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टैक्स सेविंग्स के साथ अच्छा रिटर्न! ELSS में मिल सकता है डबल फायदा, निवेश से पहले समझें रिस्क-रिटर्न की हर बारीकी

ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) टैक्स बचत करने वाले प्रोडक्ट्स में सबसे छोटा लॉक-इन पीरियड ऑफर करती है।

Last Updated- February 06, 2025 | 11:10 AM IST
ELSS
Representative image

Mutual Fund ELSS: वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग तीन-चौथाई टैक्सपेयर्स ने अपना इनकम टैक्स रिटर्न नए टैक्स सिस्टम में फाइल किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में नए सिस्टम में टैक्स-फ्री इनकम की लिमिट बढ़ाकर ₹12 लाख (सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए ₹12.75 लाख) कर दी है। इससे उम्मीद है कि ज्यादा लोग ओल्ड टैक्स सिस्टम को छोड़कर न्यू सिस्टम में शिफ्ट होंगे। हालांकि, इससे इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS) जैसे टैक्स बचाने वाले ऑप्शंस की डिमांड कम हो सकती है। लेकिन जो लोग पुराने सिस्टम में रहेंगे, उनके लिए ELSS अभी भी एक अच्छा ऑप्शन रहेगा।

कौन सा टैक्स सिस्टम आपके लिए सही है, ये समझने के लिए किसी टैक्स एक्सपर्ट से सलाह लें। अगर पुराना सिस्टम आपके लिए सही है, तो अपनी टैक्स सेविंग्स की प्लानिंग करें।

1 फाइनेंस की सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट Rajani Tandale ने कहा, “एम्प्लॉइज प्रॉविडेंट फंड (EPF) कंट्रीब्यूशन्स, इंश्योरेंस प्रीमियम और बाकी डिडक्शंस को चेक करें। ELSS में तभी इन्वेस्ट करें जब धारा 80C की ₹1.5 लाख की लिमिट पूरी न हो रही हो।”

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ELSS: कम लॉक-इन और बेहतर रिटर्न

ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) टैक्स बचत करने वाले प्रोडक्ट्स में सबसे छोटा लॉक-इन पीरियड ऑफर करती है। Tandale ने कहा, “ELSS में सिर्फ 3 साल का लॉक-इन होता है, जबकि टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए 5 साल और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में 15 साल का लॉक-इन पीरियड होता है।”

ELSS ने लंबे समय में फिक्स्ड इनकम विकल्पों से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है। मनीफ्रंट के को-फाउंडर और सीईओ Mohit Gang ने कहा, “ELSS का रिटर्न आमतौर पर 10 से 15 प्रतिशत सालाना रहता है।”

लॉक-इन पीरियड निवेशकों को मुश्किल समय में भी निवेश बनाए रखने में मदद करता है। पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अभिषेक तिवारी ने बताया, “वोलाटाइल मार्केट में बने रहने से लंबे समय में निवेशकों को फायदा होता है।”

SIP से लागत का औसत

SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए निवेश करने से निवेश की लागत औसत हो जाती है। लैडरअप वेल्थ मैनेजमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर रघवेंद्र नाथ ने कहा, “सेक्टर्स और अलग-अलग मार्केट कैप में डाइवर्सिफाइड स्टॉक्स का पोर्टफोलियो इंडिविजुअल स्टॉक्स के जोखिम को कम करता है।”

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बाजार में उतार-चढ़ाव का असर

ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) में इक्विटी के अधिक एक्सपोजर की वजह से निवेशकों को बाजार में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। नाथ का कहना है, “इक्विटी में निवेश की वजह से शॉर्ट टर्म में इन्वेस्टमेंट की वैल्यू में बड़े उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। यहां तक कि मार्केट डाउन होने पर नेगेटिव रिटर्न भी मिल सकते हैं।”

फंड का अस्थिरता लेवल उसकी कंपोजिशन पर डिपेंड करता है। Tandale बताते हैं, “कुछ फंड्स में मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स का ज्यादा एक्सपोजर होता है, जो हाईली वोलटाइल हो सकते हैं।”

SIP करने वाले निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए कि वे तीन साल से पहले अपनी पूरी इन्वेस्टमेंट नहीं निकाल सकते। तंडाले कहते हैं, “हर SIP इंस्टॉलमेंट तीन साल की लॉक-इन अवधि में फंसा होता है, जिसे बहुत से निवेशक इग्नोर कर देते हैं।”

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क्या आपको ELSS में इन्वेस्ट करना चाहिए?

ELSS में वही लोग इन्वेस्ट करें जो मार्केट वोलटिलिटी को झेलने की कैपेसिटी रखते हैं। नाथ कहते हैं, “जिनकी रिस्क टॉलरेंस मीडियम से हाई है, उनके लिए ELSS एक अट्रैक्टिव ऑप्शन हो सकता है।”

नए टैक्स सिस्टम में ELSS की कम होगी डिमांड

नया टैक्स सिस्टम अपनाने वाले इन्वेस्टर्स के लिए ELSS उतना अट्रैक्टिव नहीं रहेगा। गैंग के अनुसार, “नए टैक्स सिस्टम में अन्य इक्विटी म्यूचुअल फंड्स ज्यादा बेहतर ऑप्शन होंगे क्योंकि वे ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी ऑफर करते हैं।” पुराने टैक्स सिस्टम में भी जो लोग ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते, उन्हें ELSS से दूर रहना चाहिए।

ELSS: निवेश से पहले जानें जरूरी बातें

ELSS में निवेश करने पर कम से कम सात साल का लॉन्ग टर्म कमिटमेंट आवश्यक होता है। जो लोग इस साल पुरानी टैक्स व्यवस्था से नई टैक्स व्यवस्था में जा रहे हैं, उन्हें अपने SIP योगदान को रोक देना चाहिए। ELSS की लॉक-इन अवधि खत्म होने के बाद निवेशकों को इससे बाहर निकलने की छूट होती है। अगर फंड का प्रदर्शन अच्छा है तो निवेश बनाए रखें, लेकिन अगर फंड उम्मीद के मुताबिक रिटर्न नहीं दे रहा है तो बाहर निकलने पर विचार करें। रिडेम्पशन (निवेश निकालना) करते समय टैक्स प्रभाव को कम करने के लिए इसे धीरे-धीरे करना चाहिए।

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First Published - February 6, 2025 | 10:35 AM IST

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