जब लोग कोरोनावायरस के हमले से घबराकर घरों में दुबक गए थे तब उन पर दूसरी किस्म के हमले का खतरा बढ़ गया। यह साइबर हमला या साइबर धोखाधड़ी है, जिसका खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसे देखकर भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने हाल ही में आदर्श साइबर बीमा पॉलिसी दिशानिर्देश जारी किए, जो सामान्य बीमा करने वाली कंपनियों के लिए हैं। विनियामक ने बीमा कंपनियों ने साइबर धोखाधड़ी, अनधिकृत लेनदेन, ईमेल स्पूफिंग आदि के जरिये होने वाले माली नुकसान के लिए बीमा कवर मुहैया कराने को कहा है।
साइबर हमलों की समस्या कितनी गंभीर है, यह खुद आईआरडीएआई ने बताया है। उसके दस्तावेज बताते हैं कि मार्च, 2020 से अभी तक साइबर जोखिम 500 फीसदी बढ़ चुका है। ऐसे में व्यक्ति और संस्थाएं अगर साइबर धोखाधड़ी, डेटा चोरी, मैलवेयर आदि के खतरे से बचना चाहते हैं तो साइबर बीमा उनके लिए सबसे अच्छा उपाय है।
टीएसए लॉ के पार्टनर उत्सव त्रिवेदी कहते हैं, ‘इस दुनिया से हम पेगासस जैसे खतरे को पूरी तरह खत्म तो शायद कभी नहीं कर पाएं मगर अच्छे बीमा से यह पक्का हो जाएगा कि नुकसान के बराबर भरपाई हो जाए और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की वर्तमान व्यवस्था में ऐसी भरपाई की कोई व्यवस्था नहीं है। निजी जानकारी संरक्षा विधेयक, 2019 को अमली जामा पहनने में अभी वक्त लग जाएगा, इसलिए अच्छी तरह से तैयार की गई साइबर बीमा पॉलिसी नागरिकों को नुकसान की कुछ हद तक वित्तीय भरपाई में मदद करेगी।’
क्या है साइबर बीमा
इंटरनेट की पैठ बढऩे के साथ ही डिजिटल दुनिया में मौजूद हरेक व्यक्ति पर खतरे मंडराने लगे हैं। साइबर दुनिया में मौजूद खतरे अब हर किसी के सामने खड़े हैं। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के मुख्य तकनीकी अधिकारी टीए रामलिंगम बताते हैं, ‘साइबर बीमा विभिन्न प्रकार के साइबर हमलों और खतरों से सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही अगर कोई अहम, वित्तीय अथवा संवेदनशील जानकारी चुरा ली जाती है या गलत तरीके से इस्तेमाल कर ली जाती है तो उस सूरत में होने वाले नुकसान की चोट कम करने में भी इससे मदद मिलती है।’
कौन दे रहा बीमा
अभी बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और एचडीएफसी अर्गो जैसी कुछ कंपनियां ही व्यक्तियों को इस प्रकार की बीमा पॉलिसी दे रही हैं। सभी की बीमा पॉलिसी कमोबेश एक जैसी ही हैं, लेकिन कुछ बातों में फर्क हो सकता है।
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस में प्रमुख (अंडरराइटिंग, दावे एवं पुनर्बीमा) संजय दत्ता बताते हैं, ‘साइबर बीमा पॉलिसी में साइबर हमले के कारण हुए विभिन्न प्रकार के नुकसान के बदले ग्राहक को मुआवजा देने के मकसद से फस्र्ट और थर्ड पार्टी बीमा प्रदान किया जाता है।’ वह कहते हैं कि इन पॉलिसी के तहत ग्राहक को फोरेंसिक खर्च, डेटा फिर से हासिल करने में हुए खर्च, बचाव में हुए खर्च आदि का भुगतान किया जाता है। हर बीमा योजना में कुछ सब-लिमिट, कुछ शर्तों और खर्च में होने वाली कुछ कटौती के बारे में पहले ही बता दिया जाता है। हरेक कंपनी की बीमा पॉलिसी में ये तीनों अलग-अलग होते हैं। कुछ बीमा कंपनियां व्यक्तियों को ये पॉलिसी देती हैं और कुछ कंपनियां इन्हें पारिवारिक बीमा यानी फैमिली कवर के तौर पर बेचती हैं।
बीमा में क्या शामिल
