मैं आठ हजार रुपए हर महीने एसआईपी के जरिए करीब नौ म्युचुअल फंडों में निवेश करता हूं। मैं यह निवेश मध्यम से लंबी अवधि के लिए करता हूं।
मैं पहले फिडेलिटी में काम करता था। इसीलिए मैं फिडेलिटी फंड ज्यादा पसंद करता हूं।
मैं हर साल अपने निवेश का आकार 15 फीसदी से बढ़ाना चाहता हूं और साल 2020 (जब मैं चालीस साल का हो जाऊंगा) तक अपना कोष एक करोड़ रुपए का करना चाहता हूं और 2030 तक चार करोड़ का।
कृपया बताएं मेरे निवेश का मौजूदा आकार और कंपोजीशन मेरे इस मकसद को पूरा कर पाने में सक्षम होगा?
कुणाल
प्रोफाइल
आयु- 27 साल
वेतन- 50,000 रु.
जीवन बीमा- 10 लाख रु.
दुर्घटना बीमा- 30 लाख रु.
बैंक बैलेंस- 80,000
शेयर – 1,80,000 रु.
म्युचुअल फंड- 1,80,000
मासिक एसआईपी- 8,000 रु.
बहुत खूब कुणाल। जहां तक शुरुआत का सवाल है, आप बहुत सही ट्रैक पर हैं। और मेरा विश्वास करें, हम इसलिए ऐसा कह रहे हैं क्योंकि ज्यादातर निवेशक इसी पहले कदम में गलती करते हैं।
आपके पहले दो कदम, एसआईपी के जरिए निवेश और गुणवत्ता वाले फंड में निवेश यह सुनिश्चित करेगा कि आपके वित्तीय गोल की ओर आपका सफर काफी आसान होगा। आपका मौजूदा म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो काफी आकर्षक है। आप हर महीने कुछ अच्छे फंडों में एक ठीकठाक रकम का निवेश कर रहे हैं।
इसके अलावा हर साल निवेश पंद्रह फीसदी बढ़ाना भी काफी सही फैसला है। यह कदम आपको लक्ष्य की ओर ले जाने में मदद करेगा। लेकिन इससे पहले कि हम यह चर्चा करें कि आप अपने लक्ष्य को कैसे हासिल करेंगे, हम पहले कुछ फंडामेंटल बातों पर गौर करेंगे जो आपके पोर्टफोलियों में नहीं दिख रही हैं।
आपके पोर्टफोलियो से साफ है कि आप नए एसआईपी शुरू करने पर नए फंड खरीदने का इरादा रखते हैं। आपके पोर्टफोलियो में डेट की हिस्सेदारी नहीं है। आपका झुकाव एक ही फंड हाउस की ओर ज्यादा है।
ये ऐसे कारक हैं जो आपके लक्ष्य की ओर जाने में अड़चन पैदा कर सकते हैं। लिहाजा, आप इससे ऐसे निपट सकते हैं। पहले तो यह समझ लें कि एसआईपी के जरिए निवेश करना तभी फायदेमंद है जब आप कुछ ही फंडों में लंबे समय के लिए निवेश करें।
एक बार एसआईपी की अवधि खत्म होने पर, आपको फिर इसे किसी नए फंड से नहीं शुरू करना चाहिए जबतक कि आपका मौजूदा फंड अनुचित न साबित हो रहा हो या उसका प्रदर्शन ठीक नहीं हो। नए फंड चुनने से आपका पोर्टफोलियो बेवजह बडा होगा। एक आदर्श पोर्टफोलियो वही है जिसमें कुछ ही फंड हों, वह भी अच्छे।
दूसरी बात पर आते हैं। आपके मौजूदा असेट एलोकेशन ब्रेकअप से साफ है कि डेट में आपका एक्सपोजर केवल 1.03 फीसदी है। आपके पोर्टफोलियो का प्रदर्शन पूरा-पूरा शेयर बाजार पर निर्भर है क्योंकि इक्विटी फंडों के जरिए इक्विटी मंर ज्यादा एक्सपोजर है।
यह जोखिम भरा है। पोर्टफोलियो में ऋण योजनाएं रखने से शेयर बाजार की गिरावट के साथ आपका रिटर्न नहीं गिरेगा। लिहाजा, हमारी राय है कि आप कोई मीडियम टर्म का डेट फंड जैसे कोटक फ्लेक्सी डेट, बिड़ला सन लाइफ डायनमिक बॉन्ड फंड, फोर्टिस फ्लेक्सी डेट या आईजीएफसी डाइनामिक बॉन्ड फंड में भी निवेश करें।
