आईडीबीआई बैंक ने वित्त वर्ष 22 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान शुद्ध लाभ में 53 प्रतिशत की उछाल दर्ज की है, जिसे शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) में दमदार वृद्धि की सहायता मिली है। इस तिमाही के दौरान शुद्ध लाभ 578 करोड़ रुपये रहा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 21) की इस समीक्षाधीन तिमाही के दौरान यह 378 करोड़ रुपये था।
इसका एनआईआई, जो अर्जित ब्याज से व्यय किए गए ब्याज को घटाने के बाद वाली राशि होती है, सालाना आधार पर 30 प्रतिशत से भी अधिक तक बढ़कर 2,383 करोड़ रुपये हो गई तथा क्रमिक रूप से यह 29 प्रतिशत ज्यादा रही। हालांकि गैर-ब्याज आय सालाना आधार पर 20 प्रतिशत घटकर 1,148 करोड़ रुपये रह गई, लेकिन इसने 17 प्रतिशत की क्रमिक वृद्धि दर्ज की। दिसंबर तिमाही के अंत में शुद्ध ब्याज मार्जिन, जो बैंकों की लाभप्रदता का एक पैमाना होता है, 101 आधार अंक (बीपीएस) तक बढ़कर 3.88 प्रतिशत हो गया।
ऋणदाता के प्रावधान सालाना आधार पर 7.62 प्रतिशत घटकर 801.81 करोड़ रुपये रहे, लेकिन क्रमिक आधार पर यह 40 प्रतिशत अधिक रहा। इसके अलावा बैंक के पास दिसंबर तिमाही तक 863 करोड़ रुपये का कोविड प्रावधान रहा है।
हालांकि बैंकों ने उन फंसे कर्ज की पहचान कर ली है,ख्जिन्हें राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एनएआरसीएल) में स्थानांतरित किया जाना है, लेकिन इन खातों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हुई है। अलबत्ता बैंकों को उम्मीद है कि पहचाने गए फंसे हुए कर्ज को एनएआरसीएल में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया मार्च 2022 तक शुरू हो जाएगी।
आईडीबीआई बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी राकेश शर्मा ने कहा कि सभी बैंकों ने कुछ परिसंपत्तियों की पहचान की है। दिसंबर के आखिर तक कुछ खाते हस्तांतरित किए जाने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। हमें इस बात की पूरी उम्मीद है कि मार्च तक इन खातों को एनएआरसीएल में हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
शर्मा ने कहा कि जहां तक आईडीबीआई बैंक का संबंध है, हमने 11,000 करोड़ रुपये की उस परिसंपत्ति की पहचान की है, जिसे एनएआरसीएल को हस्तांतरित किया जाना है।