वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अर्थव्यवस्था तेजी से गति पकड़ रही है और चालू वित्त वर्ष के अंत तक यह कोविड-19 से पूर्व के स्तर पर पहुंच सकती है। हालांकि मंत्रालय ने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि महामारी की दूसरी लहर सारे किए कराए पर पानी फेर सकती है। मंत्रालय के अनुसार लोग अब कोविड-19 से बचाव को लेकर पहले जितने गंभीर नहीं लग रहे हैं।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने अक्टूबर की अपनी मासिक समीक्षा में कहा है कि उपभोग पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मिलने वाले सकारात्मक संकेत और अगले वर्ष कारोबारी उत्साह बेहतर रहने के अनुमानों से आर्थिक सुधार में और तेजी आने की उम्मीद काफी बढ़ गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान भी इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। इस वैश्विक संस्था ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो दुनिया के अन्य देशों की तुलना में अधिक कही जा सकती है।
मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में महामारी की दूसरी लहर को लेकर आगाह किया है। रिपोर्ट के अनुसार कोविड के सक्रिय मामले कम होने और मृत्यु दर में कमी से हालात तो सुधरे हैं, लेकिन यूरोपीय देशों और अमेरिका में कोविड-19 संक्रमण के मामले फिर बढऩे से चिंताएं पैदा हो गई हैं। डीईए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर संक्रमण से बचने में पूरी मुस्तैदी नहीं दिखाई गई तो परिस्थितियां फिर बिगड़ सकती हैं।
रिपोर्ट में आगे आगे कहा गया है कि ज्यादातर लोग अब घरों से बाहर निकलने लगे हैं और ऐसे में सावधानी बरतना ही एकमात्र रास्ता है। रिपोर्ट के अनुसार सावधानी बरतते हुए ही आर्थिक गतिविधियां जारी रखी जा सकती हैं। वित्त मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि त्योहार के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी। मंत्रालय के अनुसार आने वाले महीनों में खपत और बढऩे की संभावना है, जिससे अर्थव्यवस्था सामान्य होने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर में अर्थव्यवस्था की सेहत का अंदाजा देने वाले सभी संकेतकों में सुधार हुआ है। इसमें कहा गया है, ‘उदाहरण के लिए खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार, बिजली उपभोग में तेजी सहित वाहनों की बिक्री सभी से सुधार के संकेत मिल रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में देश की वृद्धि दर अनुमान से बेहतर रहने से संकेत मिल रहे हैं, जिससे दूसरे जरूरी विषयों पर ध्यान देने के लिए सरकार के पास विकल्प बढ़ जाएंगे।’
