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डेटा भंडारण मानकों पर मांगा वक्त

Last Updated- December 11, 2022 | 10:41 PM IST

नए कार्ड डेटा भंडारण के नियम लागू करने के लिए मर्चेंट्स 6 माह और वक्त चाहते हैं। उनका तर्क है कि जल्दबादी में इसे लागू करने से बड़े व्यवधान, डिजिटल भुगतान में भरोसा कम होने और राजस्व के नुकसान की संभावना है। बैंकिंग इकाइयों सहित व्यवस्था में शामिल सभी पक्ष अभी भारतीय रिजर्व बैंक के कार्ड ऑन फाइल टोकनिज्म के नियमों के 31 दिसंबर, 2021 तक अनुपालन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है।
मर्चेंट पेमेंट्स अलायंस आफ इंडिया (एमपीएआई) और अलायंस आफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) ने नए मानकों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की मांग करते हुए कहा कि मर्चेंट्स को बैंकों, कार्ड नेटवर्कों व पेमेंट एग्रीगेटरों पेमेंट गेटवेज की तैयारियों के बाद कम से कम 6 महीने का वक्त दिया जाना चाहिए। लॉबी समूह ने रिजर्व बैंक को संयुक्त रूप से लिखे पत्र में कहा है कि नीति में बदलाव के असर को लेकर ग्राहकों में जागरूकता पैदा करने की भी जरूरत है।
एमपीएआई के गवर्निंग काउंसिल के पदाधिकारी विशाल मेहता ने कहा, ‘अभी सिर्फ 80 प्रतिशत बैंक ही टोकन कार्ड नेटवर्क व्यवस्था के प्रावधान के लिए तैयार हैं और सिर्फ 25-30 प्रतिशत बैंक सेकंड नेटवर्क पर हैं।’  मेहता ने कहा कि अन्य नेटवर्क को अभी प्रॉविजनिंग के मोर्चे पर प्रमुख कार्य करने हैं, लेकिन टोकन के प्रॉसेसिंग को लेकर तैयारी शून्य प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि हाल में डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वालों पर तैयारियां न होने का असर ज्यादा होगा। हर लेन-देन में कार्ड का पूरा ब्योरा डालने की बाध्यता से फिशिंग बढ़ेगी और इसकी वजह से धोखाधड़ी वाले लेन-देन में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
इस नीतिगत बदलाव से 3 मुख्य हिस्सेदारों- बैंकों, मध्यस्थ भुगतान व्यवस्था व मर्चेंट्स पर असर पड़ेगा। उन्होंने संयुक्त पत्र में लिखा है कि जब तक बैंक, कार्ड नेटवर्क ग्राहकों के लिए प्रमाणित और स्थिर एपीआई व्यवस्था नहीं देते हैं, मर्चेंट भुगतान प्रॉसेसिंग व्यवस्था की टेस्टिंग और प्रमाणन की शुरुआत नहीं कर सकते हैं।
रिजर्व बैंक ने सितंबर 2021 में ग्राहकों के कार्ड का ब्योरा 1 जनवरी, 2022 से अपनी सेवाओं में भंडारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।  नियामक ने कार्ड स्टोरेज के विकल्प की जगह टोकनाइजेशन स्वीकार करना अनिवार्य किया था।
अलायंस आफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक सिजो कुरुविला जॉर्ज ने कहा कि इस स्थिति में बैंकों की तैयारी सुस्त करने का नुकसान व्यापारियों को राजस्व नुकसान के रूप में उठाना होगा। राजस्व नुकसान 20 से 40 प्रतिशत के बीच कुछ भी हो सकता है। इसे बैंकों, कार्ड नेटवर्कों और एपीआई की तैयारियों के बाद किया जाना चाहिए, जिससे मर्चेंट्स अपनी तरफ से प्रभावी कदम उठाने में सक्षम हो सकें।
एमपीएआई में नेटफ्लिक्स, माइक्रोसॉफ्ट, बुकमाईशो, स्पॉटीफाई, डिज्नी हॉटस्टार, पॉलिसी बाजार सहित डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले मर्चेंट शामिल हैं। इसके अलावा अन्य ने भी कहा है कि इस तरह के बदलाव के लिए अभी पूरा वातावरण तैयार नहीं हुआ है।  इनका कहना है कि इस तरह के व्यवधानों से डिजिटल भुगतान पर भरोसा कम होगा और ग्राहक नकदी भुगतान की ओर लौटना शुरू कर देंगे।

First Published - December 22, 2021 | 11:37 PM IST

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