महामारी की दूसरी लहर के बाद राहत दिए जाने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में सेवा क्षेत्र को दिए जाने वाले बैंक ऋण की रफ्तार धीमी बनी हुई है। व्यापार, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों, वाणिज्यिक रियल एस्टेट, परिवहन और विमानन जैसे सेवा उद्योगों को दिए जाने वाले ऋण में अप्रैल से अक्टूबर के बीच सालाना आधार पर 2.9 फीसदी की वृद्घि हुई जो वित्त वर्ष 2021 की समान अवधि के 2.7 से मामूली अधिक है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से सामने आई है।
22 अक्टूबर, 2021 को सेवा क्षेत्र के पास बकाया ऋण बढ़कर 26 लाख करोड़ रुपये हो गया जो एक वर्ष पहले 25.3 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस साल मार्च के अंत में यह आंकड़ा 26.5 लाख करोड़ रुपये रहा था। इससे पता चलता है कि अप्रैल से अक्टूबर 2021 के दौरान ऋण का भुगतान नए ऋण के आंकड़े को पार कर गया। भारतीय स्टेट बैंक के कार्यकारियों ने कहा कि ऋण विस्तार जलप्रपात प्रारूप का अनुसरण कर रहा है। सेवा क्षेत्र को ऋण एक अंतराल पर दिया जाता है। औद्योगिक खंड से मांग में बदलाव एक दो महीने पहले की घटना है। व्यापाक आधार पर ऋण विस्तार अगले दो से तीन तिमाहियों में हो सकता है। आतिथ्य जैसे सेवाओं पर महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान भयानक असर पड़ा और इस क्षेत्र में ऋण विस्तार को रफ्तार पकडऩे में अधिक समय लगेगा। वित्त वर्ष 2021 को यदि अपवाद के तौर पर लें जब वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा, व्यापार और वाणिज्यिक रियल एस्टेट में आर्थिक गतिविधियों को धक्का लगा, तो यह बैंक ऋण के लिहाज से सबसे खराब प्रदर्शन है।
सेवा क्षेत्र को ऋण देने में सुस्ती का मतलब है कि बैंक मोटे तौर पर आवास ऋणों और कृषि ऋण सहित व्यक्तिगत ऋणों पर निर्भर हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि सेवा को दिए जाने वाले ऋण की रफ्तार में सुस्ती से आर्थिक वृद्घि पर असर पड़ सकता है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था में इस खंड की हिस्सेदारी 62 फीसदी है। रिजर्व बैंक ने 2008 से क्षेत्रवार ऋण का आंकड़ा प्रकाशित करना आरंभ किया। तब से यह पहला मौका है जब सेवा क्षेत्र के ऋण वृद्घि की रफ्तार औद्योगिक ऋण की वृद्घि की रफ्तार से धीमी है।
तुलना के लिए, वित्त वर्ष 2022 के पहले सात महीनों में सालाना आधार पर उद्योग को दिए जाने वाले ऋण में जहां 4.1 फीसदी की वृद्घि हुई वहीं व्यक्तिगत ऋण में 11.7 फीसदी और कृषि ऋण में 10.2 फीसदी की वृद्घि हुई। कुल मिलाकर इस अवधि में गैर-खाद्य ऋण में सालाना आधार पर 6.9 फीसदी की वृद्घि हुई।
