मैंने सुना है कि 2008 में आर्बिट्राज फंड ने अच्छा रिटर्न दिया था। क्या मौजूदा अस्थिर बाजार में इन फंडों में निवेश किया जा सकता है?
निखिल महाजन
वर्ष 2008 में आर्बिट्राज फंडों ने औसतन 8.5 फीसदी का मुनाफा दिया था जबकि अन्य सभी इक्विटी फंडों का मुनाफा ऋणात्मक रहा था। स्पॉट और वायदा बाजारों में कीमतों में अंतर से पैदा होनेवाले अवसरों का आर्बिट्रेज फंड बखूखी फायदा उठाती है।
वे ऐसी परिसंपत्ति श्रेणी का निर्माण करते हैं जिन पर मिलनेवाले मुनाफे का शेयर बाजार से कोई संबंध नहीं होता है। अलग-अलग बाजारों में शेयरों की कीमतों में अंतर से पैदा होनेवाली स्थिति को ज्यादा से ज्यादा भुनाने की रणनीति से इन फंडों को शेयर बाजार में होनेवाले उठापटक से अपने आप को सुरक्षित रखने में काफी मददगार होती है।
इस बात में कोई शक नहीं कि इक्विटी फंडों की तुलना में आर्बिट्राज फंड कम जोखिम भरे होते हैं। ये फंड ऐसे निवेशकों जो जोखिम उठाने से परहेज करते हैं, उनके लिए उपयुक्त हाते हैं। अन्य इक्विटी फंडों की तुलना में ये कम अस्थिर हैं।
डेट फंडों के मुकाबले ये फंड करों में रियायत दिलाने में काफी मददगार होते हैं। इन फंडों को इक्विटी फंडों की भांति ही समझा जाता है। आर्बिट्राज फंडों का प्रदर्शन आर्बिट्राज अवसरों की उपलब्धता पर आधारित होता है।
बाजार में अस्थिरता के कारण स्पॉट और डेरिवेटिव बाजारों बीच कीमतों के निर्धारण में काफी अनियमितता होती है। लिहाजा, मौजूदा अस्थिर समय में यह एक बेहतर निवेश का पर्याय है।
मैंने एक माह पहले 49,000 रुपयों के लिक्विड प्लस फंड के यूनिट की खरीदारी की और इसके तहत मैंने डिविडेंड पेआउट विकल्प का चयन किया था।
पिछले एक महीने के दौरान मुझे 240 रुपये का लाभांश प्राप्ति हुई लेकिन वर्तमान में मेरे यूनिट की कीमत करीबन 48,000 रुपये है।
फिलहाल मुझे पैसों की जरुरत है और मैं इसे बेचना चाहता हूं। क्या मुझे 1000 रुपये की अल्पकालिक पूंजी का उठाना पड़ेगा या फिर क्या इसे लाभांश में अनावृत किया जा सकेगा, जिसकी छूट नहीं है? लाभांश अनावृत की गणना कैसे की जाती है?
पराग
लाभांश अनावृत की सुविधा अब उपलब्ध नहीं है। इससे संबंधित कानूनों में तब्दीली की गयी है।
यदि कोई निवेशक रिकॉर्ड तारीख से तीन महीनों की अवधि के भीतर यूनिटों को प्राप्त कर लेता है, और उसे रिकॉर्ड तारीख से 9 महीनों के कार्यकाल के भीतर बेचता या हस्तांतरित करता है, तो लेन-देन से होनवाले किसी भी नुकसान पर तब तक ध्यान नहीं दिया जाएगा जब तक कि नुकसान की सीमा उक्त लाभांश की राशि से अधिक नहीं होनी होती है।
लिहाजा, लाभांश के तौर पर प्राप्त होनवाली पूंजी से ज्यादा के नुकसान को अल्पकालिक पूंजी नुकसान के रूप में माना जा सकता है। यदि आप अपने निवेश को 48,000 रुपये पर वापिस ले लेते हैं, तो आपको 1000 रुपये की अल्पकालिक पूंजी का नुकसान होता है।
इसमें से आप पहले ही 240 रुपये लाभांश के तौर पर प्राप्त कर चुके हैं। आयकर नियमों के अनुसार बाकी बचे 760 रुपये को अल्पकालिक पूंजी नुकसान के रूप में माना जा सकता है।
वर्तमान में ब्याज दरों में हो रही गिरावट के मद्देनजर क्या बैंकों की सावधि जमा (फिक्सड डिपॉजिट) के मुकाबले गिल्ट फंडों में 6 महीनों का निवेश बेहतर विकल्प हो सकता है? 1-3 वर्षों की सावधि जमा (कर लागू) पर 6.67 फीसदी (अधिकतम) का प्रतिफल मिलेगा।
बहरहाल गिल्ट फंडों से मिलने वाला मुनाफा भी काफी आकर्षक दिखाई दे रहा है। अगर रिडेम्पशन के दबाव की बात के मद्देनजर गिल्ट फंडों के लिए किसी तरह के जोखिम की बात हो सकती है?
