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बैंकों के खुदरा कर्ज को मिल रही गति

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:18 AM IST

धीरे धीरे लॉकडाउन हटने और आर्थिक गतिविधियां बढऩे से बैंकों के खुदरा कर्ज में दूसरी तिमाही से तेजी आएगी। बहरहाल इसकी रफ्तार अभी भी महामारी के पहले की वृद्धि दर की तुलना में सुस्त बनी हुई है। बैंकरों का कहना है कि संक्रमण की तीसरी लहर चिंता का विषय बना हुआ है, जिससे गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं।
महामारी के पहले के चरण के 2019-20 के भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक जून 2019 में पिछले साल की तुलना में 16.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जिसमें आवास ऋण की वृद्धि 18 प्रतिशत, क्रेडिट कार्ड 27 प्रतिशत व अन्य व्यक्तिगत ऋण की वृद्धि 23 प्रतिशत थी। कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के बावजूद मई, 2021 में वृद्धि दर 12.4 प्रतिशत रही। पिछले साल जून (2020) में वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत थी, जब इस पर कोविड-19 महामारी की पहली लहर का असर था।  
येस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत कुमार ने कहा कि अक्टूबर और उसके बाद से वृद्धि रफ्तार पकड़ेगी, जब त्योहारी मांग आएगी और आमदनी में स्थिरता (व्यक्तियों व परिवारों की) आएगी। इसके बावजूद वृद्धि दर महामारी के पहले के स्तर (2019-20 की तीसरी व चौथी तिमाही) की तुलना में वृद्धि कम होगी। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2022 में तेजी की धारणा पिछले साल के कम आधार के कारण है।
एलऐंडटी फाइनैंस होल्डिंग्स में रूरल ऐंड हाउसिंग फाइनैंस के मुख्य कार्याधिकारी व डिजिट, आईटी और एनॉलिसिस के समूह प्रमुख सुनील प्रभुने ने कहा कि खुदरा वृद्धि ग्रामीण इलाकों में संभवत: नहीं बढ़ेगी, लेकिन स्थिरता बनी हुई है। सामान्य मॉनसून की वजह से वृद्धि को मदद मिलेगी और कृषि क्षेत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य की वजह से स्थिरता बनी रहेगी। कोविड-2 के कारण इस क्षेत्र पर कम असर पड़ा है और  नकदी का प्रवाह तेज बना हुआ है।
कॉर्पोरेट और थोक कर्ज की मांग को हटाकर कर्जदाता इस समय खुदरा क्षेत्र- हाउसिंग, वाहन, उपभोक्ता और व्यक्तिगत ऋण और छोटे कारोबारी ऋण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कॉर्पोरेट कर्ज की मांग सुस्त है और हाल फिलहाल में पूंजीगत व्यय की संभावना कम नजर आती है।
भारतीय स्टेट बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खुदरा खपत में कोई गुणात्मक चक्र नहीं है। उनेहोंने कहा कि आप जो भी खुदरा वृद्धि देख रहे हैं, यह पहले कर्ज के अभाव की वजह से है और अब लोग उधार लेने को इच्छुक हैं, बैंकर न्यूनतम दर पर कर्ज देने को इच्छुक हैं। यह कुछ और वक्त तक जारी रहेगा। सभी बैंकों के लिए यह वृद्धि 15-16 प्रतिशत नहीं होगी। जो बैंक सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराएंगे, उन्हें खासकर आवास और वाहन ऋण में विस्तार मिलेगा। उन्होंने कहा कि टीकाकरण से अर्थव्यवस्था खुलेगी और इसका असर होगा।
इक्रा में फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग के वाइस प्रेसीडेंट अनिल गुप्ता ने कहा कि दबाव वाले खुदरा कर्ज की रिकवरी होने लगी है। उधारी लेने वाले भुगतान करके अपने रिकॉर्ड को साफ कर रहे हैं।
क्रिसिल रेटिंग में वरिष्ठ निदेशक रोहित इनामदार ने कहा कि डिजिटल संग्रह जारी रहने की संभावना है और डिजिटल ओरिजिनेशन भी अपनी राह बना सकता है, जिससे इनके प्रबंधन की लागत घटेगी। 

First Published : July 29, 2021 | 12:16 AM IST