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राज्य सहकारी बैंकों की वसूली घटने के आसार

Last Updated- December 11, 2022 | 12:36 AM IST

वित्त वर्ष 2008-09 और 2009-10 में राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) पर गैर-निषादित परिसंपत्तियों के बोझ बढ़ने के आसार हैं क्योंकि ग्रामीण बैंकिंग संस्थानों की वसूली सबसे कम होने की संभावना है।
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), पश्चिम बंगाल के मुख्य महाप्रबंधक पी मोहनाई ने कहा कि  वित्त वर्ष 2007-08 में पहले ही कई राज्य सहकारी बैंकों की वसूली 20 प्रतिशत से नीचे चली गई है।
ऋण माफी का विपरीत प्रभाव साल 2008-09 में एससीबी के बही-खातों में परिलक्षित होंगी। अनुमानों के अनुसार, इस वित्त वर्ष के दौरान कुछ राज्यों में वसूली में लगभग 20 प्रतिशत की और कमी आ सकती है।
नाबार्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस बात की पुष्टि की। आम चुनाव से पहले किसानों को एक और ऋण माफी योजना की आशा है। इस कारण भी ऋण की वसूली में गिरावट आई है। एक तरफ जहां सभी राज्यों के सहकारी बैंकों की वसूली जून 2007 से जून 2008 के बीच लगभग 86 प्रतिशत से घट कर 83 प्रतिशत हो गई है वहीं कुछ राज्यों में इसमें भारी कमी आई है।
उदाहरण के लिए जून 2006-2007 के दौरान महाराष्ट्र में जहां 73 प्रतिशत की वसूली हुई थी वहीं जून 2007-08 में यह घट कर 57 प्रतिशत पर पहुंच गया। अभी भी प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटीज (पीएसीएस) के द्वारा की जाने वाली वास्तविक वसूली काफी कम रही है।
नैशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कॉपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक बी सुब्रमणयन ने कहा कि इसके अतिरिक्त पिछले साल ऋण राहत और माफी योजना के तहत कई खाते बंद कर दिए गए थे। हालांकि, सहकारी बैंकों को सरकार की ऋण राहत योजना के तहत पूरी सहायती नहीं मिल पायी। उन्हें सभी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति खातों को मानक खातों की तरह चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘भविष्य की वसूली बुरी तरह प्रभावित होगी क्योंकि सभी राजनीतिक पार्टियां ऋण माफी के वादे कर रही हैं।’
सहकारी क्षेत्र ऋण माफी योजना से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है क्योंकि यह सीधे तौर पर पीएसीएस को उधार देता है और इसे वाणिज्यिक बैंकों की तरह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की सहायती भी हासिल नहीं है।
आंध्र प्रदेश स्टेट कॉपरेटिव बैंक के बैंक्रिग एवं आईटी की महाप्रबंधक एम जयालक्ष्मी ने कहा, ‘सरकारी नीतियों के कारण साल 2008-09 में वसूली अच्छी नहीं रही। साल 2009-10 में अधिकांश राजनीतिक पार्टियों द्वारा ऋण माफी के वादे किए जाने से इसमें और कमी आने के आसार हैं।’ जून 2008 तक इस बैंक ने लगभग 73 फीसदी की वसूली की है।
पिछले साल नवंबर में डिफॉल्ट बढ़ता देख कर कुछ कॉपरेटिव बैंकों जैसे पश्चिम बंगाल राज्य सहकारी बैंक ने अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले लगभग चार लाख किसानों के कृषि ऋण पर विलंबित पुनर्भुगतान पर लगने वाले जुर्माने को माफ करने का निर्णय किया था।
उनमें से अधिकांश ने अल्पावधि के सहकारी ऋण संरचना के आधार पर एक अप्रैल 2007 या उसके बाद कर्ज लिया था और वे ऋण माफी योजना के तहत नहीं आते थे। 31 मार्च 2007 तक के कृषि ऋण माफी योजना के अंतर्गत थे।

First Published - April 15, 2009 | 6:27 PM IST

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