पारथान
ब्याज दरों में हो रही कटौती के मद्देजनर गिल्ट फंडों के मुनाफे में कमी आती है। वहीं मौजुदा गिल्ड फंड जो बेहतर मुनाफा दे रहे हैं उनकी कीमतों में उछाल आता है। यदि ब्याज दरों में निरंतर गिरावट जारी रहता है तो गिल्ट फंडों से मुनाफा होगा।
लेकिन ब्याज दरों में गिरावट का सिलसिला अभी कुछ समय पहले शुरु हुआ है। साथ ही गिल्ट से प्राप्त होनेवाले मुनाफे में भी उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। इनका कारोबार अधिक होने के कारण इन फंडों के साथ काफी हद तक अनिश्चितता भी जुड़ जाती है।
रिडेम्पशन की परिस्थिति में गिल्टों की तरलता और कीमत उस समय उनकी कीमतों पर निर्भर करता है। लिहाजा ब्याज दरों के प्रति इन फंडों की अत्यधिक संवेदनशीलता की स्थिति में पैदा हुई मुश्किलों से सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
किसी वित्तीय वर्ष में म्युच्युअल फंडों में निवेश करने की उच्चतम सीमा राशि कितनी है? कम जोखिम वाले बेहतर मुनाफा (लो-रिस्क हाई-रिटर्न) देने वाले म्युचुअल फंड क्या होते है? क्या आप कुछ इस तरह के फंडों के नाम बता सकते हैं?
कमलेश ठाकुर
किसी वित्तीय वर्ष के दौरान म्युच्युअल फंडों में निवेश की कोई सीमा नहीं होती है। लेकिन इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम में म्युच्युअल फंडों में 1 लाख रुपये तक के निवेश करने के बाद करों में रियायत संबंधी दावा किया जा सकता है।
यह कर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत मान्य है। कम जोखिम वाले बेहतर मुनाफा (लो-रिस्क हाई-रिटर्न) देने वाले म्युचुअल फंड रेटिंग एजेंसियों द्वारा म्युचुअल फंउं को दिया जानेवाला ग्रेड है।
इन फंडों के प्रदर्शन को तय करते वक्त इनसे होनेवाले मुनाफे और जोखिम का आंकलन किया जाता है।
डीएसपीबीआर टॉप 10 इक्विटी, बिरला सनलाइफ फ्रंटलाइन इक्विटी, एचडीएफसी टॉप 200 और एचएसबीसी इक्विटी आदि लो-रिस्क हाई-रिटर्न म्युचुअल फंड के तहत आनेवाली लार्ज-कैप इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंडों में शुमार हैं।
यदि मैं म्युच्युअल फंड में प्रत्यक्ष तौर पर आईसीआईसीआई डायरेक्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से निवेश करता हूं तो क्या इसे बिना किसी एंट्री लोड के प्रत्यक्ष निवेश के तौर पर माना जाएगा?
आशय नेरुरकर
यदि कोई म्युच्युअल फंडों में बिना मध्यस्त के निवेश करता है, तो कोई एंट्री लोड लागू नहीं होती है।
लेकिन यदि आप आईसीआईसीआई डायरेक्ट के जरिए निवेश करते हैं तो जो एक ब्रोकर है, तो आपको एंट्री लोड का भुगतान करना होगा क्योंकि यह प्रत्यक्ष निवेश के दायरे में नहीं आता है।
मैंने डीडब्ल्यूएस टैक्स सेविंग फंड में निवेश किया है। यदि मैं अपनी योजना में बदलाव कर ग्रोथ ऑप्शन के बदले डिविडेंड ऑप्शन का चयन करता हूं तो क्या इसे नयी खरीदारी के तौर पर माना जाएगा?
आशु गुप्ता
जिस फंड में आपका निवेश जारी है उसे आप तीन वर्षों की अवधि पूरी होने तक नहीं बदल सकते हैं।
यह एक टैक्स सेविंग फंड है जिसके साथ लॉक-इन अवधि जुड़ी होती है।
यदि आप तीन वर्षों के बाद ऐसा करते हैं तो यह लेन-देन के तहत माना जाएगा जो ग्रोथ प्लान का रिडेम्पशन और डिविडेंड प्लान की खरीददारी मानी जाएगा।