थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर सितंबर में लगातार दूसरे महीने बढ़कर 1.32 प्रतिशत पहुंच गई है। सब्जियों के दाम बढऩे के कारण पिछले महीने की तुलना में इसमें 0.16 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। अगस्त के पहले कीमतों में अवस्फीति की स्थिति बनी हुई थी।
बहरहाल कुछ धातुओं के दाम बढऩे से विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई में भी कुछ बढ़ोतरी हुई है। सितंबर में 7.34 प्रतिशत खुदरा महंगाई की तुलना में थोक महंगाई कम नजर आ रही है, लेकिन दोनों सूचकांकों पर व्यापक धारणा एकसमान है। थोक महंगाई में खाद्य वस्तुओं का भार 15.26 प्रतिशत होता है, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) यानी खुदरा महंगाई में इसका अधिभार 45 प्रतिशत से ज्यादा है। इसकी वजह से खुदरा महंगाई ज्यादा बढ़ी हुई नजर आ रही है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दरें यथावत रखेगी। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नैयर ने कहा, ‘आंकड़े एक बार फिर पुष्टि करते हैं कि मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दरों को यथावत रखेगी।’
सितंबर महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर पहले के महीने के 3.84 प्रतिशत से दोगुना बढ़कर 8.17 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसे सब्जियों व दाल के दाम में बढ़ोतरी से बल मिला है।
सब्जियों की महंगाई दर में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है और यह इस अवधि के दौरान 7.03 प्रतिशत से बढ़कर 36.53 प्रतिशत हो गई है। सब्जियों में आलू की महंगाई दर में 108 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। टमाटर 99.2 प्रतिशत बढ़ा है। बहरहाल इस दौरान प्याज की महंगाई दर पहले महीने के 34 प्रतिशत से घटकर 32 प्रतिशत रह गई है।
इलियर इंडिया के एमडी और सीईओ संजय कुमार ने कहा कि थोक खाद्य महंगाई में बढ़ोतरी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा दो वजहों से है। पहला, इससे रीपो रेट को आगे और घटाने से रिजर्व बैंक बचेगा। दूसरा, इससे खपत प्रभावित होगी क्योंकि कर देने वाली आबादी पहले ही नौकरियां जाने और आर्थिक संकुचन की वजह से दबाव में है।’
