facebookmetapixel
आपूर्ति के जोखिम और अमेरिका-चीन वार्ता की उम्मीद से तेल के भाव उछले, 62 डॉलर प्रति बैरल के पार8 साल में सबसे बेहतर स्थिति में ऐक्टिव ईएम फंड, 2025 में अब तक दिया करीब 26% रिटर्नडिजिटल युग में श्रम सुधार: सरकार की नई श्रम शक्ति नीति में एआई और कौशल पर जोरस्वदेशी की अब खत्म हो गई है मियाद: भारतीय व्यवसायों को प्रतिस्पर्धा करना सीखना होगा, वरना असफल होना तयकिसी देश में आ​र्थिक वृद्धि का क्या है रास्ता: नोबेल विजेताओं ने व्यवहारिक सोच और प्रगति की संस्कृति पर दिया जोरनिवेश के लिहाज से कौन-सा देश सबसे सुरक्षित है?म्युचुअल फंड उद्योग ने SEBI से नियमों में ढील की मांग की, AMCs को वैश्विक विस्तार और नए बिजनेस में एंट्री के लिए चाहिए छूटRBI की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा! SME IPOs में खतरे की घंटीRBI Gold Reserves: रिजर्व बैंक के पास 880 टन से ज्यादा सोना, वैल्यू 95 अरब डॉलरInfosys के प्रमोटर्स ने ₹18,000 करोड़ के शेयर बायबैक से खुद को अलग किया

High return bond: सरकार मिडिल क्लास के लिए लाने जा रही है हाई रिटर्न वाला बॉन्ड, महंगाई को देगा मात!

वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस बॉन्ड इश्यू पर पहले ही चर्चा कर चुके हैं और एक और दौर की बातचीत तब होगी जब नए RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा कार्यभार संभालेंगे।

Last Updated- December 10, 2024 | 7:09 PM IST
FPIs started withdrawing from domestic debt market, challenging start for Indian bond market देसी ऋण बाजार से हाथ खींचने लगे FPI, भारतीय बॉन्ड बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण शुरुआत

सरकार मिडिल क्लास के लिए एक नई सेविंग स्कीम लाने की तैयारी कर रही है। जिसमें बॉन्ड के जरिए ब्याज दरें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) से कहीं अधिक होंगी। यह स्कीम संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के खत्म होने के बाद लॉन्च हो सकती है, जिससे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में शामिल कर सकें। वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस बॉन्ड इश्यू पर पहले ही चर्चा कर चुके हैं और एक और दौर की बातचीत तब होगी जब नए RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा कार्यभार संभालेंगे।

सरकारी अधिकारी के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य यह है कि लंबे समय तक बचत करने के लिए उपलब्ध विकल्प कम हो गए हैं। पब्लिक सेक्टर की कंपनियों द्वारा टैक्स-सेविंग बॉन्ड बंद होने के कारण अब सिर्फ छोटे बचत विकल्प जैसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम और पोस्ट ऑफिस स्कीम ही खुली हैं।

Nabfid ला सकती है ये बॉन्ड स्कीम

यह स्कीम राष्ट्रीय बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट (Nabfid) द्वारा लाई जा सकती है। इस संस्था को सरकार का समर्थन प्राप्त है और यह बाजार से पूंजी जुटाने के लिए विभिन्न प्रकार के बॉन्ड जारी करने का अधिकार रखती है।

अधिकारी ने यह भी बताया कि अब ज्यादातर भारतीय शेयर बाजार में आ चुके हैं, खासकर डेरिवेटिव्स क्षेत्र में। यह चिंता की बात है, लेकिन हम समझते हैं कि उनके पास निवेश करने के लिए बहुत कम अच्छे विकल्प हैं।

अधिकारी ने कहा कि RBI राहत बॉन्ड और राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों द्वारा जारी किए गए दूसरे लॉन्गटर्म बॉन्ड्स भी इसी तरह के मॉडल हैं, जिनकी मियाद अब पूरी हो चुकी है या जिन्हें बंद कर दिया गया है। पहले ये बॉन्ड टैक्स-मुक्त होते थे, लेकिन अब नई कर व्यवस्था के कारण यह संभव नहीं है, क्योंकि अब सभी छूट खत्म हो चुकी हैं।

इसके परिणामस्वरूप, जो लोग सरकार समर्थित डेट सिक्योरिटीज में निवेश करना चाहते हैं, उनके पास अब सीमित विकल्प हैं। सरकार ने इस कमी को पूरा करने के लिए GOI सिक्योरिटीज और राज्य सरकार के सिक्योरिटीज का दायरा बढ़ाया है, लेकिन रिटेल सेक्टर में इन कागज़ात में रुचि कम रही है। नई स्कीम जैसे पेंशन या बीमा स्कीमओं में कुछ मांग बढ़ी है, लेकिन यह कुल मिलाकर विकल्पों की कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

हालांकि, अधिकारी के अनुसार घरेलू पैसे की मांग अभी भी मजबूत बनी हुई है, विशेष रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम को फंड करने के लिए। प्राइवेट सेक्टर को घरेलू निवेशकों से पैसा जुटाने की इच्छा है क्योंकि इसमें लागत विदेशी बाजारों से कम होती है।

वित्त मंत्रालय को हालिया घटनाओं से यह यकीन है कि सरकार के बॉन्ड प्रोडक्ट के लिए बाजार में रुचि है। उदाहरण के लिए, फिनटेक कंपनियां अब फिक्स्ड डिपॉजिट में दिलचस्पी ले रही हैं, क्योंकि वे अपनी वित्तीय सेवाओं की पेशकश को विस्तार दे रही हैं। कंपनियां जैसे Stable Money, Flipkart समर्थित super money और MobiKwik ने इस तरह की सेवाएं शुरू की हैं, जो विभिन्न अवधियों के लिए 9.5 प्रतिशत तक ब्याज दरें ऑफर करती हैं।

यह पहली बार है जब फिनटेक कंपनियां इस प्रकार के फिक्स्ड ब्याज प्रोडक्ट में रुचि दिखा रही हैं। स्मॉल फाइनेंस बैंकों, जमा लेने वाली नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों और कमर्शियल बैंकों के साथ साझेदारी में भी ये कंपनियां बाजार की संभावना का पता लगा रही हैं।

यह नया बॉन्ड वित्त मंत्रालय की स्कीम के हिसाब से है, जिसमें बॉन्ड, कॉर्पोरेट पेपर और डेरिवेटिव्स (BCD) को मिलाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, अच्छे कागज की कमी के कारण इसे अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। भारत ने कई सालों से इसे लागू करने की कोशिश की, लेकिन रिटेल निवेशकों की तरफ से टैक्स लाभ न मिलने के कारण कम रुचि रही।

First Published - December 10, 2024 | 7:09 PM IST

संबंधित पोस्ट