प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों को भागीदारी का अवसर देने तथा शिकायत निपटान प्रणाली में सुधार के लिए आज भारतीय रिजर्व बैंक की 2 योजनाओं का शुभारंभ किया और कहा कि इससे आम नागरिकों के निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, साथ ही उन्हें स्थिर मुनाफा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे सरकार के लिए बुनियादी ढांचा और देश की अन्य जरूरतों में निवेश के लिए धन उपलब्ध हो सकेगा।
खुदरा प्रत्यक्ष योजना के माध्यम से रिजर्व बैंक की ओर से मुहैया कराई जा रही व्यवस्था में व्यक्तिगत निवेशक सीधे सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में निवेश कर सकेंगे। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा और न ही किसी फंड प्रबंधक की जरूरत होगी। ये सरकारी गारंटी वाले और उच्चतम संपत्ति श्रेणी की पेशकश है, जिसमें निवेश सुरक्षित होता है। इसमें कोई क्रेडिट जोखिम नहीं होगा, लेकिन इसमें ब्याज दर का जोखिम होगा, जिसे निवेशकों को ध्यान में रखना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब तक हमारे मध्य वर्ग, सरकारी कर्मचरियों व वरिष्ठ नागरिकों को बैंक, बीमा व म्युचुअल फंड के माध्यम से सरकार की प्रतिभूतियों में धन लगाने का मौका मिलता था। अब वे सीधे और सुरक्षित तरीके से अपनी सुविधा के मुताबिक निवेश कर सकेंगे। यह निवेश का बेहतरीन तरीका है। निवेश में सुगमता और सुरक्षा राष्ट्र की संपदा में वृद्धि करेगा।’ उन्होंने कहा कि इससे आम नागरिकों की वित्तीय बचत में भरोसा बढ़ेगा।
खुदरा निवेशक सरकार द्वारा जारी प्राथमिक प्रतिभूतियों व द्वितीयक बाजार में निवेश कर सकेंगे। प्राथमिक बाजार के माध्यम से निवेश गैर प्रतिस्पर्धी योजना के मुताबिक बोली पेश कर सकेंगे। वहीं द्वितीयक बाजार में निवेशक एनडीएस-ओएम पर सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री कर सकेंगे। इसमें न्यूनतम निवेश 10,000 रुपये होगा, वहीं एक निवेशक प्रति प्रतिभूति 2 करोड़ रुपये तक निवेश कर सकेगा। यह जानना अहम है कि इस निवेश से आयकर लाभ नहीं जुड़ा हुआ है।
लेनदेन के लिए भुगतान बचत खाते से इंटरनेट बैंकिंग या यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से किया जा सकेगा। इसमें रिजर्व बैंक कोई शुल्क नहीं लगाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘प्रत्यक्ष खुदरा योजना से सरकारी प्रतिभूतियों का निवेशक आधार व्यापक होगा और और खुदरा निवेशक आसानी से सरकारके प्रतिभूति बाजार में हिस्सा ले सकेंगे।’
