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Q2FY25 में बैंकों की नेट इनकम ग्रोथ सुस्त, NII और NIM पर दबाव; सर्वे में पता चली वजह

रिजर्व बैंक ने बैंकों को असुरक्षित ऋण में वृद्धि, ऋण और जमा के बीच ज्यादा अंतर को लेकर चेताया है और बैंक के बोर्डों से अपने कारोबार की योजना पर नए सिरे से काम करने को कहा है।

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अभिजित लेले   
Last Updated- October 06, 2024 | 11:27 PM IST

स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध बैंकों की 30 सितंबर, 2024 (वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही) को समाप्त तिमाही में सालाना आधार पर शुद्ध आय वृद्धि सुस्त होकर 10 प्रतिशत होने का अनुमान है।

बिजनेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण के मुताबिक सूचीबद्ध बैंकों ने अधिक उधारी ऋण उठान और कम ऋण लागत के कारण वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही में शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 33 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की थी।

ब्लूमबर्ग ने 19 बैंकों के सूत्रों के अनुमान के विश्लेषण के आधार पर बताया कि शुद्ध आय क्रमिक रूप से 1 प्रतिशत से अधिक घट सकती है।

बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) ब्याज के राजस्व में से ब्याज खर्च घटाने पर प्राप्त होती है। अनुमान के अनुसार बैंक की एनआईआई सालाना आधार पर 8.8 प्रतिशत बढ़ सकती है। बढ़ती जमा लागत के कारण जून 2024 की तिमाही (वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही) के आधार पर क्रमिक आधार पर 1.7 प्रतिशत बढ़ सकती है।

इक्रा के सह समूह प्रमुख अनिल गुप्ता ने बताया कि उधारी वृद्धि सुस्त और बढ़ती जमा लागत के कारण एनआईआई दबाव में आ सकती है और उसका शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) भी घट सकता है। उधारी की दर स्थिर रहने के कारण देनदारियों (जमा) की लागत विशेषतौर से 1-2 साल की अवधि की दरें बढ़ रही हैं। बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार इससे एनआईएम और स्प्रेड पर दबाव पड़ सकता है।

केयर ऐज रेटिंग्स के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में एनआईएम सालाना आधार पर 13 आधार अंक गिर गया था और यह पिछली तिमाही की तुलना में 4 आधार अंक गिरकर 2.94 प्रतिशत गिर गई थी। अगस्त में बकाया और जमा राशि के बीचे स्प्रेड 2.96 प्रतिशत था और यह जुलाई 2024 में 1 मामूली रूप से 1 आधार अंक गिर गया था।

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण में वृद्धि की दर सालाना आधार पर (20 सितंबर तक) कम हो कर 13 प्रतिशत रह गई है, जो एक साल पहले की समान अवधि के 20 प्रतिशत और जून 2024 के 17.4 प्रतिशत की तुलना में कम है। इन आंकड़ों में एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के विलय का असर शामिल है।

इक्रा के गुप्ता ने कहा कि ऋण में वृद्धि की सुस्ती की आंशिक वजह असुरक्षित ऋण में कमी है, जो ज्यादा मुनाफा देता है।

रिजर्व बैंक ने बैंकों को असुरक्षित ऋण में वृद्धि, ऋण और जमा के बीच ज्यादा अंतर को लेकर चेताया है और बैंक के बोर्डों से अपने कारोबार की योजना पर नए सिरे से काम करने को कहा है।

घरेलू ब्रोकरेज मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज ने कहा कि सरकारी बैंकों और बड़े निजी बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता अभी भी स्थिर बनी हुई है। इस चक्र में ज्यादातर बैंकों की ऋण की गुणवत्ता अच्छी है। बहरहाल कुछ क्षेत्रों जैसे माइक्रोक्रेडिट और छोटे आकार के असुरक्षित ऋण में दबाव के संकेत हैं।

दबाव बढ़ रहा है, लेकिन संभवतः यह गैर निष्पादित संपत्ति में नजर नहीं आएगा क्योंकि चूक के बढ़े प्रावधानों के बाद कुछ बैंक ज्यादा धन बट्टा खाते में डाल रहे हैं। बैंकरों ने कहा कि इसका असर महंगे ऋण के रूप में देखा जा सकता है।

हाल में अपने चैनल की जांच और शाखाओं के दौरे से मिले फीडबैक के बाद घरेलू ब्रोकरेज सेंट्रम ब्रोकिंग ने वित्त वर्ष 2025 के लिए बैंकों के लिए ऋण हानि प्रॉविजन अनुमान खासकर उनके लिए बढ़ा दिया है, जिनकी असुरक्षित उधारी का अनुपात अधिक है।

First Published : October 6, 2024 | 10:17 PM IST