63 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2.4 अरब डॉलर हो चुकी है। 

वित्तीय हालत

परियोजनाओं के लिए पैसों की मदद मांग और विकास की तरफ लक्षित नजरिये की वजह से पिछले दो सालों में आईडीएफसी की कर्ज देने की दर में 40.5 फीसदी का इजाफा हुआ है।

वैसे इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में उसके कर्ज देने की रफ्तार में सिर्फ 24 फीसदी का इजाफा आया। वजह थी, कम मांग और प्रबंधन का सावधानीपूर्ण रवैया।

First Published - January 18, 2009 | 9:31 PM IST

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