अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप | फाइल फोटो
अमेरिका के 27 अगस्त से अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने के बाद तमिलनाडु को बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने का डर सता रहा है। ऐसा हो भी क्यों नहीं, राज्य के पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में कुल 52.1 अरब डॉलर के निर्यात में 31 प्रतिशत हिस्सेदारी अमेरिका की रही। रोजगार पर व्यापक असर को देखते हुए आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों की राह चलते हुए तमिलनाडु ने भी केंद्र सरकार ने मदद की गुहार लगाई है।
भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के कारण डॉनल्ड ट्रंप ने जुर्माने के तौर पर भारतीय वस्तुओं पर यह लगाने का ऐलान किया था। इससे होने वाले संभावित नुकसान से बचने के लिए उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, केरल, राजस्थान और गुजरात से लेकर अब तमिलनाडु तक सभी राज्य सरकारों ने अपनी निर्यात संवर्धन नीतियों की समीक्षा शुरू कर दी है। वे विकल्प के तौर पर जल्द से जल्द नए बाजार तलाशने की कोशिश कर रही हैं। राज्य सरकारों ने केंद्र से निर्यात प्रोत्साहन, कपड़ा क्षेत्र के लिए कपास से आयात शुल्क हटाने और जीएसटी छूट जैसे कदम उठाने का अनुरोध किया है। कुछ ने केंद्र को ब्राजील मॉडल पर विचार करने के लिए भी लिखा है, जहां की सरकार ने निर्यातकों को कर स्थगन और कर क्रेडिट की घोषणा की है। राज्य सरकारों ने अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क से प्रभावित होने वाले अन्य हितधारकों से भी परामर्श किया है।
आंध्र प्रदेश के रियल टाइम गवर्नेंस मंत्री नारा लोकेश ने बीते 20 अगस्त को राज्य के समुद्री उत्पाद निर्यातकों के साथ विचार-विमर्श किया। इस बैठक में आंध्र के मत्स्य विभाग की प्रस्तुति के अनुसार इक्वाडोर और थाईलैंड का झींगा भारत की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत सस्ता होगा। इसी प्रकार इंडोनेशिया का झींगा 35.36 प्रतिशत और वियतनाम का भी 9.66 प्रतिशत सस्ता होगा।
एक अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) टीम हैचरी, प्रसंस्करण संयंत्रों और तालाबों का निरीक्षण करने के लिए अगस्त में ही आंध्र प्रदेश का दौरा कर रही है। सरकार इस टीम को भारतीय झींगे के महत्त्व के बारे में बताएगी, जो अमेरिकी बाजार के गुणवत्ता मानकों का पूरी तरह पालन करती है। सरकार इसी के साथ टैरिफ को संशोधित करने की आवश्यकता पर जोर देगी।
वर्तमान में 6 लाख एकड़ मत्स्य पालन में से 2.50 लाख एकड़ क्षेत्र में झींगा पालन होता है। अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण तक पूरे समुद्री खाद्य उत्पाद श्रृंखला पर पड़ेगा। इससे 450 से अधिक झींगा हैचरी, 50 झींगा फीड मिलों, 3 लाख झींगा फार्मों, 300 से ज्यादा प्रसंस्करण, पूर्व-प्रसंस्करण तथा छीलन या पीलिंग यूनिटों, 2.60 लाख मछली पकड़ने वाली नावों, ट्रॉलर और अन्य जहाजों के साथ-साथ इस क्षेत्र में सीधे तौर पर जुड़े 27.8 लाख मछुआरों पर संकट आ सकता है। यही नहीं, संपूर्ण समुद्री खाद्य तंत्र में अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाने वाले 30 लाख से अधिक लोगों को भी गंभीर वित्त संकट का सामना करना पड़ सकता है। प्रारंभिक 25 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के बाद आंध्र सरकार ने बीते 9 अप्रैल को टैरिफ प्रभावों सहित मत्स्य पालन क्षेत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक एक्वाकल्चर सलाहकार समिति का गठन किया। आंध्र में किसानों की इनपुट लागत कम करने के लिए फीड निर्माताओं द्वारा 19 अप्रैल से 4 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत में कटौती जैसे कदम शामिल हैं। अपनी रिपोर्ट में सलाहकार समिति ने पैक किए गए झींगा पर 5 प्रतिशत जीएसटी हटाने, सभी हितधारकों के लिए नकदी की कमी दूर करने को आसान ऋण उपलब्ध कराने, मछली पकड़ने के ट्रॉलर के लिए डीजल पर उत्पाद शुल्क में छूट देने जैसे अन्य उपाय किए जाने के सुझाव भी दिए।
