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Last Updated- December 14, 2022 | 10:25 PM IST

म्युचुअल फंड (एमएफ) और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) के दायरे में आ सकते हैं। कर का यह नया प्रावधान 1 अक्टूबर से प्रभावी है। टीसीएस से फंडों के साथ ही उनके निवेशकों पर भी असर पड़ सकता है।
वित्त अधिनियम, 2020 की धारा 206सी में उप-धारा (1एच) जोड़ा गया है। इसके तहत पिछले साल 50 लाख रुपये से अधिक मूल्य की किसी भी वस्तु की बिक्री करने वाले विक्रेता को बिक्री मूल्य का 0.1 फीसदी टीसीएस वसूलना होगा। यह कर संग्रह बिक्री के समय किया जाएगा।
टीसीएस अभी तक 10 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार करने वाले विक्रेताओं पर लागू होता है, लेकिन अब इसके दायरे में सभी म्युचुअल फंड और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड भी आ सकते हैं। यूनिट बिक्री करने वाले एमएफ और एआईएफ को विक्रेता माना गया है जहां निवेशक यूनिट की खरीद करता है। इन यूनिट्स को भुनाते समय निवेशक विक्रेता और एमएफ एआईएफ को खरीदार माना जा सकता है।
पिछले महीने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने परिपत्र जारी कर धारा 206 सी (1एच) के लागू होने के बारे में स्पष्टीकरण दिया था। इसमें कहा गया था कि स्टॉक एक्सचेंज के तहत होने वाले प्रतिभूतियों और जिंसों के कारोबार पर यह धारा लागू नहीं होगी।
पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर तुषार सच्चाडे ने कहा, ‘शेयर और प्रतिभूतियों में म्युचुअल फंडों के यूनिट भी शामिल हैं, इस पर अस्पष्टता है। ऐसे में इसे वस्तु और एमएफ तथा एआईएफ को विक्रेता माना जा सकता है। सीबीडीटी ने स्टॉक एक्सचेंज के जरिये सूचीबद्घ प्रतिभूतियों के लेनदेन को टीसीएस के प्रावधान से बाहर रखा है। ऐसे में दूसरे तरीके से शेयरों और प्रतिभूतियों की बिक्री पर टीसीएस लागू हो सकता है।’
म्युचुअल फंड से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘0.1 फीसदी कर कटौती और इसके मुताबिक रिटर्न दाखिल करना दुरुह काम होगा। विक्रेता और खरीदार की परिभाषा स्पष्ट नहीं है। फंड इस बारे में स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं।’
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि एमएफ और एआईएफ को इस प्रावधान से छूट दी जा सकती है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने इस बारे में दो बार सीबीडीटी को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड में पंंजीकृत एमएफ धारा 206सी (1 एच) के तहत खरीदार और विक्रेता के दायरे में आते हैं या नहीं। मामले के जानकार लोगों का कहना है कि इंडियन प्राइवेट इक्विटी ऐंड वेेंचर कैपिटल एसोसिएशन ने भी एआईएफ की ओर से इसी तरह की बात उठाई है।
केपीएमएजी इंडिया में वरिष्ठ पार्टनर हितेश गजारिया ने कहा, ‘प्रतिभूतियों को विशिष्ट तौर पर जीएसटी अधिनियम में वस्तुओं एवं सेवाओं की परिभाषा से बाहर रखा गया है। सीबीडीटी ने सूचीबद्घ प्रतिभूतियों के बारे में स्पष्टीकरण जारी किया है और एमएफ तथा एआईएफ यूनिट्स सूचीबद्घ प्रतिभूतियां नहीं हैं।’

First Published - October 20, 2020 | 11:36 PM IST

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