अर्थव्यवस्था

WTO MC13: विश्व व्यापार संगठन के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत नहीं करेगा गैर-कारोबारी मुद्दों पर बात

13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी) 26 से 29 फरवरी तक संयुक्त अरब अमीरात के अबूधाबी में आयोजित होना है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- February 07, 2024 | 9:29 PM IST

भारत इस महीने के अंत में होने वाली विश्व व्यापार संगठन (WTO) की द्विवार्षिक बैठक में पर्यावरण, महिला-पुरुष मसला और MSME जैसे गैर व्यापारिक मुद्दों पर बात नहीं करेगा। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत इन मुद्दों के किसी भी कार्यक्रम के साथ-साथ एमएसएमई और लिंग को कारोबार से जोड़ने खिलाफ है। एक अधिकारी ने बुधवार को कहा, ‘हम भविष्य में भी इन मुद्दों पर बातचीत करने के खिलाफ हैं।’

13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी) 26 से 29 फरवरी तक संयुक्त अरब अमीरात के अबूधाबी में आयोजित होना है।

भारत अपने इस रुख पर कायम है कि श्रम एवं पर्यावरण जैसे मामले गैर-व्यापारिक मुद्दे हैं और उनकी चर्चा डब्ल्यूटीओ में नहीं होनी चाहिए। साथ ही भारत का कहना है कि सतत विकास की आड़ में कारोबारी बाधाएं नहीं खड़ी करनी चाहिए। एक अन्य सरकारी अधिकारी का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे कई ऐसे विशिष्ट निकाय हैं जहां इन मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए।

अधिकारी ने कहा, ‘ ऐसे विशिष्ट निकाय हैं जहां इन मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए। ये व्यापार से जुड़े मुद्दे नहीं हैं लेकिन इनका व्यापार पर असर पड़ता है।’ एमसी 13 से पहले कई विकसित देश इन गैर-कारोबारी मुद्दों पर औपचारिक बातचीत शुरू करने पर बल दे रहे हैं।

विकसित देश डब्ल्यूटीओ बातचीत में महिला आर्थिक सशक्तीकरण जैसे मुद्दों को भी शामिल करना चाह रहे हैं। भारत का मानना है कि यह सामाजिक और घरेलू मसला है और इस पर विमर्श करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशिष्ट सम्मेलन हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘इसलिए हम ऐसे किसी भी कार्यक्रम पर सहमत नहीं होंगे और हम सतत विकास को बढ़ावा देने वाले विमर्शों का समर्थन करेंगे मगर हमारे अधिकार और दायित्व प्रभावित नहीं होने चाहिए।’

अधिकारी ने कहा, ‘कारोबार का उद्देश्य सतत विकास को सुनिश्चित करना है। इसलिए इसकी आड़ में विकसित देश बाधाएं खड़ी नहीं कर सकते हैं। यह हमारा निवेदन है।’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) कानून जैसे पर्यावरणीय मुद्दों को भी कारोबारी मामलों में शामिल किया जा रहा है। ऐसे एकतरफा उपायों का उपयोग बढ़ रहा है जो व्यापार पर असर डाल रहा है।

यूरोपीय संघ द्वारा सीबीएएम लागू करने के मसले की चर्चा मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में नहीं की जा सकती। इस मामले पर भारत और ईयू के बीच द्विपक्षीय चर्चा हो रही है।

अधिकारी ने कहा, ‘इस तरह के उपाय न केवल डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं, बल्कि कुल मिलाकर इनका अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए व्यवस्था के स्तर पर भी असर पड़ सकता है। एकतरफा कार्रवाई बहुपक्षीय बातचीत से हासिल अधिकारों और दायित्वों को कमजोर करती है।’

First Published : February 7, 2024 | 9:29 PM IST