बैंकों और शैडो बैंकों के खिलाफ की गई सख्त कार्रवाई की आलोचनाओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि जमाकर्ताओं और ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के लिए कदम उठाए गए हैं और कुछ मुट्ठी भर इकाइयों के कारोबार पर ही प्रतिबंध लगाए गए हैं।
सीएनबीसी-टीवी18 द्वारा 30 अगस्त को आयोजित एक कार्यक्रम में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकीरमण ने कहा कि मैं आज इस धारणा पर स्थिति साफ करना चाहूंगा कि पर्यवेक्षक व्यवसाय पर प्रतिबंध लगाने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं, कभी-कभी उन्हें ट्रिगर-हैप्पी के रूप में दिखाया जाता है। इस भाषण को आज रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर डाला गया है।
पिछले कुछ साल के दौरान नियामक ने मानकों के उल्लंघन और ग्राहकों को असुविधा होने के कारण बैंकों पर कई कारोबारी प्रतिबंध लगाए और उन्हें नए ग्राहक बनाने से रोक किया। एचडीएफसी, पेटीएम पेमेंट बैंक, आईआईएफएल फाइनैंस, जेएम फाइनैंशियल्स के साथ कुछ अन्य इकाइयां इसमें शामिल हैं।
स्वामीनाथन ने कहा कि कभी कभी मीडिया द्वारा हमसे पूछा जाता है कि अगला निशाना कौन होगा और ऐसा लगता है कि पर्यवेक्षकीय कार्रवाई नियमित प्रकृति की है। उन्होंने कहा, ‘कुछ मुट्ठी भर इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। वह भी हर श्रेणी में सबसे अधिक अपवाद के रूप में दंडात्मक कार्रवाई की गई है, जिससे कि शेष उद्योग पर इसका साफ असर पड़े।’
150 से ज्यादा बैंकों, 9,000 से ज्यादा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ 1,500 यूसीबी व अन्य इकाइयां काम कर रही हैं, जो पर्यवेक्षण के अधीन आती हैं और इनमें से कुछ इकाइयों के खिलाफ ही कार्रवाई की गई है। कारोबार संबंधी प्रतिबंध की कार्रवाई कभी भी आसानी से नहीं की जाती है, बल्कि सख्त पर्यवेक्षी कार्रवाई तभी की जाती है जब सावधानी पूर्वक प्रत्यक्ष जांच, आंकड़ों का विश्लेषण आदि कर लिया जाता है।