थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर अगस्त में लगातार 5वें महीने संकुचित होकर अवस्फीति में रही है। हालांकि इसकी रफ्तार कुछ सुस्त हुई है और यह बढ़कर अगस्त में 5 महीने के उच्च स्तर -0.52 प्रतिशत पर है, जो जुलाई में -1.36 प्रतिशत थी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों से यह पता चलता है।
ज्यादा आधार के कारण फैक्टरी गेट मूल्य में लगातार अस्फीति की स्थिति है। साथ ही खनिज तेलों, आधार धातुओं, रसायन एवं रासायनिक उत्पादों, टेक्सटाइल्स और खाद्य उत्पादों की कीमत में गिरावट का भी असर रहा है, जो पहले के साल के समान महीने की तुलना में कम है।थोक महंगाई दर पिछले साल अगस्त में 12.48 प्रतिशत थी।
हालांकि खाद्य महंगाई अभी दो अंकों में 10.6 प्रतिशत पर बनी हुई है, जो इसके पहले महीने में 14.25 प्रतिशत थी। खाद्य कीमतों में यह कमी प्राथमिक रूप से सब्जियों (48.4 प्रतिशत), मोटे अनाज (7.25 प्रतिशत), गेहूं (5.81 प्रतिशत), दूध (7.79 प्रतिशत) की कीमत में गिरावट और आलू (-24.02 प्रतिशत), फल (-12.88 प्रतिशत), अंडे व मांस (-2.98 प्रतिशत) की कीमत पिछले साल की तुलना में ऋणात्मक में चले जाने की वजह से आई है।
बहरहाल इस दौरान प्याज (31.42 प्रतिशत), धान (9.18 प्रतिशत) और दलहन (10.45 प्रतिशत) की कीमत में तेजी आई है। इसके अलावा आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि विनिर्मित वस्तुओं के उत्पादन में संकुचन (-2.37 प्रतिशत) अगस्त में लगातार छठे महीने में जारी रहा है, जो जुलाई में -2.51 प्रतिशत था। इसकी वजह स खाद्य वस्तुओं (-3.60 प्रतिशत), वनस्पति और पशु से मिलने वाले तेल (-20.9 प्रतिशत), टेक्सटाइल्स (-8.5 प्रतिशत), कागज (-10.36 प्रतिशत), रसायन (-7.03 प्रतिशत), धातुओं (-5.71 प्रतिशत) और स्टील (-4.80 प्रतिशत) के दाम में संकुचन आया है।
वहीं ईंधन की कीमत (-6.03 प्रतिशत) में लगातार चौथे महीने संकुचन जारी रहा, जिसमें रसोई गैस (-24.01 प्रतिशत), पेट्रोल (-2.13 प्रतिशत), हाई स्पीड डीजल (-11.3 प्रतिशत) की कीमतों में संकुचन का असर रहा है। थोक मूल्य सूचकांक को लेकर केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि उच्च आधार का असर कम होने से दूसरी छमाही में थोक महंगाई दर में कुछ तेजी आ सकती है।
उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद कर सकते हैं कि थोक महंगाई दर अगले महीने और उसके बाद धनात्मक क्षेत्र में आ जाएगी। साथ ही कच्चे तेल के वैश्विक दाम में तेजी, कम बारिश से इसमें तेजी का जोखिम है। हालांकि पूरे वित्त वर्ष में हम थोक महंगाई दर औसतन 1 से 2 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद कर रहे हैं।’
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि अवस्फीति की रफ्तार कम हुई है और कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत एक बार फिर बढ़नी शुरू हो गई है, साथ ही कुछ और जिंसों की कीमत भी बढ़ने लगी है।