देश में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में तेजी से गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान शुद्ध एफडीआई 4.5 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 19.6 अरब डॉलर था। वैश्विक स्तर पर निवेश गतिविधियों में नरमी और धन-प्रेषण बढ़ने से शुद्ध एफडीआई पर असर पड़ा है।
एफडीआई में कमी मुख्य रूप से संचार सेवाओं, रिटेल और थोक व्यापार एवं विनिर्माण क्षेत्रों में देखी गई। देश में दो-तिहाई से ज्यादा एफडीआई का निवेश सिंगापुर, मॉरीशस, जापान, अमेरिका और नीदरलैंड से होता है। देश में प्रत्यक्ष निवेश करने वालों द्वारा अपना निवेश निकाले जाने से भी शुद्ध एफडीआई प्रवाह पर असर पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों में देश से प्रत्यक्ष निवेश की निकासी 23.06 अरब डॉलर रही जबकि पिछले साल अप्रैल-सितंबर के दौरान 14.01 अरब डॉलर का निवेश देश से बाहर गया था।
वित्त वर्ष 2024 के पहले 6 महीनों में भारतीय इकाइयों द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 5.52 अरब डॉलर पर लगभग सपाट रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 5.75 अरब डॉलर थी। भारतीय रिजर्व बैंक की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर मासिक बुलेटिन के अनुसार आधे से अधिक एफडीआई प्रवाह विनिर्माण, वित्तीय सेवाओं, परिवहन और कंप्यूटर सेवाओं में हुआ।
एफडीआई निवेशकों की आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में भी अच्छी दिलचस्पी देखी गई। 2016 से दुनिया भर में एआई ऐप्लिकेशन के शोध एवं विकास से संबंधित 778 परियोजनाओं (26.8 अरब डॉलर मूल्य) की घोषणा की गई, जिनमें से भारत को सबसे अधिक (26.2 फीसदी) का निवेश हुआ। इसके बाद कनाडा, सिंगापुर, इजरायल और अमेरिका का नंबर आता है।
आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट (अक्टूबर 2023) में कहा था कि अमेरिका तथा अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में लंबे समय तक ऊंची ब्याज दरें बनी रहने से उभरते बाजारों में परिसंपत्तियों के प्रति जोखिम को बढ़ सकता है और पूंजी प्रावह को प्रभावित कर सकता है।
ऊंची ब्याज दरों के कारण वैश्विक स्तर पर विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियां 10 साल के निचले स्तर पर आ गई हैं, जिसका असर शेयर बाजार पर भी पड़ा है। इसका वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश चक्र पर प्रतिकूल असर पड़ता है, जबकि एफडीआई प्रवाह में पहले से ही गिरावट बनी हुई है।