वित्त-बीमा

Gold Loan: सोने के बदले कर्ज देने पर सख्ती, नहीं मिलेगा 20,000 से ज्यादा उधार

Gold Loan: कोविड महामारी के बाद गोल्ड फाइनैंस कंपनियों का कारोबार रिकॉर्ड तेजी से बढ़ा है। नियामक की चिंता में से एक यह भी है कि एनबीएफसी मानक से बहुत ज्यादा नकदी दे रहे हैं।

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मनोजित साहा   
Last Updated- May 15, 2024 | 9:29 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से गोल्ड लोन कारोबार में कर्ज और मूल्य के अनुपात (लोन टु वैल्यू रेश्यो), नीलामी प्रक्रिया और नकदी देने को लेकर मानकों का पालन करने को कहा है। रिजर्व बैंक को शिकायत मिली थी कि कुछ कंपनियां नियामकीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रही हैं, उसके बाद रिजर्व बैंक ने निर्देश दिए हैं।

आईआईएफएल फाइनैंस को नियमों का उल्लंघन करने के बाद नियामकीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद नियामक ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के गोल्ड लोन कारोबार का जायजा लिया है।

कोविड महामारी के बाद गोल्ड फाइनैंस कंपनियों का कारोबार रिकॉर्ड तेजी से बढ़ा है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक यह मार्च 2020 के 34,678 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2023 में 1.31 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

गोल्ड लोन देने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को पिछले सप्ताह भेजे गए पत्र में नियामक ने उनसे कहा है कि आईटी ऐक्ट के प्रावधानों को देखते हुए 20,000 रुपये से ज्यादा नकदी जारी न करें। नियामक की चिंता में से एक यह भी है कि एनबीएफसी मानक से बहुत ज्यादा नकदी दे रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि तमाम गोल्ड फाइनैंस कंपनियां नकदी जारी करने वाले हिस्से के नियमों का उल्लंघन कर रही हैं और वे ऋण की कुल राशि के 40 से 50 फीसदी तक नकद दे रही हैं। सोने के बदले कर्ज देने वाली कंपनियों के ऋण का औसत आकार 50,000 रुपये है।

एक सूत्र ने कहा, ‘पहले भी मानकों के उल्लंघन हुए थे, लेकिन संभवतः अंतर मामूली था। इसके कारण नियामक को कोई समस्या नहीं थी क्योंकि यह अनुमति प्राप्त सीमा के भीतर था। बहरहाल अब वे सख्ती से मानकों के पालन पर जोर दे रहे हैं।’

मार्च महीने में रिजर्व बैंक ने पर्यवेक्षी चिंताओं और ग्राहकों के हितों की रक्षा का ध्यान रखते हुए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी आईआईएफएल फाइनैंस पर नए गोल्ड लोन स्वीकृत करने और देने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसी तरह से ऋण और उसके मूल्य के अनुपात की सीमा एनबीएफसी के लिए 75 फीसदी तय की गई है। नियामक ने इन फर्मों से कड़ाई से इसका पालन करने को कहा है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि किसी तरह के उल्लंघन की स्थिति में इकाइयां सुधारात्मक कदम उठाएं।

दास ने अप्रैल की मौद्रिक नीति की घोषणा के समय संवाददाताओं से बातचीत के दौरान एनबीएफसी पर प्रतिबंधों के बारे में पूछे जाने पर कहा था, ‘मैं साफ करना चाहूंगा कि रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों या एनबीएफसी या कर्जदाताओं के पर्यवेक्षण का काम किया जाता है और हम नियमित रूप से उनका पर्यवेक्षण करते हैं। जब भी हम देखते हैं कि अनुपालन और नियामकीय जरूरतों में कोई बड़ा अंतर आया है तो हमारी पहली कवायद होती है कि इससे सीधे या उनके साथ द्विपक्षीय तरीके से निपटा जाए, उन्हें संवेदनशील बनाया जाए और उन्हें सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया जाए।’

दास ने कहा, ‘उनके साथ काम करने पर अगर संतोषजनक प्रगति नहीं होती है तो सबसे पहले हम पर्यवेक्षी प्रतिबंध लागू करते हैं, लेकिन पर्यवेक्षण के हिस्से के रूप में हम नियमित रूप से व्यवस्था की निगरानी करते हैं और बड़े कारोबारियों की समीक्षा करते हैं। ऐसे में मैं यह नहीं कहूंगा कि व्यवस्था में कोई व्यापक समस्या है, क्योंकि हम हर इकाई की निगरानी करते हैं। हम बाहरी मामलों में कार्रवाई करते हैं।’

कर्ज का भुगतान न करने की स्थिति में सोने की नीलामी एक अन्य क्षेत्र है, जिसे लेकर नियामक एनबीएफसी को प्रोत्साहित कर रहा है कि वे पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करें।

सूत्रों ने कहा कि रिजर्व बैंक ने जोर दिया है कि वह व्यक्ति, जिसके सोने की नीलामी की जा रही है, उसे की जा रही पहल के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसके साथ ही नीलामी तालुका के स्तर पर कराई जानी चाहिए, जिससे वह व्यक्ति नीलामी के दौरान भौतिक रूप से उपस्थित रह सके।

First Published : May 15, 2024 | 9:29 PM IST