करीब 1.5 करोड़ निवेशकों ने आभासी मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) में 15,000 करोड़ रुपये निवेश किए हैं। इंडिया क्रिप्टो इंडस्ट्री ने ये आंकड़े जारी किए हैं। क्रिप्टोकरेंसी में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी और इनमें कारोबार जोर पकडऩे के बावजूद अब तक आयकर विभाग ने ऐसे निवेशकों के लिए कर भुगतान और आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने से जुड़े नियम तय नहीं किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को जानकारों की सलाह के आधार पर कर भुगतान एवं आईटीआर जमा करना चाहिए।
स्थिति साफ नहीं
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मान्यता देने के विषय पर सरकार किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है इसलिए कर विभाग ने भी इस परिसंपत्ति से जुड़े नियम निर्धारित नहीं किए हैं। फिंटू के संस्थापक मनीष पी हिंगर कहते हैं, ‘भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं दी है। इस बात पर अनिश्चितता कायम है कि कर दाखिल करने के समय क्रिप्टोकरेंसी को पूंजीगत लाभ गणना में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं।’ करदाताओं को सबसे पहले इस प्रश्न से रूबरू होना चाहिए कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश भुनाने पर प्राप्त आय को किसी तरह वर्गीकृत किया जाना चाहिए। ईवाई में टैक्स पार्टनर एवं इंडिया मोबिलिटी लीडर अमरपाल एस चड्ढा कहते हैं, ‘इस बात पर असमंजस कायम है कि क्रिप्टोकरेंसी को ‘पूंजीगत लाभ’ या ‘कारोबार से आय’ के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए।’
विशेषज्ञों के अनुसार करदाताओं को किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए निवेश का मकसद, निवेश की प्रकृति, निवेश बनाए रखने की अवधि, निवेश करने एवं भुनाने की आवृत्ति जैसे मौजूदा सिद्धांतों पर टिके रहना चाहिए। विक्टोरियम लीगलिस-एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर आदित्य चोपड़ा कहते हैं, ‘अगर आप नियमित कारोबार कर रहे हैं और रकम भी बड़ी है तो क्रिप्टोकरेंसी से प्राप्त आय को कारोबार से प्राप्त आय के रूप में वर्गीकृत करें।’ अगर आपने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के मकसद से रकम लगाई है और इसमें अधिक कारोबार नहीं करते हैं तो इनकी बिक्री से प्राप्त आय ‘पूंजीगत आय’ मानी जा सकती है।
निवेश बनाए रखने की अवधि पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इससे यह तय नहीं हो पाता है कि निवेश दीर्घ या लघु अवधि के लिए था और इंडेक्सेशन बेनिफिट (महंगाई समायोजित करने के पश्चात बची रकम) का लाभ दिया जाना चाहिए या नहीं। क्लियरटैक्स के मुख्य कार्याधिकारी अर्चित गुप्ता कहते हैं, ‘एक मुद्दा यह भी है कि पूंजीगत हानि की भरपाई की अनुमति दी जानी चाहिए या इसे अगले वर्ष में समायोजित करने के लिए छोड़ देना चाहिए।’
एक प्रश्न यह भी है कि क्रिप्टोकरेंसी तैयार (क्रिप्टो माइनिंग) करने में जुटे लोगों पर किस तरह कर लगाया जाना चाहिए। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर समीर जैन कहते हैं,’कुछ लोगों का मानना है कि क्रिप्टो माइनिंग सेवा है इसलिए इस पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगना चाहिए।’ कुछ अन्य दूसरे विषयों पर भी स्थिति स्पष्ट किए जाने की जरूरत है। जिन करदाताओं की सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक है उन्हें ‘परिसंपत्ति एवं देनदारी अनुसूची’ में अधिग्रहण खर्च के साथ अपनी परिसंपत्ति एवं देनदारियों का ब्योरा देना जरूरी है। इस पर भी असमंजस कायम है कि इस अनुसूची में ऐसी जानकारियां कहां दी जानी चाहिए। यह भी तय नहीं हो पाया है कि क्रिप्टोकरेंसी को विदेशी परिसंपत्तियों के तौर पर देखा जाना चाहिए या नहीं। चड्ढा कहते हैं, ‘रेजिडेंट ऐंड ऑर्डिनरी रेजिडेंट्स (आरओआरएस) के दायरे में आने वाले करदाताओं के लिए आईटीआर में विदेशी आय एवं विदेशी परिसंपत्तियों का ब्योरा देना जरूरी है भले ही उसकी आय उस वर्ष कितनी ही क्यों नहीं रही है।
कर विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्रिप्टोकरेंसी विदेशी परिसंपत्ति है या क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री से प्राप्त लाभ विदेश से प्राप्त आय है या नहीं।’
निवेशकों के विकल्प
अगर क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार से जुड़े हैं या इसमें निवेश करते हैं तो कर अधिकारियों की नजरों में आ सकते हैं। आपने अगर पिछले वर्ष क्रिप्टोकरेंसी में निवेश भुनाए हैं तो इससे अर्जित रकम का जिक्र आईटीआर में करें। इस आय की गणना कैसी की जाए इसे समझने के लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लें। कर देनदारी या किसी तरह के जुर्माने एवं कालाधन और कर अधिनियम, 2015 के झमेले से बचने के लिए विदेशी परिसंपत्ति या आय अनुसूची में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश दिखाना अक्लमंदी हो सकती है। क्रिप्टोकरेंसी से आय अर्जित करने वाले लोगों के लिए दो आईटीआर फॉर्म काम के हैं। पूंजीगत लाभ अर्जित करने वाले आईटीआर-2 जबकि कारोबार या पेशे से आय अर्जित करने वालों को आईटीआर-3 इस्तेमाल करना चाहिए।