मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी संस्था Skymet ने कहा है कि इस साल देश में वर्षा सामान्य से कम रह सकती है। Skymet के अनुसार अल नीनो प्रभाव के कारण इस साल बारिश दीर्घावधि औसत की 94 प्रतिशत तक ही रह सकती है। देश में पिछले चार साल से सामान्य एवं सामान्य से अधिक वर्षा होने के बाद इस साल अल नीनो दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को कमजोर कर सकता है।
Skymet ने कहा कि देश में जून से सितंबर के दौरान वर्षा 816.5 मिलीमीटर ही रह सकती है, जो 868.8 मिलीमीटर की सामान्य वर्षा से कम होगी। देश में पूरे साल जितनी बारिश होती है उसमें 70 प्रतिशत से अधिक जून से सितंबर के दौरान होती है। वर्षा के पूर्वानुमान में अमूमन 5 प्रतिशत का घट या बढ़ रहता है।
Skymet का यह अनुमान देश के कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का कारण बन सकता है। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी हद तक मॉनसून में होने वाली बारिश पर निर्भर है। कम बारिश पूरी अर्थव्यवस्था की सेहत पर असर डाल सकती है। यह बात अलग है कि कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन इस बात पर भी निर्भर करता है कि मॉनसून की बारिश समय से हुई या नहीं, उसका दायरा कितना रहा और वितरण कैसा रहा। बारिश कम होती है मगर उसका वितरण देश भर में समान रहता है तो कृषि उत्पादन पर अधिक असर नहीं पड़ता।
भारतीय मौसम विभाग भी 2023 के लिए पहले चरण का अनुमान इसी महीने के अंत में जारी करेगा। बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस कहते हैं, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र हमेशा ही कमजोर कड़ी रहा है। मॉनसून सामान्य नहीं रहा तो खरीफ फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है। अर्थव्यवस्था के लिए इससे मुश्किल खड़ी हो सकती है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक कितनी भी उम्मीद लगा ले, कमजोर मॉनसून महंगाई को नीचे नहीं आने देगा। ‘
वर्षा का क्षेत्रवार अनुमान जारी करते हुए Skymet ने कहा कि उत्तरी और मध्य भारत में बारिश कम रह सकती है। अनुमान में कहा गया है कि गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के दौरान बारिश शायद बहुत अधिक नहीं हो। इन राज्यों के अलावा उत्तर भारत के कृषि क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में मॉनसून के दूसरे हिस्से में वर्षा सामान्य से कम रह सकती है।
Skymet ने एक बयान में कहा, ‘पिछले चार वर्षों से ला लीना प्रभाव के कारण देश में सामान्य एवं इससे अधिक वर्षा हुई। अब ला लीना का असर खत्म हो चुका है। मगर मॉनसून के दौरान अल नीनो का असर देखा जा सकता है। अल नीनो का लौटना कमजोर मॉनसून का संकेत दे रहा है।’
बयान में कहा गया है कि अल नीनो के अलावा कुछ दूसरे कारक भी मॉनसून पर असर डालते हैं। हिंद महासागर पर डायपोल बना तो मॉनसून सामान्य रह सकता है और अल नीनो का असर खत्म हो सकता है। यह डायपोल अभी तटस्थ है और मॉनसून की शुरुआत तक इसके सकारात्मक होने के आसार दिख रहे हैं।