भारत में साल 2028-29 तक डिजिटल वित्तीय लेनदेन की संख्या 481 अरब हो जाएगी, जो साल 2023-24 में 159 अरब थी। पीडब्ल्यूसी इंडिया की एक रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। कंसल्टेंसी फर्म ने बुधवार को अपनी ‘द इंडियन पेमेंट्स हैंडबुक 2024-29’ में कहा है कि इस दौरान डिजिटल भुगतान का मूल्य 265 लाख करोड़ रुपये से दोगुना होकर 593 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से लेनदेन की मात्रा 57 फीसदी तक बढ़ जाएगी। वित्त वर्ष 2029 तक यूपीआई लेनदेन की संख्या मौजूदा 131 अरब से बढ़कर 439 अरब हो जाएगी।
भारत में कुल खुदरा डिजिटल भुगतान में यूपीआई की 80 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है और इसके साल 2028-29 तक बढ़कर 91 फीसदी होने की उम्मीद है। यूपीआई के पांव पसारने के बीच क्रेडिट कार्ड की पकड़ भी बरकरार रहेगी। साल 2023-24 में इस उद्योग ने 1.6 करोड़ से अधिक नए क्रेडिट कार्ड जारी किए थे, जिससे कुल क्रेडिट कार्ड की संख्या 10 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नए कार्ड के जारी होने के साथ उद्योग में लेनदेन की मात्रा में 22 फीसदी और मूल्य में 28 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया।’ साथ ही कहा गया है कि साल 2028-29 तक क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेनदेन की संख्या भी 20 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
दूसरी ओर, कार्डधारकों की बदलती प्राथमिकताओं से डेबिट कार्ड से होने वाले लेनदेन की मात्रा और मूल्य दोनों में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2022 में डेबिट कार्ड से लेनदेन की मात्रा 3.94 अरब थी, जो वित्त वर्ष 2024 में घट कर 2.29 अरब रह गई।