बैंकों ने 16 से 31 अक्टूबर के बीच क्रेडिट आउटरीच प्रोग्राम के तहत 13.8 लाख लोगों को 63,574 करोड़ रुपये कर्ज दिया है। त्योहारों के मौसम के दौरान कारोबारियों व व्यक्तियों की कर्ज की मांग बढ़ी हुई थी।
सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के कर्जदाता कर्ज तक बेहतर पहुंच मुहैया कराने के लिए राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम चला रहे हैं, क्योंकि अर्थव्यवस्था अब कोविड-19 के झटकों से उबर रही है।
बैंकों ने ये कर्ज 10,580 कैंपों के माध्मय से जारी किए हैं जो केंद्र सरकार की विभिन्न कर्ज गारंटी योजनाओं जैसे इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम से इतर है।
देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक ने 3.2 लाख लोगों को 14,461 करोड़ रुपये जारी किया है। उसके बाद एचडीएफसी बैंक ने 51,806 लोगों को 8,421 करोड़ रुपये और बैंक आफ बड़ौदा ने 1.2 लाख लोगों को 5,555 करोड़ रुपये दिए हैं। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने 2.6 लाख लोगों को 5,399 करोड़ रुपये दिए हैं।
उत्तर प्रदेश में 1,88,000 उधारी लेने वालों को 8,655 करोड़ रुपये, गुजरात में 61,139 लोगों को 8,503 करोड़ रुपये दिए गए हैं। राजस्थान, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लोगों क्रमश: 7,467 करोड़, 6,282 करोड़ और 5,659 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
सबसे ज्यादा व्यापार श्रेणी में 31,687 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इस श्रेणी में 3.2 लाख लोगों को कर्ज दिया गया है। इसके बाद 7.1 लाख लोगों को 16,734 करोड़ रुपये कृषि ऋण दिया गया है। 41,226 लोगों को 8,994 करोड़ रुपये आवास ऋण दिया गया है। व्यक्तिगत और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए 7,122 करोड़ रुपये और वाहन ऋण 4,562 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
अगस्त में सरकारी बैंकों की समीक्षा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कर्जदाताओं से कहा था कि वे कर्ज की पहुंच के लिए अक्टूबर से कार्यक्रम चलाएं, जिससे कि आर्थिक वृद्धि की बहाली में मदद मिल सके।
केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों से यह भी कहा था कि वित्त्तीय समावेशन का आक्रामक लक्ष्य रखा जाना चाहिए। साथ ही पेंशन व बीमा कवरेज का विस्तार होना चाहिए। साथ ही त्योहारी मौसम में मिलकर कर्ज देने की व्यवस्था के तहत कर्ज लेने वालों तक कर्ज के विस्तार के लिए वित्त्तीय तकनीकों का इस्तेमाल होना चाहिए।
