आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि टीकाकरण को वृहद आर्थिक संकेतक के तौर पर देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह न सिर्फ स्वास्थ्य संबंधित आंकड़ा है बल्कि यह खासकर संपर्क-केंद्रित सेवाओं से संबंधित अर्थव्यवस्था को खोले जाने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
समीक्षा में कहा गया है कि हालांकि अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा ऐसे समय में की जा रही है जब भारत में टीकाकरण पूरी तरह हो चुका है और उसकी करीब 75 प्रतिशत आबादी को टीका लग चुका है। इसमें कहा गया है, ‘टीकाकरण में तेजी पर ध्यान देना भी जरूरी है क्योंकि यह न सिर्फ एक स्वास्थ्य संबंधित प्रगति है बल्कि महामारी की लहर की वजह से पैदा हुई आर्थिक समस्या के खिलाफ एक बफर भी है।’
समीक्षा में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दो वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था लगातार अनिश्चितता के जाल में घिरी रही है और आपूर्ति शृंखला प्रभावित हुई है तथा आधुनिक तथा उभरती अर्थव्यवस्थाओं, दोनों में मुद्रास्फीति की वापसी हुई है। इस संदर्भ में, टीकाकरण एक प्रमुख वृहद आर्थिक संकेतक के तौर पर साबित हुआ है।
समीक्षा में यह भी कहा गया है कि एक साल की अवधि के दौरान भारत ने 1.57 अरब टीके लगाए, जिनमें पहली खुराक में 91 करोड़ लोगों को शामिल किया गया और 66 करोड़ लोगों को दोनों खुराक दी जा चुकी हैं। बूस्टर के लिए टीकाकरण प्रक्रिया और 15-18 वर्ष उम्र समूह के लिए भी टीकाकरण तेज गति से चल रहा है।