आंध्र प्रदेश सरकार अपने झींगा निर्यात के लिए दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और रूस जैसे नए बाजारों की भी तलाश कर रही है। किसानों को सीबास, सिल्वर पोम्पनो, कोबिया, ग्राउपर, हिलसा, चानोस, मुलेट, समुद्री शैवाल और केकड़ा जैसी महत्त्वपूर्ण प्रजातियों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य एंटीबायोटिक मुक्त उत्पादों के साथ प्रयोगशालाओं को मजबूत करने, बेहतर प्रमाणन और ब्रांडिंग में निवेश करने की रणनीति पर भी काम कर रहा है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में कहा, ‘ टैरिफ में वृद्धि से राज्य में जलीय उत्पादों के किसानों पर बोझ पड़ेगा। इसलिए हम उन्हें 1.50 पैसे प्रति यूनिट बिजली दे रहे हैं।’ रिपोर्टों के अनुसार राज्य के पूरे कपड़ा क्षेत्र को नए टैरिफ के कारण प्रति वर्ष लगभग 15,000 करोड़ रुपये से 20,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है। इसी तरह तमिलनाडु सरकार ने भी कहा कि अमेरिकी टैरिफ का अन्य राज्यों की तुलना में उस पर अधिक प्रभाव पड़ेगा।
बीते 16 अगस्त को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के कुल वस्तु निर्यात 433.6 अरब डॉलर का 20 प्रतिशत अमेरिका के साथ था। इसी प्रकार तमिलनाडु से कुल 52.1 अरब डॉलर की वस्तुओं का निर्यात होता है, जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि तमिलनाडु पर टैरिफ का प्रभाव अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक होगा। राज्य के विनिर्माण और रोजगार क्षेत्र के समक्ष इससे बहुत बड़ी चुनौती खड़ी होगी। तमिलनाडु सरकार के अनुमान के अनुसार सबसे अधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में कपड़ा, परिधान, मशीनरी, ऑटो उपकरण, रत्न-आभूषण, चमड़ा, जूते, समुद्री उत्पाद और रसायन हैं। इनमें बड़ी संख्या में लोग रोजगार पाते हैं। यदि टैरिफ या अन्य कारणों से इनके निर्यात में सुस्ती आई तो व्यापाक स्तर पर छंटनी होगी।
वर्ष 2024-2025 में देश के कुल कपड़ा निर्यात में तमिलनाडु की हिस्सेदारी अन्य सभी राज्यों से अधिक 28 प्रतिशत रही। यहां इस क्षेत्र में लगभग 75 लाख लोग कार्यरत हैं। टैरिफ लगने के बाद यहां 30 लाख नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी। मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में निर्यातकों के लिए मूलधन पुनर्भुगतान पर रोक सहित विशेष राहत पैकेज की मांग की है। उत्तर प्रदेश के कपड़ा, आभूषण और चमड़ा निर्यात पर भी टैरिफ का असर पड़ेगा। वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 35,000 करोड़ रुपये का कपड़ा अमेरिका गया था। अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार नए बाजारों की तलाश में जुट गई है। एक नई निर्यात संवर्धन नीति पर भी काम चल रहा है।
केरल के लिए अमेरिका काजू, चावल, सब्जियां, प्रसंस्कृत फल और अनाज के आटे का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। राज्य सरकार टैरिफ प्रभाव से बचने के लिए नए बाजार खोजने में निर्यातकों की मदद करने के लिए भारतीय निर्यात संवर्धन परिषद के समान एक निकाय बनाने की योजना पर काम कर रही है। राज्य के उद्योग मंत्री पी. राजीव ने कहा, ‘हम निर्यात-उन्मुख उद्योग क्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम करना चाहते हैं।’
इसी प्रकार तेलंगाना में उद्योग आयुक्त के संयुक्त निदेशक (एमएसएमई) मधुकर बाबू ने कहा है कि राज्य सरकार नई लॉजिस्टिक्स नीति में निर्यातकों के इनपुट को शामिल करेगी। उन्होंने निर्यातकों से अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के बाजारों में पैठ बनाने का आग्रह किया है।
(चेन्नई में शाइन जेकब और जयपुर में अनिल शर्मा से इनपुट के साथ)