साइबर धोखाधड़ी के कारण पॉलिसीधारक को होने वाला वित्तीय नुकसान इस पॉलिसी में कवर किया जाता है। यदि कोई तीसरा पक्ष इंटरनेट पर रकम ट्रांसफर करने, खरीदारी करने या रकम निकासी करने के लिए पॉलिसीधारक के बैंक खाते, क्रेडिट अथवा डेबिट कार्ड और मोबाइल वॉलेट का धोखे से इस्तेमाल करता है तो उससे हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी के द्वारा की जाएगी। पॉलिसीएक्स डॉट कॉम के संस्थापक एवं मुख्य कार्य अधिकारी नवल गोयल समझाते हैं, ‘इसमें रैंसमवेयर या साइबर वसूली, ईमेल स्पूफिंग और फिशिंग के लिए भी बीमा कवर मिलता है। साथ ही पहचान चुराए जाने और इंटरनेट पर पीछा किए जाने से जुड़े मामलों में पॉलिसीधारक को बचाव पर तथा कानूनी प्रक्रिया पर जो भी खर्च करना पड़ता है, वह बीमा कंपनी से वापस मिल जाता है। इसी तरह डेटा दोबारा हासिल करने अथवा कंप्यूटर प्रोग्राम दोबारा इंस्टॉल करने पर आने वाला खर्च भी बीमा कंपनी देती है।’
साइबर हमले के शिकारों को कई बार मानसिक तनाव और घबराहट भी हो जाती है, जो उन्हें बेहुत परेशान करती है। ऐसी सूरत में उन्हें मनोचिकित्सक से सलाह लेनी पड़ सकती है। कुछ बीमा कंपनियां ऐसी सलाह या परामर्श पर होने वाला खर्च भी पॉलिसीधारक को लौटा देती हैं। इन पॉलिसियों में आम तौर पर दुनिया भर में होने वाली ऑनलाइन धोखाधड़ी एवं अपराध के कारण हुए नुकसान को कवर किया जाता है।
सभी घरेलू डिवाइस शामिल
दत्ता बताते हैं, ‘रिटेल साइबर बीमा में घरेलू व्यक्तिगत उपकरणों को कवर किया जाता है, जो किसी व्यक्ति अथवा उसके परिवार के सदस्यों के होते हैं और जिनका इस्तेमाल केवल निजी कामकाज के लिए किया जाता है।’ कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें स्मार्टफोन, थर्मोस्टेट, सिक्योरिटी सिस्टम जैसे घरेलू उपकरणों को सुरक्षा प्रदान की जाती है चाहे वे खरीदे गए हों अथवा किराये पर लिए गए हों। यदि उन पर किसी वायरस का हमला होने की बात साबित हो जाती है तो साइबर बीमा पॉलिसी की मदद से नुकसान के बदले वित्तीय मुआवजा हासिल हो जाता है। गोयल कहते हैं, ‘वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम के इस दौर में ये बीमा पॉलिसियां बहुत मददगार हैं क्योंकि लोग अपना पेशेवर काम घरों से ही कर रहे हैं और उसके लिए उन्हें पहले से ज्यादा सुरक्षा की दरकार है।’
पॉलिसी में खर्च
बुनियादी पॉलिसी लेने में आपको उतनी रकम ही खर्च करनी पड़ेगी, जितनी आप नेटफ्लिक्स के सालाना सबस्क्रिप्शन पर खर्च करते हैं। पॉलिसी में आपके द्वारा चुनी गई बीमित राशि के हिसाब से आपको 600 रुपये से लेकर 9,000 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। बीमित राशि भी अलग-अलग बीमा कंपनी के हिसाब से अलग-अलग होती है। रामलिंगम बताते हैं कि बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस की साइबर बीमा पॉलिसी में 1 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की राशि का बीमा कराया जा सकता है।
ध्यान रहें ये बातें
सबसे पहले तो पॉलिसी लेने से पहले आपको उसकी सभी बारीकियों और विशेषताओं को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। हो सकता है कि कोई बीमा कंपनी मैलवेयर के हमले को अपनी मुख्य पॉलिसी में शामिल कर रही हो मगर दूसरी कंपनी उसके लिए आपको ऐड-ऑन पॉलिसी खरीदने के लिए कह सकती है। ऐसा हुआ तो आपको ज्यादा रकम चुकानी पड़ जाएगी।
साथ ही सब-लिमिट को भी अच्छी तरह जान लीजिए। हो सकता है कि कुछ पॉलिसियों में सोशल इंजीनियरिंग धोखाधड़ी होने पर बीमित राशि की केवल 15 फीसदी रकम दी जा रही हो। रामलिंगम की सलाह है, ‘पॉलिसी लेने से पहले उसमें दिए गए कवरेज और एक्सक्लूजन की फेहरिस्त अच्छी तरह पढ़ लेनी चाहिए ताकि यह पक्का हो जाए कि ग्राहक की सभी जरूरतें पॉलिसी से पूरी हो रही हैं।’
एक अहम बात यह भी है कि साइबर बीमा ही काफी नहीं है। इसलिए इंटरनेट से जुड़े अपने सभी उपकरणों की सुरक्षा के लिए मजबूत एंटीवायरस होम सिक्योरिटी प्रणाली जरूर खरीद लें। इसकी कीमत 500 रुपये से 10,000 रुपये तक होती है।