महामारी के बावजूद भारतीय वित्त प्रणाली की संपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ था लेकिन यह नियामक की तरफ से किए गए विशेष उपायों का नतीजा हो सकता है और अब जबकि योजनाएं अपनी समाप्ति की ओर हैं तब बैंकों को दोबारा से अपने खातों पर दबाव नजर आ सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज अपनी वार्षिक प्रवृति और प्रगति रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए अब तक के उपलब्ध आंकड़ों से संकेत मिलता है कि बैंकों के दबावग्रस्त ऋणों में नरमी आई है जबकि प्रावधान कवरेज अनुपातों (पीसीआर), पूंजी बफर के साथ साथ लाभप्रदता संकेतकों में महामारी से पूर्व के स्तरों की तुलना में सुधार हुआ है।
बैंकों पर केंद्रीय बैंक के रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है, ‘आंकड़ों पर करीबी नजर रखने पर और भी बारीक तस्वीर उभर कर आती है। ऋण वृद्घि शांत है जो समग्र मांग पर महामारी के निशान के साथ साथ बैंकों के जोखिम से बचने के संकेत हैं। बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता आगे चलकर खराब हो सकती है।’ 2020-21 में सकल गैर-निष्पादित आस्तियां कुल अग्रिमों का 7.3 फीसदी रही है जो एक वर्ष पहले के 8.2 फीसदी के स्तर से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अनंतिम पर्यवेक्षी आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर 2021 के अंत में यह अनुपात और घटकर 6.9 फीसदी पर आ गई।’ यह सुधार कम चूकों की वजह से आया जो कि कुछ हद तक संपत्ति वर्गीकरण को रोकने की वजह से था। सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों ने पांच वर्ष के अंतराल पर शुद्घ लाभ दर्ज किए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर बैंक वित्त कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र को भी नीति उपायों के खुलने पर उच्च चूकों का सामना करना पड़ सकता है। रिजर्व बैंक ने कहा कि छूट समाप्त होने के करीब हैं जिससे विशेष उल्लेख खातों (एसएमए) श्रेणी में इजाफा हुआ है। इस बीच लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) ने ढांचागत समस्याएं दर्शाई है क्योंकि उन्हें अपने बैलेंस शीटों के दोनों तरफ सांद्रता जोखिम से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में एसएफबी को अपनी संपत्तियों के साथ साथ अपनी देनदारी प्राफाइलों में विविधिता लाने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘इन बैंकों में शासन की संस्कृति में सुधार करने की आवश्यकता है। विशेष तौर पर शीर्ष रैंकों पर उच्च छटनी स्तर का समाधान करने की जरूरत है।’ केंद्रीय बैंक ने कहा कि महामारी ने डिजिटल तकनीक को अपनाने में एक बदलाव किया है, नियामकों और पर्यवेक्षकों सहित सभी साझेदारों के लिए साइबर सुरक्षा और धोखाधड़ी चुनौती बनकर उभरी है।