और आखिर में, एक निवेशक को समझना चाहिए कि डाइवर्सिफिकेशन निवेश का एक अहम अंग है। निवेश को अलग अलग तरह के फंड और फंड हाउस में निवेश करना चाहिए क्योंकि एक ही फंड की अलग अलग स्कीमों में निवेश करना कई बार इक्विटी में एक्सपोजर जैसा ही है।
मिसाल के लिए, फिडेलिटी के जो तीन म्युचुअल फंड आपके पास हैं, आप फिडेलिटी इक्विटी और फिडेलिटी टैक्स एडवांटेज फंड की टॉप होल्डिंग देखें तो टॉप की पांच होल्डिंग में से चार वही शेयर हैं- रिलायंस इंड., एचडीएफसी, स्टेट बैंक और आईटीसी।
दोनों ही फंड एक ही फंड मैनेजर से प्रबंधित हैं, संदीप कोठारी। लिहाजा, दो अलग-अलग फंडों में निवेश के बावजूद इससे डाइवर्सिफिकेशन का उद्देश्य नहीं पूरा हो रहा।
अब इन फंडामेंटल का ध्यान रखने के बाद आपको अपने फंड की क्वालिटी का ध्यान रखना होगा। आपके पोर्टफोलियो का 52.6 फीसदी हिस्सा टैक्स सेविंग स्कीमों में है।
लिहाजा, आपका पोर्टफोलियो इन फंडों के प्रदर्शन पर बहुत निर्भर है। इसमें कोई नुकसान नहीं है लेकिन आपको इन फंडों की क्वालिटी और इनके प्रदर्शन का ध्यान रखना होगा जो आपके पोर्टफोलियो का अहम अंग है।
फिडेलिटी टैक्स एडवांटेज को लें जिसका आपके पोर्टफोलियो में सबसे ज्यादा एलोकेशन (37.16 फीसदी) है। यह फंड जनवरी 2006 में शुरू हुआ था और इस थोड़े से समय में इसका प्रदर्शन नहीं आंका जा सकता।
लिहाजा, हम ऐसे फंड को कोर होल्डिंग का हिस्सा नहीं बनाना चाहेंगे। हमारा सुझाव होगा लांग टर्म ट्रैक रिकार्ड वाले कोटक-30, एचडीएफसी टॉप 200, मैगनम कॉन्ट्रा, डीएसपीबीआर टॉप 100 जैसे फंड कोर होल्डिंग में हों।
इसके अलावा किसी सेक्टर में या फिर थीम आधारित निवेश कम से कम होना चाहिए। आपके पास दो फंड इंफ्रा. थीम के हैं, डीएसपीएमएल टाइगर और टाटा इंफ्रा.।
इनमें से किसी एक में पांच फीसदी का एलोकेशन पर्याप्त होगा। आप फिडेलिटी इंडिया स्पेशल सिचुएशन फंड में निवेश से भी बच सकते हैं। अब आपके लक्ष्य की बात। आप 2020 तक एक करोड़ रुपए चाहते हैं, इसके लिए आपके पास ग्यारह साल हैं।
चूंकि आप अभी हर महीने आठ हजार रुपए का निवेश कर रहे हैं और हम मान रहे हैं कि आप हर साल एसआईपी में निवेश 15 फीसदी बढ़ाएंगे, सालाना दस फीसदी का रिटर्न माना जाए तो ऐसे में आप ग्यारह साल बाद केवल 44.4 लाख रुपए ही इकट्ठे कर पाएंगे और 2030 तक यह 2.73 करोड़ बन जाएंगे।
तब आपकी एसआईपी डेढ़ लाख रुपए की हो चुकी होगी। इसके अलावा समय के साथ जिम्मेदारियां बढ़ने से एसआईपी को हर साल 15 फीसदी बढ़ाना भी मुश्किल होगा।
लिहाजा, 2030 तक चार करोड़ के लक्ष्य के लिए आपको हर महीने 12,000 रुपए का निवेश करना होगा और 2030 तक एसआईपी हर साल 15 फीसदी बढ़ानी होगी। तब यह 4.09 करोड़ रुपए बनेगी। लेकिन यही लक्ष्य पाने के लिए एक विकल्प और भी है।
आप अगर हर महीने 15 हजार रुपए का निवेश करें अगले 32 साल तक तो आप रिटायरमेंट तक यानी साठ साल की उम्र तक 4.2 करोड़ जोड़ लेंगे। चुनाव आपका है।
अगर आपको अपनी तय अवधि में इतनी रकम जोड़नी है तो निवेश बढ़ाना होगा और अवधि बढ़ा सकते हैं, तो उतनी ही एसआईपी में रकम जुट जाएगी।
जो भी रास्ता चुनें सिस्टमैटिक रास्ता ही चुनें और सालाना एक बार अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करना नहीं भूलें। शुभकामनाएं।