यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) कैलेंडर वर्ष 2021 में लेनदेन की संख्या और मूल्य दोनों लिहाज से रिकॉर्ड उच्च स्तर के लेनदेन हुए। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में यूपीआई के माध्यम से 4.56 अरब लेनदेन हुए जिनका मूल्य 8.27 लाख करोड़ रुपये रहा।
नवंबर में मामूली गिरावट दर्ज किए जाने के बाद यूपीआई लेनदेनों में दिसंबर में दोबारा से उछाल आई। दिसंबर महीने में मासिक आधार पर लेनदेनों की संख्या में 9.09 फीसदी और मूल्य के लिहाज से 7.60 फीसदी की वृद्घि हुई। सालाना आधार पर बात करें तो दिसंबर में यूपीआई के जरिये होने वाले लेनदेनों में दोगुने से अधिक का इजाफा हुआ जबकि मूल्य के लिहाज से इसमें 99 फीसदी की वृद्घि की गई।
अक्टूबर में यूपीआई के जरिये रिकॉर्ड 4.21 अरब लेनदेन हुए जिनका मूल्य 7.71 लाख करोड़ रुपये रहा। ऐसा पहली बार हुआ जब एक ही महीने में यूपीआई से लेनदेनों का मूल्य 100 अरब डॉलर की सीमा को पार कर गया।
कैलेंडर वर्ष 2021 में यूपीआई के जरिये 38 अरब लेनदेन हुए जिनका मूल्य 71.59 लाख करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष के नजरिये से बात करें तो अब तक इसके जरिये 31 अरब से अधिक लेनदेन किए गए है जो वित्त वर्ष 2021 में किए गए कुल लेनदेन से अधिक है। वित्त वर्ष 2021 में इस प्लेटफॉर्म के जरिये 22 अरब लेनदेन किए गए थे। एनपीसीआई के मुख्य कार्याधिकारी दिलीप अस्बे ने कहा था कि लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में 40 से 42 अरब लेनदेन की सीमा को छूने का है। एनपीसीआई देश में खुदरा डिजिटल भुगतान के लिए एक छत्र संगठन है।
यूपीआई की शुरुआत 2016 में किए जाने के बाद इसको अपनाने में जबरदस्त वृद्घि देखी गई है। कोवड-19 महामारी के बाद इसको अपनाने में काफी तेजी आई। पहली बार अक्टूबर 2019 में इसने 1 अरब लेनदेन की सीमा को पार किया। अगले एक अरब की वृद्घि साल भर के अंदर हो गई। अक्टूर 2020 में पहली बार यूपीआई के जरिये 2 अरब से अधिक लेनदेन हुए। इसके बाद प्रति महीने 2 अरब लेनदेन से 3 अरब लेनदेन पर पहुंचने में 10 महीनों का वक्त लगा जिससे उपभोक्ताओं के बीच यूपीआई की अप्रत्याशित प्रसिद्घि के संकेत मिलते हैं। प्रत्येक महीने 3 अरब से 4 अरब लेनदेन पर पहुंचने में प्लेटफॉर्म को महज तीन महीनों का वक्त लगा। और लगातार तीन महीने अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में यूपीआई के माध्यम से 4 अरब लेनदेन हुए।
जेफरीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में देश में खुदरा डिजिटल भुगतानों में यूपीआई की हिस्सेदारी 50 फीसदी है और यह डेबिट तथा क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेनदेनों की तुलना में करीब 4.5 गुना अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में डिजिटल भुगतान सालाना 2 लाख करोड़ डॉलर का हो रहा है जिसमें यूपीआई सबसे अग्रणी है जिसके बाद कार्डों और मोबाइल वॉलेट का स्थान है।
विशेषज्ञों की राय है कि यूपीआई में अगले चरण की वृद्घि ऑटोपे सुविधा से आएगी जिससें 5,000 रुपये तक के बार बार किए जाने वाले भुगतानों की अनुमति दी जाती है। ई-मैंडेट पर भारतीय रिजर्व बैंक के नए दिशानिर्देशों को अपनाने से बार बार के भुगतान के लिए कार्ड के उपयोग में बाधा उत्पन्न होने से विगत कुछ महीनों में यूपीआई ऑटोपे से भारी संख्या में लेनदेन किए गए हैं।
हाल ही में रिजर्व बैंक ने कहा था कि चूंकि यूपीआई प्लेटफॉर्म पर आधे लेनदेन कम मूल्य वाले होते हैं लिहाजा वह इन्हें यूपीआई एप्लीकेशन में एक ऑन-डेवाइस वॉलेट से सक्षम करेगा ताकि बैंकिंग प्रणाली पर दबाव को कम किया जा सके और लेनदेन की प्रक्रिया को और सरल किया जा सके। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने कहा था कि वह फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए यूपीआई आधारित डिजिटल भुगतान समाधानों की शुरुआत करेगा।
