प्राइवेट क्षेत्र के HDFC Bank को रिजर्व बैंक ने HDFC Limited के साथ मर्जर की स्थिति में उसे नकद आरक्षित अनुपात (cash reserve ratio -CRR) और वैधानिक तरलता अनुपात (statutory liquidity ratio- SLR) की जरूरी शर्तों में किसी भी तरह की ढील देने से मना कर दिया है।
देश में प्राइवेट क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक ने शुक्रवार को शेयर बाजारों को रिजर्व बैंक के इस निर्णय की जानकारी दी। इसके मुताबिक, रिजर्व बैंक ने बैंक को मर्जर की स्थिति में CRR और SLR से संबंधित नियामकीय मानकों का पालन करने को कहा है।
हालांकि केंद्रीय बैंक ने वरीयता वाले क्षेत्रों को कर्ज देने से जुड़े प्रावधानों में थोड़ी रियायत देने की बात कही है।
HDFC Bank का आवासीय ऋणदाता HDFC Limited के साथ मर्जर की घोषणा गत वर्ष अप्रैल में की गई थी। करीब 40 अरब डॉलर के इस मर्जर को भारतीय कंपनी जगत का सबसे बड़ा सौदा बताया जा रहा है। हालांकि इस प्रस्तावित मर्जर को अभी नियामकीय मंजूरियां मिलनी बाकी हैं। इसी क्रम में बैंक ने रिजर्व बैंक से CRR और SLR पर कुछ रियायतें देने का अनुरोध किया था।
HDFC Bank ने अपने पत्र में कहा है कि उसे कुछ बिंदुओं पर रिजर्व बैंक के विचार मिल गए हैं जबकि अभी कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता आने का इंतजार है।
बैंक ने कहा, ‘एचडीएफसी बैंक CRR, SLR और नकदी कवरेज अनुपात (liquidity coverage ratio-LCR) से जुड़ी नियामकीय शर्तों का विलय की प्रभावी तिथि से ही पालन करना जारी रखेगा।’
CRR बैंकों की जमाओं का वह प्रतिशत होता है जिसे बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास रखना होता है और उन्हें उस पर कोई ब्याज नहीं मिलता है। वहीं SLR जमाओं का वह हिस्सा होता है जिसे अनिवार्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों में लगाना होता है।
HDFC Bank के मुताबिक, RBI ने HDFC की अनुषंगियों एवं सहायक कंपनियों के निवेशों को विलय के बाद HDFC Bank के निवेश के तौर पर मान्यता देने पर भी सहमति जताई है। HDFC Bank ने पिछले हफ्ते विश्लेषकों के साथ चर्चा के दौरान उम्मीद जताई थी कि मर्जर की प्रक्रिया पर उसे जुलाई तक नियामकीय मंजूरियां मिल जाएंगी।