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‘मन’ में तो है शिकन, जुबां पर ‘सिंह’ गर्जन

Last Updated- December 08, 2022 | 2:06 AM IST

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने सभी सूरमाओं के साथ सोमवार को कारोबारी जगत के महारथियों से मिले।


इस मुलाकात में जहां उनके माथे पर गहराती मंदी की शिकन गहराने का अंदाजा लगा, वहीं हम होंगे कामयाब का आत्मविश्वासी जज्बा भी उनमें नजर आया।

उन्होंने न सिर्फ कारोबारी जगत को रूबरू होकर मुश्किल की घड़ी में हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया बल्कि निवेशकों को भी हौसला रखने और न घबराने का दिलासा दिया।

यही नहीं, उन्होंने छंटनी की तलवार सिर पर लटकते देख घबराए निजी क्षेत्र के लाखों कर्मियों को लेकर अपनी चिंता भी तमाम कंपनियों को जता दी। लब्बोलुआब यह कि मंदी के इस महिषासुर का वध करने के लिए सरकार ने ‘सिंह गर्जना’ कर दी है। पेश है मनमोहन की इस सिंह गर्जना का सार:

मंदी की चिंता है…

इस गंभीर संकट का हमारी अर्थव्यवस्था पर असर होना तय था और ऐसा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय ऋण में कमी आई है, जिसका हमारी कंपनियों और बैंकों पर खराब असर हुआ है।

वैश्विक संकट अब और गंभीर हो सकता है और लंबा खिंच सकता है।

वैश्विक संकट से कॉर्पोरेट, बैंक और निवेशकों का रुख भी प्रभावित हुआ है।

…पर है विश्वास

अतिरिक्त नकदी और रेपो दर में कटौती से तर्कसंगत दर पर ऋण मुहैया कराने में मदद मिलेगी।

बैंकों में पूंजी की कोई कमी नहीं है। मुझे लगता है कि हमने सफलतापूर्वक अपनी जनता को यह संदेश दे दिया है कि हमारी बैंकिंग प्रणाली, सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में, सुरक्षित है और सरकार इसके साथ खड़ी है और बैंकों में जमा राशि की सुरक्षा के बारे में डरने की कोई जरूरत नहीं है।

हमें उम्मीद है कि भारतीय कंपनियां वैश्विक संकट को अपना भरोसा नहीं डिगाने देंगी।

साथी हाथ बढ़ाना…

लागत में कमी और उत्पादकता बढ़ाने के लिए हर कोशिश करने की जरूरत है लेकिन मुझे उम्मीद है कि बड़ी संख्या में कर्मचारियों को निकालने जैसी आकस्मिक प्रतिक्रिया नहीं होगी, जो नकारात्मक असर डाल सकती है। सरकार और उद्योग को साझेदारी की सच्ची भावना से काम करना चाहिए ताकि आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें। उद्योग को इस वैश्विक संकट के असर से मुकाबला करते हुए अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को भी ध्यान में रखना चाहिए।

सरकार एक उच्च स्तरीय समिति स्थापित करेगी ताकि नकदी संकट और उच्च ब्याज दरों समेत उद्योग की समस्याओं को समाधान सुनिश्चित किया जा सके और भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक ऋण संकट के असर को कम किया जा सके एवं रोजगार में कटौती से बचा जा सके। समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री या वित्त मंत्री कर सकते हैं।

…हम होंगे कामयाब

सरकार आर्थिक विकास की रक्षा के लिए और अधिक कदम उठाएगी।

अब सरकार और निडरता से काम कर सकती है क्योंकि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किए गए प्रयासों का असर होना शुरू हो गया है।

हमारी प्राथमिकता थी, भारतीय वित्तीय प्रणाली को संभावित भरोसे की कमी या संक्रामक प्रभाव से बचाना। स्थिति असामान्य है और हमें हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है। रोज-ब-रोज स्थिति पर निगाह रखी जा रही है और यदि जरूरत पड़ी तो और कदम उठाए जाएंगे।

सरकार विकास दर की रक्षा के लिए घरेलू स्तर पर मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति से जुड़े कदम उठाएगी।

भारत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में भी सुधार की मांग करेगा ताकि ऐसे संकट को फिर से पैदा होने से रोका जा सके।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि वे इस स्थिति में मौजूदा परंपरा से हटकर काम करें ताकि भरोसे में आ रही कमी का मुकाबला कर सकें।

हम बुनियादी ढांचा विकास क्षेत्र की परियोजनाओं और कार्यक्रमों की निगरानी करेंगे, जिनमें विशुध्द सार्वजनिक क्षेत्र और सार्वजनिक निजी भागीदारी, दोनों किस्म की परियोजनाएं शामिल होंगी ताकि उनका कार्यान्वयन तेजी से हो और उन्हें फंड की कमी न हो।

मंदी की महाबैठक के महारथी

बैठक में रतन टाटा, मुकेश अंबानी, के.वी.कामत, शशि रुइया, आनंद महिंद्रा, दीपक पारेख, राजकुमार धूत, के.पी.सिंह के साथ कई अन्य उद्योगपति शामिल थे। इनके अलावा, सीआईआई के अध्यक्ष कामत के अलावा फिक्की के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर और ऐसोचैम के प्रमुख सज्जन जिंदल ने अपने-अपने चैंबर का प्रतिनिधित्व किया।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ वित्त मंत्री पी.चिंदबरम, वाणिज्य मंत्री कमलनाथ, आरबीआई गवर्नर डी.सुब्बाराव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सुरेश तेंदुलकर और आर्थिक मामलों के सचिव अशोक चावला ने सरकार का प्रतिनिधित्व किया।

क्यों हुई महाबैठक

बैठक वैश्विक मंदी के मुश्किल वक्त में आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए विकल्पों की तलाश करने के लिए आयोजित की गई।

सेंसेक्स उछला

रिजर्व बैंक की ओर से बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों और वैश्विक बाजारों में आई तेजी का असर भारतीय बाजार में भी दिखा। साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान कि मंदी से निपटने के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी, को बाजार ने सकारात्मक तरीके से लिया।

बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी, दोनों अच्छी बढ़त के साथ खुले। हालांकि कारोबार के दौरान बाजार में मुनाफा वसूली का भी दौर चला, बावजूद इसके सेंसेक्स 10 हजार के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार करता हुआ 549.62 अंकों की उछाल के साथ 10,337.68 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी भी 158.25 अंकों की तेजी साथ 3043.85 पर बंद हुआ।

First Published - November 3, 2008 | 11:44 PM IST

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