निगम कर्ज व्यापार को अधिक आर्कषक बनाने के लिए केंद्रीय बजट में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) को करो में छूट के प्रावधान की घोषणा की जा सकती है। करों में इस तरह की छूट के बाद उन्हें म्युचुअल फंड के बराबर लाया जा सकेगा।
एन एम रॉथशित्ड एंड संस के प्रबंध निदेशक संजय भंडारकर का कहना है कि भारत में ऋण व्यापार से जुड़े व्यापक सुधारों की शुरुआत हो सकती है। बजट में आरईआईटी के लिए करों में कमी की उम्मीद भी है। प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड (सेबी) ने भी आरईआईटी के लिए व्यापक सुधार का मसौदा पेश किया था मगर उसमे इससे जुड़े कर मसलों को छोड़ दिया था।
माइलस्टोन कैपिटल एडवाइजर के प्रबंध निदेशक वेद प्रकाश आर्य का कहना है कि आरईआईटी को दुनिया भर में सरकारी समर्थन और कर लाभ मिलते हैं। लिहाजा, बढ़ते रियल एस्टेट बाजार में खुदरा भागीदारी और संपत्ति रखने का यह एक अच्छा तरीका है।
उन्होने कहा कि वित्त मंत्री को आरईआईटी को जरूरी कर छूट (जैसी दुनिया के और हिस्सों में है और म्युचुअल फंडों को मिली हुई है) का प्रावधान करना चाहिए ताकि आरईआईटी एक हकीकत बन सके।
आईडीबीआई कैपिटल मार्केट की प्रमुख शाहिना मुकादम का कहना है कि बजट में पूंजी निर्माण और आधारभूत संरचना में निवेश को बढ़ावा दिए जाने की उम्मीद है ताकि जीडीपी की विकास दर नौ फीसदी बरकरार रखी जा सके। उन्होंने कहा कि उद्योग को मिली बहुस्तरीय कर छूटों को आसान बनाया जाना जरूरी है। जैसे सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियां सॉफ्टवेयर टेक्नालाजी पार्क में कोई कर नहीं देती हैं।
आईडीबीआई कैपिटल मार्केट को उम्मीद है कि शेयर बाजार में लगने वाला एसटीटी बढ़ सकता है। पी चिदंबरम ने ही पहली बार वर्ष 2004 में एसटीटी लगाने की घोषणा की थी ताकि अनुपालन और राजस्व की दोहरी जरुरत पूरी हो। उन्होने कहा कि अगर इन दरों को थोड़ा सा बढ़ाया जाता है या इनका दायरा फैलाया जाता है तो हमें अचरज नहीं होगा। लेकिन यह आशा भी जरूर है कि कृषि क्षेत्र कर के दायरे से बाहर रहेगा और इस क्षेत्र को दी गई सब्सिडी में भी कोई कटौती नहीं होगी। कुल मिलाकर बजट राजनीतिक रूप से सटीक और लोकप्रिय होगा।
कार्यकारी अधिकारी और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा की प्रमुख शहजाद मैडोन को उम्मीद है कि शहरी जनता पर अतिरिक्त कर नही लगाए जाएंगे और वित्त मंत्री शहरी बुनियादी संरचना के बारे में कुछ राहतों की घोषणा कर सक ते हैं। उन्होंने कहा कि बजट अमीरों के लिहाज से तटस्थ रह सकता है। उसका प्रत्यक्ष करों का बोझ कम हो सकता है। व्यक्तिगत स्तर पर भी करों की दर में कमी की जा सकती है। कर बचत के लिए बुनियादी ढांचा बांड शुरू किए जा सकते हैं।