भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी द्वारा उन्हें उम्मीदवार घोषित किए जाने पर एक बार फिर अचंभा जताया है। भाजपा नेता ने कहा कि उन्हें अपने उम्मीदवार बनने पर अब भी विश्वास नहीं हो रहा है।
विजयवर्गीय ने इंदौर में मंगलवार रात भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं उम्मीदवार हूं। मैं आपसे सच कह रहा हूं। मुझे लग ही नहीं रहा है कि मुझे टिकट मिल गया और मैं उम्मीदवार बन गया हूं।”
उन्होंने कहा कि उनकी चुनाव लड़ने की एक प्रतिशत भी इच्छा नहीं थी। भाजपा महासचिव ने अपने चिर-परिचित अंदाज में पार्टी कार्यकर्ताओं से चुहल करते हुए कहा कि चूंकि वह बड़े नेता हो गए हैं, इसलिए उनकी उम्मीदवारी घोषित होने से पहले उन्हें लग रहा था कि उन्हें चुनाव प्रचार के लिए अलग-अलग स्थानों पर भाषण देने जाना होगा और अब वह लोगों के सामने हाथ जोड़ने कहां जाएंगे।
विजयवर्गीय के मुताबिक उनकी उम्मीदवारी घोषित होने से पहले योजना बनाई गई थी कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के प्रचार के लिए हर रोज आठ स्थानों पर चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे जिनमें से पांच स्थानों पर वह हेलिकॉप्टर के जरिये पहुंचेंगे, जबकि तीन अन्य स्थानों तक पहुंचने के लिए कार का सहारा लेंगे।
भाजपा के 67 वर्षीय नेता ने कहा, ‘‘..पर आप जो सोचते हो, वह होता कहां है। भगवान की जो इच्छा होती है, वही होता है। भगवान की ऐसी इच्छा थी कि मैं चुनाव लड़ूं और एक बार फिर से जनता के बीच जाऊं।’’
विजयवर्गीय अपने गृहनगर इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-1 से चुनावी समर में उतरेंगे। फिलहाल कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला विधानसभा में इस सीट की नुमाइंदगी करते हैं। विजयवर्गीय ने सोमवार रात भाजपा उम्मीदवार के रूप में अपने नाम की घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा था, ‘‘चुनावी टिकट मिलने से मैं आश्चर्यचकित हूं। भाजपा संगठन द्वारा मुझे फिर से चुनावी राजनीति में भेजा जाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं पार्टी की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा।’’
कांग्रेस ने विजयवर्गीय द्वारा उनकी चुनावी उम्मीदवारी पर बार-बार अचंभा जताए जाने पर चुटकी ली है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने कहा, ‘‘लगता है कि भाजपा के बडे़ नेताओं की अंदरूनी खींचतान के चलते विजयवर्गीय को उनकी इच्छा के विरुद्ध चुनावी समर में धकेल दिया गया है। विजयवर्गीय जैसे वरिष्ठ नेता को विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार बनाया जाना ऐसा ही है, जैसे पुलिस थाने के किसी प्रभारी को पदावनत कर हवलदार बना दिया जाए।’’