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चंद्रबाबू नायडू: साइबराबाद से सरकार के शिल्पकार बनने तक का सफर

आंध्र प्रदेश में नायडू की सत्ता में वापसी के साथ ही अब वह राष्ट्रीय स्तर पर भी एक संभावित किंगमेकर के रूप में उभर गए हैं।

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शाइन जेकब   
Last Updated- June 04, 2024 | 11:02 PM IST

‘हैदराबाद को कुली कुतुब शाह ने बनाया था और मैंने हैदराबाद के करीब साइबराबाद बनाया।’ तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) के दिग्गज नेता 74 वर्षीय नारा चंद्रबाबू नायडू के अलावा देश का कोई नेता शायद ही ऐसा दावा करे। आंध्र प्रदेश में नायडू की सत्ता में वापसी के साथ ही अब वह राष्ट्रीय स्तर पर भी एक संभावित किंगमेकर के रूप में उभर गए हैं।

इस बदलाव के साथ ही भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र को प्रमुखता से बढ़ावा देने वाले इस नेता के जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। उन्हें हैदराबाद को प्रौद्योगिकी केंद्र में बदलने का श्रेय दिया जाता है।

राज्य के एक प्रमुख दल वाईएसआर कांग्रेस पार्टी द्वारा सत्ता से बेदखल किए जाने के पांच साल बाद नायडू के नेतृत्व वाले गठबंधन (भाजपा और जनसेना पार्टी) ने राज्य विधानसभा की 175 सीटों में से 130 सीटें जीतने की ओर बढ़ रही हैं। अब तेदेपा राज्य की 25 में से 14 लोक सभा सीटों पर (भाजपा 3 पर और जनसेना 2 पर) आगे है और यह राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख ताकत बन गई है।

इस राजनीतिक उभार से पहले सितंबर 2023 में नायडू अपने राजनीतिक करियर के बेहद खराब दौर का सामना कर रहे थे। अब आठ महीने बाद उन्हें फिर से राष्ट्रीय राजनीति में सुर्खियों में रहने का अवसर मिला है। उन्हें वाईएसआर कांग्रेस पार्ची की सरकार ने कौशल विकास निगम घोटाले से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था और उन्हें लगभग दो महीने राजामहेंद्रवरम केंद्रीय जेल में रहना पड़ा।

नायडू के समर्थक अक्सर उनके और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स की 1990 के दशक में हुई बैठक को याद करते हैं। उस बैठक के बाद उनकी छवि उद्योग समर्थक नेता के तौर पर उभरी थी। गेट्स को उनसे महज 10 मिनट के लिए मुलाकात करनी थी। नायडू के विचारों से प्रभावित होकर गेट्स ने उनके साथ 45 मिनट तक बैठक की। बैठक के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने राज्य में अपना ‘इंडिया डेवलपमेंट सेंटर’ शुरू करने का निर्णय लिया।

चित्तूर के नरवरिपल्ली में 20 अप्रैल, 1950 को पैदा हुए नायडू ने अपने चार दशक लंबे राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे। उन्होंने 1970 के दशक में तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में एक छात्र नेता के रूप में राजनीति की शुरुआत की। शुरुआत में वह कांग्रेस के साथ थे और आपातकाल के दौरान संजय गांधी के कट्टर समर्थक थे।

बाद में नायडू ने तेदेपा का दामन थाम लिया, जिसकी स्थापना उनके दिवंगत ससुर और मशहूर सुपरस्टार अभिनेता एनटी रामाराव ने की थी। सितंबर 1995 में पार्टी संस्थापक के नेतृत्व के खिलाफ तख्तापलट के बाद नायडू पहली बार मुख्यमंत्री बने। ऐसा पहली बार नहीं है जब नायडू राष्ट्रीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने 1990 के दशक के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को बाहर से अपना समर्थन दिया था।

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और बुनियादी ढांचे के विकास के कारण उन्हें जनता का अपार समर्थन मिला और उसकी बदौलत नायडू ने 1999 में सत्ता में वापसी की। नायडू 2014 में विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। इस दौरान उन्हें ‘स्मार्ट विलेज, स्मार्ट वार्ड’ जैसे कई कार्यक्रम शुरू करने का श्रेय दिया गया जिसका मकसद आंध्र प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदलने की थी।

वह अमरावती को राजधानी बनाना चाहते थे, मगर 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने पर वह योजना खटाई में पड़ गई।

First Published : June 4, 2024 | 11:02 PM IST