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MDB में सुधार पर होगा विचार, वर्ल्ड बैंक और IMF के साथ होने वाली है बैठक

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असित रंजन मिश्र
Last Updated- April 07, 2023 | 11:34 PM IST

बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को मजबूत करने के लिए भारत की अध्यक्षता में बने जी-20 के विशेषज्ञ समूह की पहली बैठक वाशिंगटन में होने वाली है। यह बैठक बुधवार से शुरू हो रही विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वसंत ऋतु की बैठक के दौरान अलग से आयोजित की जाएगी।

यह समूह एक दर्जन से ज्यादा एमडीबी के बीच तालमेल बढ़ाने और ग्रीन फाइनैंस में निजी पूंजी को प्रोत्साहित करने पर जोर दे सकता है। पिछले महीने भारत ने हार्वर्ड युनिवर्सिटी में मानद अध्यक्ष लॉरेंस समर्स और 15वें वित्त आयोग के चेयरपर्सन एनके सिंह के सह संयोजकत्व में 9 सदस्यों के विशेषज्ञ समूह का गठन किया था। विशेषज्ञ समूह को 21वीं सदी के बदले हुए माहौल के मुताबिक एमबीडी के लिए एक खाका तैयार करना है। साथ ही एमडीबी के लक्ष्यों और उसके लिए समयसीमा तय करने, एमडीबी से वित्तपोषण की जरूरतों व अनुमानों के मूल्यांकन, बढ़ी वित्तीय जरूरतों और एमडीबी के बीच तालमेल की व्यवस्था विकसित करने पर रिपोर्ट देनी है।

सिंह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘विशेषज्ञों का समूह वर्चुअल बैठकें करता रहा है और हमने बहुत गंभीर चर्चाएं की हैं। यह समूह की पहली आमने-सामने बैठक होगी।’ इस समिति को 30 जून तक रिपोर्ट देने का काम सौंपा गया है। विशेषज्ञ समूह की बैठक के पहले विश्व बैंक ने पिछले सप्ताह ‘इवॉल्यूशन ऑफ द वर्ल्ड बैंक ग्रुप- अ रिपोर्ट टु गवर्नर्स’ नाम से रिपोर्ट जारी की थी।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2023-2030 के बीच जलवायु परिवर्तन, टकराव और महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए विकासशील देशों को हर साल 2.4 लाख करोड़ डॉलर सालाना खर्च करने की जरूरत होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी तरफ से कवायद और वित्तपोषण करने की जरूरत होगी, जिसमें घरेलू व अंतरराष्ट्रीय से लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र शामिल हैं।

नवंबर, 2022 में बाली में जी-20 के सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने जून 2023 में पेरिस में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन की घोषणा की थी, जिससे कि वित्तीय मसलों के समाधान के प्रस्ताव आ सकें, जो जलवायु के सवाल से आगे जाता हो और इसमें स्वास्थ्य और गरीबी के खिलाफ जंग शामिल है।

मैक्रों की घोषणा ब्रिजटाउन पहल की पृष्ठभूमि में हुई थी, जिसे द्वीपीय देश बार्बाडोस की राजधानी का नाम दिया गया था। इसका मकसद उन देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण मुहैया कराना है, जो जलवायु परिवर्तन के हिसाब से सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं।

सीओपी-29 इस साल नवंबर-दिसंबर में होनी है, इसमें भी जलवायु के लिए वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है। विशेषज्ञों का समूह इन सभी गतिविधियों सहित एमडीबी में सुधार के लिए आई तमाम रिपोर्टों पर ध्यान रखेगा, जिसमें खासकर जी-20 की जर्मन और इटालियन अध्यक्षता के दौरान आई रिपोर्टें शामिल हैं।

बाली घोषणा में जी-20 के नेताओं ने नीतियों को मजबूत करने और धन जुटाने सहित विकासशील देशों का सहयोग बढ़ाने की तत्काल जरूरत को संज्ञान में लिया था। इंडोनेशिया की जी-20 की अध्यक्षता में एमडीबी की स्वतंत्र समीक्षा, पूंजी पर्याप्तता ढांचे के साथ केंद्रीय बैंक की नकदी की स्थिति, एक केंद्रीय बैंक के निरीक्षण के तहत अंतर्गत साझा समझौते पर जोर दिया गया था।

सिंह ने कहा, ‘विशेषज्ञों का समूह एकरूपता और मानकीकरण लाकर एमबीडी के बीच समन्वय व्यवस्था बनाने की कवायद करेगा। हम ग्रीन फाइनैंस में निजी पूंजी को प्रोत्साहित करने के मसले का भी हल करना चाहेंगे।’

First Published : April 7, 2023 | 11:34 PM IST