सरकार इस चालू वित्त वर्ष से सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) का सालाना सर्वे प्रकाशित करने की योजना बना रही है। इस सर्वे को बनाने के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू हो गया है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) की आर्थिक सांख्यिकी की स्थायी समिति के प्रमुख प्रोनाब सेन ने कहा कि फील्ड वर्क के तहत विभिन्न सेवा क्षेत्रों को फार्म भरने और जवाब देने के बारे में जानकारी देने का कार्यक्रम है। यह सर्वेक्षण 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसे वित्त वर्ष के समापन के बाद पूरा होने में तकरीबन 18 महीने का समय लग सकता है। यह उद्योगों के सालाना सर्वेक्षण की तर्ज पर होगा।
सूत्रों के मुताबिक सेवा क्षेत्र के सालाना सर्वेक्षण की प्रश्नावली में कई तरह की सूचनाएं एकत्रित की जाएंगी। जैसे सेवा क्षेत्र की कंपनी का नाम और पता, कंपनी का प्रकार, कंपनी कितने महीने से संचालित है, कुल मौजूदा संपत्तियां, वर्तमान देनदारियां, चालू परिसंपत्तियां, श्रमिकों की संख्या, भविष्य निधि में उसका योगदान, कार्य दिवसों को संख्या, कार्यशील पूंजी, निवेशित पूंजी और बकाया ऋण और सकल मूल्यवर्धित हैं। सेन ने कहा कि माल और सेवा कर नेटवर्क (GSTN) से भी सूचनाएं एकत्रित की जाएंगी। GSTN में 1.38 करोड़ पंजीकृत करदाता हैं जिसमें सामान और सेवा क्षेत्र की इकाइयां भी शामिल हैं।
सेवाओं का वर्गीकरण दो अंकों के जीएसटी वर्गीकरण के साथ साथ राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण (NIC) के आधार पर किया जाएगा।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 2016-17 (जुलाई-जून) में भारत के सेवा क्षेत्र के उद्यमियों के बारे में तकनीकी रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसे सेवा क्षेत्र का सालाना सर्वे की प्रस्तावना माना गया था। इस रिपोर्ट में वित्तीय क्षेत्र को शामिल नहीं किया गया था। इस रिपोर्ट में कोड के साथ सेवा क्षेत्र के लिए 13 व्यापक श्रेणियां थीं। इन श्रेणियों में थोक और खुदरा कारोबार, परिवहन व भंडारण, आवास और खाद्य सेवाएं, सूचना और संचार सेवाएं, रियल एस्टेट, शिक्षा, पेशेवर, वैज्ञानिक व तकनीकी गतिविधियां, प्रशासनिक व सहायक सेवाएं, मानव स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाएं, कला, एंटरटेनमेंट और रेक्रिएशन सेवाएं हैं।
हाल के वर्षों से सेवा क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक की तरह सेवा क्षेत्र की मासिक गतिविधियों को जानने की मांग उठ सकती है। इस बारे में सेन ने कहा कि भारत में सेवा क्षेत्र के लिए कोई सूचकांक नहीं हैं। इसका कारण यह है कि सेवा क्षेत्र में परिभाषात्मक मुद्दे हैं। उन्होंने इंगित किया, ‘सेवा उत्पादन के सूचकांक के साथ समस्याएं हैं। मुद्द यह है कि कैसे सेवा उत्पादन को परिभाषित किया जाता है। जैसे स्वास्थ्य सेवाओं में क्या क्या होगा। क्या इसमें आपका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण भी शामिल किया जाएगा या नहीं। मेडिकल सेवाओं का क्या अनुपात होगा।’ हालांकि यूरोप में सेवा क्षेत्र का सूचकांक है। इस बारे में सेन ने कहा कि इन सूचकांकों में गुणवत्ता का मुद्दा है।
भारत की सकल मूल्य वर्धित समायोजित (GVA) अर्थव्यवस्था में आधी से अधिक हिस्सेदारी सेवा क्षेत्र की है। यदि सेवा क्षेत्र में निर्माण क्षेत्र को भी शामिल कर लिया जाता है तो इस क्षेत्र का जीवीए में दायरा बढ़कर 60 फीसदी से अधिक हो जाएगा। भारत के निर्यात में प्रमुख सेवा क्षेत्र हो गया है। जनवरी, 2023 में भारत से वस्तुओं का निर्यात करीब 32.9 अरब डॉलर का हुआ था और सेवा क्षेत्र से निर्यात 32.2 अरब डॉलर का हुआ था। फरवरी, 2023 में वस्तुओं का निर्यात 33.9 अरब डॉलर हुआ था और सेवा क्षेत्र से 29.1 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।