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मुआवजे पर आज फिर माथापच्ची

Last Updated- December 14, 2022 | 10:53 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे के मसले पर सोमवार को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में अस्थायी तौर पर कुछ समाधान निकल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वित्तीय दबाव का सामना कर रहे राज्य इस मामले को और टालने के पक्ष में नहीं हैं। आपत्ति जता रहे केरल जैसे कुछ राज्य केंद्र के 1.1 लाख करोड़ रुपये आरबीआई विंडो के विकल्प के साथ समझौता कर सकते हैं।

हालांकि ऐसे राज्य मुआवजा तंत्र के लिए विवाद समाधान निकाय गठित करने की अपनी मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का रुख भी कर सकते हैं। अब तक 21 राज्यों ने आरबीआई विंडो के विकल्प को अपनाया है।

केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने कहा, ’21 राज्यों ने पहले विकल्प को चुना है और हम भी पहले विकल्प को अपना सकते हैं लेकिन हम इस मसले पर उच्चतम न्यायालय या विवाद निपटान व्यवस्था में जा सकते हैं। अगर केंद्र आगे बातचीत नहीं करना चाहती है और इसे लागू कराना चाहती है तो हम उसे अपनाएंगे लेकिन इस मसले के विवाद का निपटारा कराना चाहेंगे।’ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन शासित राज्य उधारी प्रक्रिया में तेजी लाने पर दबाव देंगे।

पुदुच्चेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि यह जीएसटी परिषद के पक्ष में होगा कि इस मसले का जल्द से जल्द समाधान करे। हर कोई इसका समाधान चाहता है और इसे आगे टालने के पक्ष में नहीं है। हम जीएसटी परिषद के साथ हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि यह केंद्र की सांविधिक बाध्यता है कि वह उधार लेकर राज्यों को पैसे दे।

5 अक्टूबर को हुई परिषद की बैठक बेनतीजा साबित हुई थी और मामले पर विचार के लिए 12 अक्टूबर को फिर बैठक बुलाई गई है। असम के वित्त मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि मतदान से इस मुद्दे का तेजी से हल निकल सकता है तो ऐसा किया जाना चाहिए। शर्मा ने कहा कि पिछले दो महीने से इस मामले पर विचार चल रहा है और मुआवजा जल्द चाहिए तो कोई न कोई उपाय करना होगा।

हालांकि केंद्र सरकार में सूत्रों ने कहा कि यह बात पहले ही स्पष्ट की जा चुकी है कि उधारी जीएसटी परिषद के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है, इसलिए इस विषय पर परिषद में मतदान नहीं हो सकता।

छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि अगर उधारी जीएसटी परिषद के दायरे में नहीं है तो यह विषय परिषद में उठना ही नहीं चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे किसी मुद्दे पर चर्चा ही क्यों कर रहे हैं जो हमारे अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं है। अगर ऐसा है तो फिर बातचीत के लिए कुछ नहीं बचता है।’ देव ने कहा कि वह निश्चित तौर पर इस विषय पर सर्वसम्मति चाहते हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकता तो मतदान आखिरी रास्ता होगा।

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जिन राज्यों ने आरबीआई की सहायता से उधारी लेने का विकल्प चुना है, उन्हें ऐसा करने की इजाजत दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘जीएसटी परिषद के लिए यह निर्णय करना जरूरी नहीं है कि किस राज्य को उधारी लेनी चाहिए और किसे नहीं। हमें इस बात की फिक्र है कि उधारी जल्द से जल्द लेने की अनुमति मिले ताकि हमारे ऊपर वित्तीय बोझ कम हो जाए।’

First Published - October 11, 2020 | 11:10 PM IST

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