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RBI Repo Rate: बजट में राजकोषीय अनुशासन बनाए रखते हुए खपत को बढ़ावा देने के उपायों की घोषणा के बाद अब अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कदम उठाने की बारी केंद्रीय बैंक की है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति तकरीबन 5 साल में पहली बार रीपो दर में कटौती कर सकती है। 10 प्रतिभागियों के बीच बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में येस बैंक को छोड़कर बाकी सभी ने रीपो दर में कटौती की उम्मीद जताई है। प्रतिभागियों ने कहा कि आगमी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती की जा सकती है।
आरबीआई 7 फरवरी को मौद्रिक समीक्षा के निर्णय की घोषणा करेगा। मौद्रिक नीति समिति द्वारा मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 आधार अंक बढ़ाए जाने के बाद लगातार 11 बैठक में इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। कोविड-19 महामारी के दौरान मई 2020 में अंतिम बार रीपो दर में कटौती की गई थी।
वृद्धि दर में नरमी, मुद्रास्फीति घटने की उम्मीद और बजट में राजकोषीय कुशलता बरते जाने से दर में कटौती की संभावना दिख रही है। चालू वित्त वर्ष में जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 5.4 फीसदी रह गई थी जो सात तिमाही में सबसे कम है। सर्वेक्षण के प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई ने हाल में बैंकिंग तंत्र में नकदी बढ़ाने के जो उपाय किए हैं, उससे भी दर कटौती का संकेत मिलता है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि फरवरी में रीपो दर 25 आधार अंक घट सकती है क्योंकि मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम कम हुआ है। वित्त वर्ष 2026 में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 4 फीसदी रह सकती है। जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी से नीचे रह सकती है।’ उन्होंने कहा, ‘शहरी खपत कमजोर पड़ने और पूंजीगत खर्च में कमी से वृद्धि दर में नरमी के संकेत दिख रहे हैं। आम बजट में की गई घोषणाओं से खजाने पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, जो सकारात्मक है।’
दिसंबर में मुद्रास्फीति घटकर चार महीने में सबसे कम 5.22 फीसदी रही जो नवंबर में 5.48 फीसदी थी। खाद्य पदार्थों के दाम कम होने से मुद्रास्फीति में थोड़ी राहत मिली है। हालांकि दिसंबर में लगातार चौथे महीने खुदरा मुद्रास्फीति 5 फीसदी से ऊपर रही। खाद्य मुद्रास्फीति भी इस दौरान नरम पड़कर 8.4 फीसदी रह गई जो नवंबर में 9 फीसदी थी। चार महीने में पहली बार खाद्य मुद्रास्फीति 9 फीसदी से नीचे आई है।
हालांकि आरबीआई द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि और मुद्रास्फीति अनुमान में संशोधन की संभावना को लेकर प्रतिभागियों की राय बंटी थी। दिसंबर में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान पहले के 7.2 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया था जबकि मुद्रास्फीति अनुमान 4.5 फीसदी से बढ़ाकर 4.8 फीसदी कर दिया था। मौद्रिक नीति समिति ने अक्टूबर में नीतिगत रुख को बदलकर तटस्थ कर दिया था। प्रतिभागियों का कहना है कि फरवरी की बैठक में आरबीआई के रुख में बदलाव की उम्मीद नहीं है। वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए तटस्थ रुख से मौद्रिक नीति समिति को निर्णय लेने में ज्यादा लचीलापन मिलेगा।
ज्यादातर प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई द्वारा तरलता बढ़ाने के अतिरिक्त उपाय किए जाने की उम्मीद नहीं है। हालांकि पहले किए गए उपायों पर और स्पष्टता आने की उम्मीद है।
करूर वैश्य बैंक में ट्रेजरी हेड वी आर सी रेड्डी ने कहा, ‘आरबीआई नकदी बढ़ाने के उपाय पहले ही कर चुका है ऐसे में नकद आरक्षी अनुपात में एक बार फिर कटौती की उम्मीद नहीं है।’