चुनाव

चुनावों में बढ़ रही महिला उम्मीदवारों की हिस्सेदारी लेकिन अभी भी तय करनी है लंबी दूरी

एक महिला उम्मीदवार अगर चुनाव में जीत भी जाती हैं तो यह पक्का नहीं है कि राजनीतिक पार्टियां उन्हें फिर से मैदान में उतरने का मौका देंगे भी या नहीं।

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अनुष्का साहनी   
समरीन वानी   
Last Updated- November 24, 2023 | 9:20 PM IST

Assembly Elections 2023: कांग्रेस की विधायक शफिया जुबैर ने राजस्थान के 2018 विधानसभा चुनाव में राज्य की रामगढ़ सीट से चुनाव जीता था। वह शनिवार को होने वाले चुनाव में प्रत्याशी नहीं हैं, क्योंकि इस बार पार्टी ने उनके पति और रामगढ़ के पूर्व विधायक रहे जुबैर खान को चुनावी मैदान में उतारा है।

आपको बता दें कि दो महीने पहले सितंबर में देश की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर संसद में महिला रिजर्वेशन बिल के पक्ष में मतदान किया था। हालांकि, इस बिल के बावजूद भारतीय राजनीति में जेंडर आधारित समानता को अभी बहुत दूरी तय करनी है।

आंकड़ों के अनुसार, देश के चार राज्यों में दोबारा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में महिला उम्मीदवारों की हिस्सेदारी सिर्फ दस फीसदी है। हालांकि, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में पिछले तीन चुनावों में महिला उम्मीदवारों की संख्या लगातार बढ़ी है।

तेलंगाना में भी चुनाव हो रहे हैं, लेकिन इस राज्य का कंसोलिडेट डेटा उपलब्ध नहीं है।

इलेक्शन कमीशन और Association of Democratic Right के डेटा पर आधारित बिजनेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण के अनुसार, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में 1178 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। इनमें से लगभग 13 प्रतिशत महिलाएं हैं।

यह आंकड़ा जिन चार राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, उनमे सबसे ज्यादा है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और मिजोरम के उम्मीदवारों में महिलाओं कि हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है।

आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो दोबारा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में महिलाओं की संख्या कम हैं। राजस्थान में एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे कुल 173 उम्मीदवारों में से केवल 14 प्रतिशत ही महिला उम्मीदवार है।

वहीं, छत्तीसगढ़ में ऐसे उम्मीदवारों में महिलाओं की संख्या 15 प्रतिशत हैं, जिन्हें फिर से टिकट दिया गया हो। जबकि मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 7 प्रतिशत पर सिमित है।

आपको जानकार हैरानी होगी कि मिजोरम में 2014 में राज्य की ह्रांगतुर्जो (Hrangturzo) सीट पर हुए उपचुनाव में फिर से एक महिला विधायक चुनी गईं थी। बड़ी बात यह है कि ऐसा 1987 के बाद यह पहली बार हुआ था।

बिजनेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण में शामिल चार राज्यों में 2018 चुनाव जीतने वाली हर महिला प्रत्याशी के मुकाबले पुरुष उम्मीदवारों कि संख्या चार थी।

देश की दो सबसे पार्टी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की तरफ से चार राज्यों में बांटी गयी टिकटों में महिलाओं कि हिस्सेदारी केवल 20 प्रतिशत है। कांग्रेस के 559 उम्मीदवारों में 78 (14 प्रतिशत) महिलाएं है जबकि भाजपा के 543 उम्मीदवारों में से 65 (12 प्रतिशत) महिलाएं हैं।

नॉन-प्रॉफिट संस्था फेम फर्स्ट फाउंडेशन की फाउंडर एंजेलिका अरिबम कहती हैं, “अपने घोषणा पत्रों में वादे के बावजूद राजनीतिक पार्टियां महिला उम्मीदवारों को टिकट नहीं देती। अपनी पार्टियों से से समर्थन न मिलने के कारण महिलाएं खुद चुनाव लड़ती हैं। भले ही वे लंबे समय से पार्टी की वफादार कार्यकर्ता रही हों।”

First Published : November 24, 2023 | 9:18 PM IST