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भारतीय रिजर्व बैंक के नवंबर के सर्वेक्षण के मुताबिक भारतीय परिवारों को लगता है कि आगे महंगाई और बढ़ेगी। इसके साथ ही कमजोर धारणा के चलते उपभोक्ताओं के आत्मविश्वास को भी झटका लगा है। नवंबर के सर्वेक्षण के दौरान मौजूदा महंगाई को लेकर परिवारों की औसत धारणा में 30 आधार अंकों की बढ़ोतरी हुई और यह 8.4 प्रतिशत हो गई जो सितंबर 2024 के सर्वेक्षण के चरण के दौरान 8.1 फीसदी थी।
तीन महीने की अवधि के लिए औसत मुद्रास्फीति प्रत्याशा में 10 आधार अंकों की कमी आई और यह 9.1 फीसदी हो गई जबकि एक वर्ष आगे की अवधि के लिए इसमें 10 आधार अंकों की तेजी आई और यह 10.1 फीसदी हो गई।
परिवारों को महंगाई को लेकर कैसी उम्मीदें हैं इसके लिए आरबीआई ने 2 से 11 नवंबर, 2024 को नया सर्वेक्षण कराया जिसमें 19 बड़े शहरों के 6,091 लोगों ने हिस्सा लिया। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि इस सर्वेक्षण में महिलाओं की भागीदारी 52.9 प्रतिशत थी। आरबीआई के सर्वेक्षण से यह अंदाजा मिलता है कि सितंबर 2024 के चरण की तुलना में नवंबर के सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों में एक बड़े वर्ग को ऐसा लगता है कि नए साल में कीमतें और महंगाई दोनों ही बढ़ेंगी। यह बढ़ोतरी मुख्य तौर पर खाद्य वस्तुओं और घर से जुड़े खर्चों के बढ़ते दबाव की वजह से होगी।
इस बीच उपभोक्ता आत्मविश्वास सर्वेक्षण से यह अंदाजा मिला है कि सर्वेक्षण के प्रतिभागियों की मौजूदा कमाई की धारणा में भले ही कमी आई हो लेकिन उन्हें इस बात की बड़ी उम्मीद है कि भविष्य में आमदनी बढ़ेगी रोजगार की स्थिति में भी सुधार आएगा।
परिवारों को ऐसा लगता है कि एक साल की अवधि के दौरान बेहद जरूरी और गैर-जरूरी खर्च बढ़ेंगे। हालांकि उन्होंने आगे के वर्ष के लिए कीमतों को छोड़कर प्रमुख आर्थिक मापदंड के लिए अधिक आशावादी होने के संकेत दिए हैं। इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि ताजा सर्वेक्षण में भविष्य प्रत्याशा सूचकांक (एफईआई) में सुधार हुआ और यह 121.9 हो गया जो सितंबर में 121.4 था।