जून 2021 में समाप्त तिमाही में गैर-बैंकों (वित्त और आवास कंपनियों) के ऋण वितरण में 50 से 60 फीसदी की कमी आने के आसार हैं। इसकी वजह कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन है जिसमें कई तरह की पाबंदी लगाई गई है। हालांकि, रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक साल के आगामी महीनों में इसमें सकारात्मक सुधार हो सकते हैं।
क्षेत्रवार असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) की वृद्घि वित्त वर्ष 2022 में 7 से 9 फीसदी आंकी गई है जबकि वित्त वर्ष 2021 में यह 4 फीसदी रही। कम आधार और वितरण में 6-8 फीसदी की वृद्घि से एयूएम की वृद्घि को सहारा मिलेगा। रेटिंग एजेंसी ने एक वक्तव्य में कहा संपत्ति गुणवत्ता पर दबाव से गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) में 50 से 100 आधार अंकों की वृद्घि होगी। आधार मामला परिदृश्य में बट्टे खाते में डाले जाने वाली रकम ऊंची बनी रहेगी और इस बार भी पिछले वित्त वर्ष की तरह समान स्तर पर रहेगी।
परिचालन के माहौल में लंबे समय से दबाव और ऋण पुनर्भुगतान के लिए मोहलत आदि जैसी कोई बड़ी सहायता नहीं होने से चालू वित्त वर्ष में पुनर्गठन के लिए मांग जोर पकड़ेगी। वित्त वर्ष 2021 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीाई) ने मार्च से अगस्त के बीच छह महीने के लिए ऋण पुनर्भुगतान के लिए मोहलत दी थी। पिछले वित्त वर्ष में पुनर्गठन क्षेत्रवार एयूएम का करीब 1.5 फीसदी रहा था।
इक्रा में वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग के उपाध्यक्ष ए एम कार्तिक कहते हैं कि गैर-बैंक का करीब 30 फीसदी ऋण रियल एस्टेट, व्यक्तिगत ऋण, सूक्ष्मवित्त और असुरक्षित छोटे और मध्यम उद्यमों जैसे जोखिम भरे खंडों में माना जाता है। वाणिज्यिक वाहन और यात्री वाहन वित्त ऋण के खंड भी उतने ही जोखिम भरे माने जाते हैं क्योंकि महामारी के दौरान ये बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
मार्च 2021 में सकल एनपीए का बताया गया स्तर अनुमानित स्तर से कम था क्योंकि ऋणों को बट्टे खाते में डालने के मामले तेजी से बढ़े। वित्त वर्ष 2021 के लिए एयूएम के हिस्से के तौर पर बट्टे खाते में जाने वाली रकम उससे पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 70 आधार अंक ऊपर रहा। गैर-बैंक द्वारा रखा जाने वाला प्रावधान बफर कोविड-पूर्व के स्तर से करीब 100 आधार अंक अधिक है।
